DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 11 March 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveओंगोल नस्ल की गाय (Ongole Cattle): गिरती संख्या और वैश्विक पहचान
ओंगोल नस्ल की गाय (Ongole Cattle): गिरती संख्या और वैश्विक पहचान
समाचार में क्यों?
• ओंगोल गाय की जनसंख्या भारत में घट रही है, जबकि ब्राज़ील जैसे देशों में इसकी संख्या और प्रतिष्ठा लगातार बढ़ रही है।
• यह चिंता का विषय है क्योंकि ओंगोल नस्ल भारतीय पशुपालन विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ओंगोल नस्ल की गाय: एक परिचय
• ओंगोल गाय (Ongole Cattle) भारत की एक देशी गाय की नस्ल है, जिसका मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में पालन किया जाता है।
• इसे इसकी शक्ति, सहनशक्ति और उच्च दूध उत्पादन क्षमता के लिए जाना जाता है।
• इस नस्ल का विशेष रूप से बैलों के रूप में कृषि कार्य और पशुपालन में उपयोग किया जाता है।
ओंगोल गाय की विशेषताएँ
• मजबूत शरीर – इस नस्ल की गायें और बैल बेहद शक्तिशाली और मेहनती होते हैं।
• ऊष्मा सहनशीलता – यह नस्ल गर्म और आर्द्र जलवायु में जीवित रहने में सक्षम है।
• बीमारियों से सुरक्षा – इनमें कई सामान्य पशु रोगों के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता होती है।
• दूध उत्पादन – यह नस्ल औसतन 1,500 से 2,500 लीटर तक दूध देती है, जो भारतीय परिस्थितियों में अच्छा माना जाता है।
• कृषि उपयोग – ओंगोल बैल कृषि और गाड़ियों को खींचने के लिए आदर्श माने जाते हैं।
ब्राजील में ओंगोल गाय की बढ़ती लोकप्रियता
• ब्राजील ने 19वीं और 20वीं शताब्दी में भारत से ओंगोल नस्ल की गायों का आयात किया और वहां इनका पालन अत्यधिक वैज्ञानिक तरीके से किया गया।
• ब्रीडिंग तकनीकों और अनुकूलन से ब्राजील में यह नस्ल अधिक उन्नत हो गई।
• ब्राजील में यह नस्ल “Nellore” नाम से प्रसिद्ध है और वहाँ के मांस उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन चुकी है।
• ब्राजील ओंगोल नस्ल के उन्नत जेनेटिक्स के साथ व्यापार भी कर रहा है, जिससे उनकी पशुधन अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ हुआ है।
भारत में ओंगोल गाय की घटती संख्या के कारण
• क्रॉस ब्रीडिंग का प्रभाव – भारतीय किसानों ने अधिक दूध देने वाली विदेशी गायों (जैसे होल्सटीन फ्रिज़ियन और जर्सी) के साथ क्रॉस ब्रीडिंग शुरू कर दी।
• व्यावसायीकरण की कमी – भारत में ओंगोल नस्ल के संवर्धन और अनुसंधान पर उतना ध्यान नहीं दिया गया।
• शहरीकरण और चरागाहों की कमी – पशुपालकों के लिए चराई की भूमि और संसाधनों की उपलब्धता कम हो रही है।
• बाजार की कम माँग – आधुनिक डेयरी उद्योग अधिक दूध देने वाली विदेशी नस्लों को प्राथमिकता देता है।
• सरकारी संरक्षण की कमी – देशी नस्लों के संरक्षण के लिए पर्याप्त योजनाएँ नहीं चलाई गईं।
ओंगोल गाय के संरक्षण और संवर्धन के लिए आवश्यक कदम
• स्वदेशी नस्लों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ लागू की जाएं।
• क्रॉस ब्रीडिंग पर नियंत्रण रखते हुए नस्ल की शुद्धता बनाए रखी जाए।
• ओंगोल गायों के संरक्षण और पालन के लिए विशेष प्रजनन केंद्र (Breeding Centers) स्थापित किए जाएं।
• देशी गायों के उत्पादों (जैसे A2 दूध) को बाज़ार में बेहतर मूल्य और पहचान मिले।
• किसानों को स्वदेशी नस्लों के लाभ और संरक्षण के तरीकों पर जागरूक किया जाए।
निष्कर्ष:
ओंगोल गाय न केवल भारत की पशुपालन परंपरा का हिस्सा है, बल्कि कृषि, दूध उत्पादन और आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
हालांकि ब्राजील जैसे देशों में यह नस्ल फल-फूल रही है, भारत में इसके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता है।
अगर सरकार और किसान मिलकर इसे बचाने के प्रयास करें, तो यह नस्ल फिर से अपनी पहचान बना सकती है।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3:
• कृषि और पशुपालन।
• जैव विविधता और पर्यावरणीय संरक्षण।
• भारतीय अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास।
GS Paper 2:
• सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ।
• अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कृषि नीति।
• पशुपालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दे।
क्लस्टर हथियार संधि (Convention on Cluster Munitions – CCM)
समाचार में क्यों?
• लिथुआनिया ने “क्लस्टर हथियार संधि” (Convention on Cluster Munitions – CCM) से बाहर निकलने की घोषणा की।
• लिथुआनिया ने इसका कारण रूस के आक्रामक रवैये से उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं को बताया।
• मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की आलोचना की क्योंकि क्लस्टर हथियारों का उपयोग आम नागरिकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
क्लस्टर हथियार (Cluster Munitions) क्या हैं?
• क्लस्टर बम वे हथियार होते हैं जो हवा या ज़मीन से गिराए जाते हैं और छोटे-छोटे विस्फोटकों (submunitions) में बंट जाते हैं।
• ये विस्फोटक व्यापक क्षेत्र में फैलते हैं और बड़े पैमाने पर विनाश और हताहत करने की क्षमता रखते हैं।
• इनका मुख्य खतरा यह है कि कई बार कुछ उप-गोले (bomblets) तुरंत नहीं फटते, जिससे वे भविष्य में नागरिकों के लिए खतरा बने रहते हैं।
क्लस्टर हथियार संधि (Convention on Cluster Munitions – CCM) क्या है?
• यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो क्लस्टर हथियारों के उपयोग, उत्पादन, भंडारण और स्थानांतरण को प्रतिबंधित करती है।
• इसे 2008 में अपनाया गया था और 2010 में लागू हुआ।
• इस संधि के तहत सदस्य देशों को अपने क्लस्टर हथियार नष्ट करने और पीड़ितों की सहायता करने की जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्य विशेषताएँ:
• क्लस्टर हथियारों का पूर्ण प्रतिबंध।
• पहले से मौजूद हथियारों को नष्ट करने की अनिवार्यता।
• युद्ध से प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने का दायित्व।
• अब तक 123 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन अमेरिका, रूस, चीन, भारत और पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं हैं।
लिथुआनिया के हटने के पीछे कारण:
• रूस के पड़ोसी देश के रूप में लिथुआनिया को सुरक्षा चिंता है।
• रूस क्लस्टर हथियारों का उपयोग कर सकता है, इसलिए लिथुआनिया भी इस हथियार को अपने रक्षा सिस्टम में बनाए रखना चाहता है।
• नाटो (NATO) देशों में से कुछ ने यूक्रेन को क्लस्टर हथियार देने का समर्थन किया है, जिससे यह मुद्दा और विवादास्पद बन गया है।
भारत का रुख
• भारत ने अब तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
• भारत का मानना है कि क्लस्टर हथियारों का सीमित उपयोग सामरिक दृष्टि से आवश्यक हो सकता है।
• भारत की नीति यह है कि सभी देशों को सर्वसम्मति से और व्यावहारिक समाधान खोजकर ऐसे प्रतिबंध लागू करने चाहिए।
क्लस्टर हथियारों के उपयोग से जुड़े खतरे
• नागरिकों के लिए खतरा – कई बार विस्फोटक अवशेष (unexploded bomblets) आम लोगों के लिए जानलेवा साबित होते हैं।
• युद्ध के बाद भी खतरा बना रहता है – वर्षों तक ऐसे विस्फोटक ज़मीन पर पड़े रहते हैं और निर्दोष लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं।
• मानवाधिकारों का उल्लंघन – कई बार इनका उपयोग युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकता है।
निष्कर्ष
लिथुआनिया का CCM से बाहर निकलना वैश्विक सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत है।
क्लस्टर हथियारों पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने और अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने की आवश्यकता है, ताकि युद्ध के मानवीय प्रभावों को कम किया जा सके।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 2:
• अंतरराष्ट्रीय संधियाँ और भारत की भूमिका।
• वैश्विक सुरक्षा और शांति प्रयास।
• नाटो (NATO) और रूस-यूक्रेन संघर्ष से जुड़े मुद्दे।
GS Paper 3:
• रक्षा प्रौद्योगिकी और युद्धक हथियार।
• अंतरराष्ट्रीय शस्त्र व्यापार और हथियारों का प्रसार।
• मानवाधिकार और युद्ध अपराध।
वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट (WORLD SUSTAINABLE DEVELOPMENT SUMMIT ) 2025
समाचार में क्यों?
• पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने नई दिल्ली में वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट (WSDS) 2025 का उद्घाटन किया।
• इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक सतत विकास (Sustainable Development) और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियों और रणनीतियों पर चर्चा करना है।
WSDS (World Sustainable Development Summit) क्या है?
• यह एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसका आयोजन The Energy and Resources Institute (TERI) द्वारा किया जाता है।
• इसका उद्देश्य टिकाऊ विकास (Sustainable Development) और जलवायु परिवर्तन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक नेताओं, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों को एक मंच पर लाना है।
• WSDS की शुरुआत 2001 में “Delhi Sustainable Development Summit” (DSDS) के रूप में हुई थी, जिसे 2016 में WSDS के रूप में पुनः ब्रांड किया गया।
WSDS 2025 का मुख्य विषय (Theme)
(अभी तक आधिकारिक रूप से घोषित नहीं हुआ है, लेकिन पिछले वर्षों की थीम के आधार पर यह जलवायु परिवर्तन और सतत विकास से जुड़ा होगा।)
WSDS 2024 की प्रमुख बातें
• 2024 में इसका थीम था – “Leadership for Sustainable Development and Climate Justice”।
• भारत ने ग्रीन ग्रोथ (Green Growth), जलवायु वित्त (Climate Finance), और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
• इसमें संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, विभिन्न देशों की सरकारों, निजी क्षेत्र और पर्यावरण विशेषज्ञों ने भाग लिया।
सतत विकास (Sustainable Development) क्यों महत्वपूर्ण है?
• जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और जैव विविधता के क्षरण को रोकने के लिए सतत विकास अनिवार्य है।
• 2015 में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs – Sustainable Development Goals) के तहत 17 लक्ष्य निर्धारित किए, जिनका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और सतत विकास को सुनिश्चित करना है।
भारत में सतत विकास से जुड़े प्रमुख कदम
• राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (National Adaptation Fund for Climate Change – NAFCC)।
• राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission) – 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य।
• स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) – स्वच्छता और कचरा प्रबंधन पर ध्यान।
• राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (National Electric Mobility Mission) – इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना।
• जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) – ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति सुनिश्चित करना।
भारत और वैश्विक जलवायु परिवर्तन नीतियाँ
नीति/अभियान | विवरण |
---|---|
पेरिस समझौता (2015) | भारत ने 2070 तक नेट-जीरो (Net-Zero) कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा। |
G20 में भारत की भूमिका | भारत ने सतत विकास और हरित ऊर्जा के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया। |
LiFE मिशन | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया मिशन, जो सतत जीवनशैली (Lifestyle for Environment) को प्रोत्साहित करता है। |
निष्कर्ष
WSDS 2025 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जहाँ वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
भारत को अपने स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों, पर्यावरण संरक्षण नीतियों और जलवायु वित्त को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3:
• पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास।
• जलवायु परिवर्तन और भारत की नीतियाँ।
• अक्षय ऊर्जा और ग्रीन ग्रोथ।
GS Paper 2:
• वैश्विक संगठनों और संधियों में भारत की भूमिका।
• अंतरराष्ट्रीय सहयोग और पर्यावरण कूटनीति।
• सरकारी नीतियाँ और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से जुड़ी पहलें।
माधव राष्ट्रीय उद्यान (Madhav National Park) – भारत का 58वां टाइगर रिजर्व
माधव राष्ट्रीय उद्यान (Madhav National Park) – भारत का 58वां टाइगर रिजर्व
समाचार में क्यों?
• केंद्र सरकार ने 9 मार्च 2025 को मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान को भारत के 58वें टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित किया।
• यह निर्णय मध्य प्रदेश को “टाइगर स्टेट” की स्थिति को और मजबूत करेगा और बाघ संरक्षण को बढ़ावा देगा।
माधव राष्ट्रीय उद्यान: एक परिचय
• स्थिति: शिवपुरी जिला, मध्य प्रदेश।
• स्थापना: 1958।
• क्षेत्रफल: लगभग 375 वर्ग किमी।
• प्रमुख पारिस्थितिकी तंत्र: मिश्रित पर्णपाती वन, घास के मैदान और झीलें।
• विशेषता: माधव राष्ट्रीय उद्यान मुगल और ब्रिटिश युग के ऐतिहासिक अवशेषों के लिए भी प्रसिद्ध है।
• सिंध और पार्वती नदियाँ इस क्षेत्र से होकर बहती हैं।
माधव राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीव
• स्तनधारी:
- बाघ (Tiger)
- तेंदुआ (Leopard)
- चीतल (Spotted Deer)
- नीलगाय (Blue Bull)
- सांभर (Sambar Deer)
- चार सींग वाला मृग (Four-Horned Antelope)
- जंगली सूअर (Wild Boar)
• पक्षी:
- भारतीय मोर (Indian Peafowl)
- चील (Eagles)
- जलपक्षी (Wetland Birds)
• वनस्पति:
- साल, सागौन और अन्य पर्णपाती वृक्ष।
माधव राष्ट्रीय उद्यान का ऐतिहासिक महत्व
• यह क्षेत्र ग्वालियर के शासकों और ब्रिटिश अधिकारियों का शिकारगाह हुआ करता था।
• यहाँ स्थित माधव महल और जॉर्ज कैसल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
• संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र और ऐतिहासिक धरोहर इसे अन्य टाइगर रिजर्व से अलग बनाते हैं।
मध्य प्रदेश: “टाइगर स्टेट”
• मध्य प्रदेश में सबसे अधिक टाइगर रिजर्व हैं और इसे “टाइगर स्टेट” कहा जाता है।
• माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने के बाद, अब राज्य में 7 टाइगर रिजर्व हो गए हैं:
टाइगर रिजर्व | वर्ष |
---|---|
कान्हा टाइगर रिजर्व | 1973 |
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व | 1993 |
पन्ना टाइगर रिजर्व | 1994 |
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व | 2000 |
संजय-डुबरी टाइगर रिजर्व | 2008 |
पेंच टाइगर रिजर्व | 1992 |
माधव टाइगर रिजर्व | 2025 |
बाघ संरक्षण के लिए महत्व
• टाइगर रिजर्व घोषित होने से क्षेत्र में बाघों की सुरक्षा बढ़ेगी।
• इससे अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी।
• सरकार इको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचा सकती है।
संरक्षण से जुड़े मुद्दे और समाधान
मुद्दा | संभावित समाधान |
---|---|
अवैध शिकार | सख्त निगरानी और आधुनिक तकनीकों (कैमरा ट्रैप, ड्रोन) का उपयोग। |
मानव-वन्यजीव संघर्ष | बफर ज़ोन और सुरक्षित गलियारों (wildlife corridors) का विकास। |
पर्यावरणीय क्षति | संतुलित इको-टूरिज्म और वन पुनर्वास कार्यक्रम। |
निष्कर्ष
माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने से भारत के बाघ संरक्षण प्रयासों को नई गति मिलेगी।
मध्य प्रदेश में टाइगर टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ होगा।
इसके अलावा, यह कदम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) और भारत के वन्यजीव संरक्षण मिशन के अनुरूप भी है।
यह भी जानें
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण कार्यक्रम (National Tiger Conservation Programme)
भारत में बाघों की संख्या को संरक्षित करने और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण कार्यक्रम चलाया जाता है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बाघों की घटती आबादी को बढ़ाना और उनके लिए सुरक्षित पर्यावरण तैयार करना है।
1. परियोजना का इतिहास (History of the Project)
भारत में बाघों की घटती संख्या को देखते हुए 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ (Project Tiger) की शुरुआत की गई। यह भारत सरकार द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण संरक्षण कार्यक्रम है, जिसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) के तहत लागू किया गया था।
बाघों की संख्या पर एक नज़र
- 1900: अनुमानित 40,000 बाघ
- 1972: घटकर 1,827 बाघ
- 2006: 1,411 बाघ
- 2010: 1,706 बाघ
- 2014: 2,226 बाघ
- 2018: 2,967 बाघ
- 2022: 3,167 बाघ (हालिया गणना)
2. प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger)
शुरुआत: 1 अप्रैल 1973
प्रमुख उद्देश्य:
✔️ बाघों के शिकार (Poaching) को रोकना
✔️ बाघों के प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा
✔️ बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना
शुरुआती 9 टाइगर रिजर्व:
- जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (उत्तराखंड)
- कन्हा टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश)
- रणथंभौर टाइगर रिजर्व (राजस्थान)
- सुंदरबन टाइगर रिजर्व (पश्चिम बंगाल)
- श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (आंध्र प्रदेश)
- सिमलीपाल टाइगर रिजर्व (ओडिशा)
- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश)
- मलयाटी टाइगर रिजर्व (कर्नाटक)
- पेरियार टाइगर रिजर्व (केरल)
वर्तमान में भारत में 53 टाइगर रिजर्व (Tiger Reserves) हैं।
3. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA – National Tiger Conservation Authority)
स्थापना: 2006
उद्देश्य:
✔️ बाघ संरक्षण को अधिक प्रभावी बनाना
✔️ टाइगर रिजर्व्स की निगरानी करना
✔️ अवैध शिकार और वन्यजीव अपराधों पर नियंत्रण रखना
4. बाघ संरक्षण के लिए कानून और नीतियाँ
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 – बाघों के शिकार और व्यापार पर प्रतिबंध
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 – बाघों के आवासों की रक्षा
- राष्ट्रीय जैव विविधता अधिनियम, 2002 – पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखना
- भारतीय वन अधिनियम, 1927 – वन संपदा और जीवों की सुरक्षा
5. बाघ गणना (Tiger Census) और मॉनिटरिंग
भारत सरकार हर चार साल में ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट जारी करती है।
कैसे की जाती है बाघों की गणना?
✅ कैमरा ट्रैपिंग तकनीक (Camera Traps) – जंगलों में कैमरे लगाए जाते हैं।
✅ पगमार्क और मल विश्लेषण – बाघों के पैरों के निशान और मल के DNA से उनकी पहचान होती है।
✅ GPS और सैटेलाइट ट्रैकिंग – बाघों की गतिविधियों पर नज़र रखी जाती है।
6. प्रमुख बाघ अभयारण्य (Top Tiger Reserves in India)
उत्तर भारत
- जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (उत्तराखंड) – भारत का पहला टाइगर रिजर्व
- राजाजी टाइगर रिजर्व (उत्तराखंड)
- दुधवा टाइगर रिजर्व (उत्तर प्रदेश)
मध्य भारत
- कन्हा टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश) – “जंगल बुक” का प्रेरणास्रोत
- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश) – सबसे अधिक बाघ घनत्व वाला रिजर्व
- पेंच टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश/महाराष्ट्र)
दक्षिण भारत
- नागरहोल टाइगर रिजर्व (कर्नाटक)
- बांदीपुर टाइगर रिजर्व (कर्नाटक)
- पेरियार टाइगर रिजर्व (केरल)
पूर्वी भारत
- सुंदरबन टाइगर रिजर्व (पश्चिम बंगाल) – रॉयल बंगाल टाइगर का घर
- सिमलीपाल टाइगर रिजर्व (ओडिशा)
7. बाघ संरक्षण के लिए भारत सरकार की योजनाएँ
✔️ E-Patrolling (M-STrIPES): मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से बाघों की निगरानी
✔️ Eco-Tourism Initiatives: स्थानीय समुदायों को शामिल करना
✔️ Compensation Policy: मानव-बाघ संघर्ष के मामलों में मुआवजा
8. बाघ संरक्षण में भारत की वैश्विक भूमिका
भारत 13 टाइगर रेंज देशों में सबसे अधिक बाघों वाला देश है।
महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पहलें:
✔️ Global Tiger Initiative (GTI)
✔️ Global Tiger Recovery Program (GTRP)
✔️ St. Petersburg Tiger Summit (2010) – 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य (TX2 Goal)
9. बाघ संरक्षण की चुनौतियाँ (Challenges in Tiger Conservation)
❌ वनों की कटाई और अवैध शिकार
❌ पर्यावास का नुकसान
❌ मानव-बाघ संघर्ष
❌ वन्यजीव तस्करी (Wildlife Trafficking)
10. निष्कर्ष (Conclusion)
भारत ने बाघ संरक्षण में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2010 में 1,706 बाघों से बढ़कर 2022 में 3,167 बाघों तक पहुँचना इस बात का प्रमाण है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण कार्यक्रम प्रभावी रहा है। हालाँकि, इसे सफल बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।
“बाघ बचाओ, जंगल बचाओ, पर्यावरण बचाओ!”
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3 (पर्यावरण और पारिस्थितिकी)
• टाइगर रिजर्व का महत्व और संरक्षण।
• मानव-वन्यजीव संघर्ष और समाधान।
• सतत विकास और इको-टूरिज्म।
GS Paper 1 (भूगोल और जैव विविधता)
• मध्य प्रदेश का पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता।
• भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व।
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