DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 09 April 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveप्रधानमंत्री मुद्रा योजना : Pradhan Mantri Mudra Yojana (PMMY)
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
Pradhan Mantri Mudra Yojana (PMMY)
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने अप्रैल 2025 में अपनी 10वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री और विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों ने इसे वित्तीय समावेशन तथा नीचे स्तर पर उद्यमिता के विकास में एक क्रांतिकारी पहल बताया।
योजना का परिचय
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 8 अप्रैल, 2015 को की गई थी, जिसका उद्देश्य छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को बिना गारंटी के ऋण प्रदान करना है।
मुख्य उद्देश्य:
- असंगठित क्षेत्र के उद्यमियों को वित्तीय सहायता
- स्वरोज़गार को प्रोत्साहन
- महिलाओं, युवाओं, दलितों और पिछड़े वर्गों की भागीदारी में वृद्धि
MUDRA का अर्थ (Note):
MUDRA = Micro Units Development and Refinance Agency
यह एक संस्थान है जो वाणिज्यिक बैंकों, लघु वित्त बैंकों, NBFC और MFIs के माध्यम से ऋण सहायता प्रदान करता है।
मुद्रा ऋण की तीन श्रेणियाँ
श्रेणी | ऋण सीमा | उद्देश्य |
---|---|---|
शिशु | ₹50,000 तक | छोटे स्तर के नए व्यवसाय जैसे चाय की दुकान, दर्जी, ब्यूटी पार्लर |
किशोर | ₹50,001 – ₹5 लाख | व्यवसाय विस्तार जैसे उपकरण खरीदना, दुकान किराया |
तरुण | ₹5 लाख – ₹10 लाख | मध्यम दर्जे के व्यवसाय जैसे छोटा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट |
प्रमुख विशेषताएँ
• कोई गारंटी आवश्यक नहीं
• ब्याज दरें बैंक द्वारा निर्धारित
• ऋण पुनर्भुगतान की लचीली समयसीमा
• महिलाओं और अनुसूचित जाति/जनजाति को प्राथमिकता
अब तक की उपलब्धियाँ (2024 तक)
आँकड़ा | विवरण |
---|---|
कुल वितरण | ₹24 लाख करोड़ से अधिक |
लाभार्थी | लगभग 43 करोड़ लोग |
महिला उद्यमी | 68% से अधिक |
SC/ST/OBC लाभार्थी | लगभग 50% |
चुनौतियाँ और आलोचना
• ऋण चुकाने में असमर्थता – असंगठित क्षेत्र में आय की अनिश्चितता
• उपयुक्त ट्रेनिंग की कमी – केवल ऋण नहीं, कौशल भी आवश्यक
• ऋण राशि का सीमित उपयोग – कई बार ऋण का उपयोग निजी आवश्यकताओं में
• ब्याज दरों की भिन्नता – बैंकों द्वारा उच्च ब्याज दर लागू करना
योजना के प्रभाव
क्षेत्र | प्रभाव |
---|---|
रोज़गार सृजन | छोटे कारोबारों से लाखों रोजगार |
महिला सशक्तिकरण | महिलाओं का स्वरोज़गार में वृद्धि |
वित्तीय समावेशन | बैंकिंग क्षेत्र में नए ग्राहकों का प्रवेश |
स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान | ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि |
भविष्य की दिशा
• डिजिटल मुद्रा लोन प्लेटफॉर्म्स का विकास
• लघु उद्योगों के लिए मेंटरशिप और ट्रेनिंग
• ऋण वितरण में पारदर्शिता और निगरानी
• राज्य स्तर पर योजना का विकेन्द्रीकरण
[UPSC परीक्षा प्रासंगिक बिंदु]
• प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का उद्देश्य और स्वरूप
• शिशु, किशोर, तरुण – श्रेणियों का विवरण
• वित्तीय समावेशन में मुद्रा योजना की भूमिका
• महिला और दलित उद्यमिता को बढ़ावा
• मुद्रा योजना के तहत ऋण वितरण का सामाजिक प्रभाव
• योजना की चुनौतियाँ और सुधार के सुझाव
राष्ट्रपति और राज्य विधेयक ( President and State Bills ) – DAILY CURRENT AFFAIRS
राष्ट्रपति और राज्य विधेयक
President and State Bills
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में तमिलनाडु राज्य द्वारा पारित उस विधेयक को स्वीकृति देने से इनकार कर दिया है, जिसमें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु NEET परीक्षा से छूट प्रदान करने की मांग की गई थी। यह घटनाक्रम राज्य विधायिकाओं और केंद्र के बीच विधायी शक्तियों के संतुलन पर एक बार फिर चर्चा को जन्म देता है।
संवैधानिक प्रावधान: राष्ट्रपति और राज्य विधेयकों के संबंध में
• भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 और अनुच्छेद 201 राष्ट्रपति की भूमिका को स्पष्ट करते हैं जब राज्य विधानमंडल कोई विधेयक पारित करता है।
• राज्यपाल जब किसी विधेयक को “राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु आरक्षित” करता है, तो राष्ट्रपति के पास तीन विकल्प होते हैं:
- विधेयक को स्वीकृति देना
- विधेयक को अस्वीकृत करना
- विधेयक को पुनर्विचार हेतु राज्य विधानमंडल को लौटाना
तमिलनाडु NEET छूट विधेयक – पृष्ठभूमि
• तमिलनाडु सरकार ने NEET (National Eligibility cum Entrance Test) से छूट प्रदान करने हेतु विधेयक पारित किया था ताकि राज्य की उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्रणाली के छात्रों को लाभ मिल सके।
• राज्य का तर्क है कि NEET ग्रामीण, सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के साथ भेदभाव करता है।
• यह विधेयक पहले 2021 में पारित हुआ था और राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को भेजा गया था।
राष्ट्रपति द्वारा अस्वीकृति – प्रभाव और निहितार्थ
• राष्ट्रपति की अस्वीकृति संविधानिक व्यवस्था में केंद्र के प्रभुत्व को रेखांकित करती है, खासकर शिक्षा जैसे समवर्ती विषयों में।
• यह राज्यों की स्वायत्तता पर प्रश्न खड़े करता है, खासकर तब जब राज्य अपनी जनसंख्या के हितों को देखते हुए निर्णय लेना चाहते हैं।
• यह उदाहरण एक “केंद्रीयकृत संघवाद” (Centralised Federalism) की ओर संकेत करता है।
महत्त्वपूर्ण शब्द – नोट के साथ
• अनुच्छेद 200: राज्यपाल राज्य विधानमंडल से पारित विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज सकता है।
• अनुच्छेद 201: राष्ट्रपति विधेयक को स्वीकृति, अस्वीकृति या पुनर्विचार हेतु लौटा सकता है।
• NEET: अखिल भारतीय स्तर पर मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आवश्यक परीक्षा।
• Concurrent List (समवर्ती सूची): वह विषय सूची जिस पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। शिक्षा इसी में आती है।
संवैधानिक विश्लेषण
केंद्रीय दृष्टिकोण:
• शिक्षा एक समवर्ती विषय है, इसीलिए केंद्र को यह अधिकार प्राप्त है कि वह एकरूप प्रवेश प्रणाली लागू करे।
• NEET के माध्यम से मेडिकल शिक्षा में समानता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है।
राज्य दृष्टिकोण:
• राज्यों को अपने क्षेत्रीय सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए।
• क्षेत्रीय असमानताओं को ध्यान में रखते हुए राज्यों को छूट की अनुमति मिलनी चाहिए।
समाजशास्त्रीय और विधिक विश्लेषण
• NEET की अनिवार्यता ने ग्रामीण और गैर-कोचिंग आधारित छात्रों के लिए प्रतियोगिता कठिन कर दी है।
• यह सामाजिक न्याय और समान अवसर की भावना के खिलाफ प्रतीत होता है।
• राज्य द्वारा पारित विधेयक का अस्वीकृत होना संविधान की संघीय भावना को चुनौती देता है।
वर्तमान उदाहरण: अन्य राज्य विधेयकों की स्थिति
राज्य | विधेयक | राष्ट्रपति की स्थिति |
---|---|---|
तमिलनाडु | NEET छूट विधेयक | अस्वीकृत |
केरल | यूनिवर्सिटी चांसलर पर राज्य सरकार का नियंत्रण | निर्णय लंबित |
पंजाब | कृषि विधेयकों की निरस्तीकरण हेतु कानून | निर्णय लंबित या अस्वीकृत |
विधायी प्रक्रिया में सुधार के सुझाव
• राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर निर्णय की समय सीमा सुनिश्चित होनी चाहिए
• राज्यपालों को राजनीतिक आधार पर विधेयक को लंबित नहीं रखना चाहिए
• समवर्ती विषयों पर राज्यों की राय और अनुकूलन की स्वतंत्रता होनी चाहिए
निष्कर्ष
यह मामला स्पष्ट करता है कि भारत में संघीय व्यवस्था के बावजूद, राज्यों की विधायी स्वायत्तता सीमित है, खासकर जब बात शिक्षा जैसे समवर्ती विषय की हो। राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों की अस्वीकृति को न्यायिक समीक्षा के अधीन रखा जाना चाहिए, ताकि संघीय संतुलन बना रहे।
[UPSC परीक्षा प्रासंगिक बिंदु]
• अनुच्छेद 200 और 201 की व्याख्या
• समवर्ती सूची और संघीय संरचना
• NEET परीक्षा और सामाजिक न्याय
• राज्यपाल और राष्ट्रपति की विधायी भूमिका
• संघवाद बनाम केंद्रीकरण – भारत का अनुभव
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Village Programme – VVP)
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Village Programme – VVP)
चर्चा मे क्यों
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) के दूसरे चरण को मंजूरी दे दी है। इस योजना के अंतर्गत सभी अंतरराष्ट्रीय स्थलीय सीमाओं पर स्थित रणनीतिक गांवों के समग्र विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए कुल ₹6,839 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
क्या है वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम?
What is the Vibrant Villages Programme?
• वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम भारत सरकार की एक रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य सीमावर्ती गांवों के सामरिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को सुनिश्चित करना है।
• यह योजना मुख्यतः चीन, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और म्यांमार की सीमाओं से लगे गांवों को शामिल करती है।
• इसका उद्देश्य न केवल इन गांवों में बुनियादी सुविधाएँ पहुँचाना है, बल्कि लोगों को वहीं बसाए रखना है ताकि सीमाओं पर जनसंख्या बनी रहे और रणनीतिक दृष्टिकोण से भारत की स्थिति मजबूत हो।
दूसरा चरण (Phase II) – विशेषताएँ
Key Features of Phase II
• कुल ₹6,839 करोड़ की लागत से लगभग 2,966 गांवों को कवर किया जाएगा।
• इसमें न केवल बुनियादी ढाँचा (सड़क, जल आपूर्ति, बिजली, मोबाइल कनेक्टिविटी) दिया जाएगा बल्कि पर्यटन, सांस्कृतिक संरक्षण और कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
• ‘Whole of Government’ दृष्टिकोण के साथ बहु-मंत्रालयीय सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
प्रमुख उद्देश्य (Key Objectives)
• सीमावर्ती गांवों का आर्थिक और सामाजिक विकास
• प्रवास (Migration) को रोकना और स्थानीय रोजगार सृजन
• रणनीतिक दृष्टिकोण से जनसंख्या का टिकाव बनाए रखना
• ग्राम्य पर्यटन, हस्तशिल्प, सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना
• महिलाओं और युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण और स्टार्टअप समर्थन
• डिजिटल इंडिया के तहत इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी को सशक्त करना
महत्त्वपूर्ण बिंदु (Important Highlights)
• Digital inclusion: सीमांत क्षेत्रों में इंटरनेट और मोबाइल कनेक्शन से जुड़ाव
• Sustainable development: पर्यावरणीय रूप से अनुकूल और दीर्घकालिक विकास मॉडल
• Security and strategic relevance: जनसंख्या बनाए रखने के लिए सीमा पर सक्रिय उपस्थिति
• Community participation: स्थानीय जनजातीय संस्कृति और परंपरा का संरक्षण
चुनौतीपूर्ण पहलू (Challenges)
• दुर्गम भौगोलिक स्थिति और चरम मौसम की स्थिति
• बुनियादी संसाधनों की सीमित उपलब्धता
• जनसंख्या घनत्व का कम होना
• सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा जोखिम
• संस्कृति-संवेदनशील दृष्टिकोण की आवश्यकता
नोट: प्रमुख शब्द – वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम
Note: Vibrant Village Programme
• सामरिक दृष्टिकोण से संवेदनशील गाँवों के लिए केंद्रित योजना
• स्थानीय सहभागिता और दीर्घकालिक विकास को एकीकृत करना
• सेना और नागरिकों के बीच सहयोग सुनिश्चित करना
• सीमाओं के प्रति संवेदनशीलता और राष्ट्र सुरक्षा को मजबूत करना
वाइब्रेंट विलेज बनाम एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम
पहल | वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) | एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम (ADP) |
---|---|---|
फोकस क्षेत्र | सीमावर्ती गाँव | पिछड़े जिले |
उद्देश्य | सीमाओं पर जनसंख्या बनाए रखना | मानव विकास संकेतकों में सुधार |
लागू मंत्रालय | गृह मंत्रालय | नीति आयोग व संबंधित मंत्रालय |
रणनीतिक महत्त्व | उच्च (सीमावर्ती सुरक्षा) | सीमित (विकास-आधारित) |
निष्कर्ष (Conclusion)
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा प्रबंधन और समावेशी ग्रामीण विकास की रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बन गया है। इसका दूसरा चरण इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जो “आत्मनिर्भर भारत” और “सुरक्षित भारत” के लक्ष्य को साकार करने में सहायक होगा।
[UPSC परीक्षा प्रासंगिक बिंदु]
• वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम – परिभाषा और उद्देश्य
• रणनीतिक गाँवों का चयन कैसे होता है
• चीन से जुड़ी सीमा की चुनौतियाँ
• सीमांत क्षेत्रों में प्रवास का प्रभाव
• भारत की सीमा नीति और क्षेत्रीय रणनीति
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