DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 05 March 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveविश्व वन्यजीव दिवस (World Wildlife Day) और CITES )
समाचार में क्यों?
• 3 मार्च को हर साल विश्व वन्यजीव दिवस (World Wildlife Day – WWD) के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
• यह दिन CITES (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) की स्थापना की वर्षगांठ को भी चिह्नित करता है।
विश्व वन्यजीव दिवस: इतिहास और महत्व
• घोषणा: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 2013 में 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में घोषित किया।
• उद्देश्य:
• वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण को बढ़ावा देना।
• वन्यजीवों के प्रति जागरूकता फैलाना।
• CITES जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के महत्व को उजागर करना।
• थीम 2024: “Connecting People and Planet: Exploring Digital Innovation in Wildlife Conservation”
CITES (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora)
• स्थापना: 3 मार्च 1973
• मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड
• सदस्य देश: 180+
• उद्देश्य:
• संकटग्रस्त जीवों और वनस्पतियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करना।
• अवैध शिकार और वन्यजीव तस्करी को रोकना।
• CITES की सूची:
• परिशिष्ट I: विलुप्ति के कगार पर प्रजातियाँ (उदाहरण: बाघ, गोरिल्ला)।
• परिशिष्ट II: संरक्षित प्रजातियाँ, जिनका नियंत्रित व्यापार संभव (उदाहरण: भारतीय अजगर, कछुए)।
• परिशिष्ट III: वे प्रजातियाँ जिन्हें किसी देश द्वारा राष्ट्रीय संरक्षण प्राप्त है और जिनके व्यापार पर नियंत्रण की आवश्यकता है।
CITES कैसे काम करता है?
CITES के तहत शामिल प्रजातियों को उनकी आवश्यक सुरक्षा के अनुसार तीन परिशिष्टों (Appendices) में सूचीबद्ध किया गया है।
- परिशिष्ट-I (Appendix I): इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो विलुप्ति के कगार पर हैं। इन प्रजातियों के नमूनों का व्यापार बहुत ही दुर्लभ मामलों में, केवल “असाधारण परिस्थितियों” में अनुमति प्राप्त करता है।
उदाहरण – भारतीय गैंडा, एशियाई शेर, भारतीय स्टार कछुआ। - परिशिष्ट-II (Appendix II): इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो अभी विलुप्ति के खतरे में नहीं हैं, लेकिन उनके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उनके व्यापार को नियंत्रित करना आवश्यक है।
उदाहरण – कुछ प्रकार की लोमड़ियाँ और दरियाई घोड़े। - परिशिष्ट-III (Appendix III): इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो कम से कम एक देश में संरक्षित हैं और जिसने अन्य CITES सदस्य देशों से उनके व्यापार को नियंत्रित करने में सहायता मांगी है।
उदाहरण – भारत से बंगाल लोमड़ी और सोनकुत्ता (गोल्डन जैकाल)।
प्रत्येक सूची में दी गई प्रजातियों के व्यापार को विनियमित करने के लिए श्रेणी-वार विभिन्न प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं।
भारत और वन्यजीव संरक्षण
• वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
• पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986: पर्यावरण संरक्षण की व्यापक योजना।
• प्रोजेक्ट टाइगर (1973): बाघों के संरक्षण के लिए शुरू किया गया कार्यक्रम।
• प्रोजेक्ट एलीफेंट (1992): हाथियों के संरक्षण के लिए।
• CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority): वनों की भरपाई के लिए।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3:
• पर्यावरण और जैव विविधता संरक्षण।
• वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियाँ।
• अवैध वन्यजीव व्यापार और उससे जुड़े मुद्दे।
GS Paper 2:
• वैश्विक संगठनों और भारत की भागीदारी।
• वन्यजीव संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ।
निष्कर्ष:
विश्व वन्यजीव दिवस और CITES का महत्व वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत जैसे जैव विविधता से समृद्ध देश के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी वन्यजीव संरक्षण नीतियों को और सख्त बनाए और वैश्विक प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग ले।
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (Virtual Digital Assets ) – Daily Current Affairs
Virtual Digital Assets (VDAs) और भारत में नई कर नीति
समाचार में क्यों?
भारत सरकार ने आयकर विधेयक, 2025 (Income Tax Bill, 2025) में पहली बार वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (Virtual Digital Assets – VDAs) को संपत्ति (Property) और पूंजीगत संपत्ति (Capital Asset) के रूप में मान्यता दी है। इससे इन परिसंपत्तियों पर कर नियम स्पष्ट होंगे और कर प्रशासन को मजबूती मिलेगी।
Virtual Digital Assets (VDAs) क्या हैं?
परिभाषा:
भारतीय वित्त अधिनियम, 2022 के तहत VDAs में निम्नलिखित शामिल हैं:
• क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) – जैसे बिटकॉइन, एथेरियम आदि।
• NFTs (Non-Fungible Tokens) – डिजिटल कला, संगीत, और अन्य डिजिटल संपत्तियाँ।
• किसी अन्य डिजिटल संपत्ति को भी सरकार आवश्यकता अनुसार VDA घोषित कर सकती है।
आयकर विधेयक, 2025 में VDA को संपत्ति के रूप में मान्यता
मुख्य बिंदु:
• पूंजीगत संपत्ति की श्रेणी: VDAs को अचल संपत्ति (Immovable Property) की तरह पूंजीगत संपत्ति (Capital Asset) माना जाएगा।
• कराधान:
• VDA की बिक्री या हस्तांतरण पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) लागू होगा।
• उपहार (Gift) में मिले VDA पर भी कर लगेगा।
• अनियमितताओं से बचाव: डिजिटल संपत्तियों के अवैध उपयोग, कर चोरी और काले धन के प्रवाह को रोकने में मदद मिलेगी।
• नियामक स्पष्टता: कर नीति में यह बदलाव भारत में क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल एसेट्स को वैधानिक रूप से स्पष्ट स्थिति प्रदान करेगा।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी और VDAs पर कर नियम (Taxation Rules on VDAs in India)
वित्त अधिनियम, 2022 के प्रावधान:
• 30% कर: VDA से अर्जित आय पर 30% टैक्स लागू होगा (सेक्शन 115BBH के तहत)।
• 1% TDS: ₹50,000 से अधिक के VDA ट्रांजैक्शन पर 1% टीडीएस (Tax Deducted at Source) काटा जाएगा।
• हानि समायोजन की मनाही: क्रिप्टो में हुए नुकसान को किसी अन्य आय से समायोजित नहीं किया जा सकता।
VDA पर वैश्विक दृष्टिकोण
• अमेरिका: क्रिप्टो संपत्तियों को पूंजीगत संपत्ति (Capital Asset) माना जाता है और कर लगाया जाता है।
• यूरोपीय संघ (EU): क्रिप्टोकरेंसी को वैध डिजिटल संपत्ति के रूप में स्वीकार किया गया है।
• चीन: क्रिप्टो ट्रेडिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
• एल साल्वाडोर: बिटकॉइन को कानूनी मुद्रा (Legal Tender) घोषित किया गया है।
भारत में VDAs को कानूनी रूप से मान्यता देने के प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव:
• वित्तीय पारदर्शिता: कर अनुपालन और पारदर्शिता बढ़ेगी।
• निवेश को बढ़ावा: डिजिटल संपत्तियों में सुरक्षित निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
• अर्थव्यवस्था में डिजिटल परिवर्तन: भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
चुनौतियाँ:
• विनियमन की अनिश्चितता: अभी तक कोई स्पष्ट क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क नहीं है।
• कर की उच्च दर: 30% टैक्स और 1% TDS निवेशकों के लिए कठिनाई बढ़ा सकता है।
• अवैध लेनदेन का जोखिम: क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध गतिविधियों में हो सकता है।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3:
• भारतीय अर्थव्यवस्था और कर सुधार।
• डिजिटल करेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी।
• क्रिप्टोकरेंसी और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव।
GS Paper 2:
• सरकारी नीतियाँ और कानूनी सुधार।
• वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी नीतियों की तुलना।
गंगेटिक डॉल्फिन (Gangetic Dolphin) – upsc current Affairs
Gangetic Dolphins
समाचार में क्यों?
भारत में पाई जाने वाली गंगेटिक डॉल्फिन (Gangetic Dolphin) की पहली जनगणना हाल ही में की गई, जिसमें गंगा और उसकी सहायक नदियों में 6,327 डॉल्फिन पाए जाने का अनुमान लगाया गया है। यह भारत की एकमात्र मीठे पानी की डॉल्फिन है और इसकी संख्या पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को दर्शाती है।
गंगेटिक डॉल्फिन: परिचय
वैज्ञानिक नाम: Platanista gangetica gangetica
संरक्षण स्थिति:
- IUCN Red List: Endangered (संकटग्रस्त)
- CITES Appendix I: उच्चतम संरक्षण श्रेणी में सूचीबद्ध
- Wildlife Protection Act, 1972: Schedule I (अत्यधिक संरक्षित)
मुख्य विशेषताएँ:
- यह गंगा, ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों में पाई जाती है।
- इसे ‘सूस’ (Susu) भी कहा जाता है।
- इसकी दृष्टि कमजोर होती है, और यह इकोलोकेशन (echolocation) की मदद से दिशा पहचानती है।
- यह मछलियों और छोटे जलीय जीवों को भोजन के रूप में खाती है।
गंगेटिक डॉल्फिन का पारिस्थितिकीय महत्व
- यह नदी के पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत का सूचक (Indicator Species) है।
- यह जल गुणवत्ता बनाए रखने और खाद्य श्रृंखला को संतुलित करने में मदद करती है।
संख्या में गिरावट के कारण
- जल प्रदूषण: उद्योगों और मानवीय गतिविधियों से जल प्रदूषित हो रहा है।
- बांधों का निर्माण: फरक्का बैराज जैसे बांधों से इनके प्राकृतिक आवास बंट गए हैं।
- अवैध शिकार: तेल और माँस के लिए इनका शिकार किया जाता है।
- अवैध मत्स्यन: मछली पकड़ने के जालों में फंसकर कई डॉल्फिन मारी जाती हैं।
संरक्षण प्रयास
- गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्यक्रम (Ganges Dolphin Conservation Program): 1997 में WWF-India द्वारा शुरू किया गया।
- ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ (Project Dolphin) – 2020:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की घोषणा की।
- उद्देश्य: गंगेटिक डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि और संरक्षण को बढ़ावा देना।
- राष्ट्रीय जलीय जीव (National Aquatic Animal): 2009 में भारत सरकार ने गंगेटिक डॉल्फिन को यह दर्जा दिया।
- विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य (Vikramshila Gangetic Dolphin Sanctuary):
- भारत का एकमात्र डॉल्फिन संरक्षित क्षेत्र, भागलपुर, बिहार में स्थित।
निष्कर्ष:
गंगेटिक डॉल्फिन भारत की नदियों के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। प्रोजेक्ट डॉल्फिन और अन्य सरकारी प्रयास इसके संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालिया जनगणना यह दर्शाती है कि संरक्षण प्रयासों में सुधार की आवश्यकता है, ताकि यह दुर्लभ प्रजाति विलुप्त न हो।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3:
- पर्यावरण और जैव विविधता संरक्षण।
- नदी पारिस्थितिकी और जल प्रदूषण।
- सरकारी नीतियाँ और संरक्षण प्रयास।
GS Paper 2:
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता संरक्षण संबंधी कानून।
निबंध और इंटरव्यू:
- जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संरक्षण के प्रयास।
- भारत की गंगा नदी और उससे जुड़े पारिस्थितिकीय मुद्दे।
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