अगर आपका सपना PT 2025 में शानदार सफलता पाना है, तो यह मौका आपके लिए है! मैं सभी विषयों के लिए एक संपूर्ण अध्ययन सामग्री तैयार कर रहा हूँ, जो आपकी तैयारी को आसान, प्रभावी और सुनियोजित बनाएगी।

Daily Current Affairs For UPSC IAS | 04 April 2025

DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 04 April 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.

DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination

Daily Archive

अमेरिका और भारत की सॉफ्ट पावर ( America and India’s Soft Power ) – Daily Current Affairs


अमेरिका और भारत की सॉफ्ट पावर

America and India’s Soft Power


चर्चा में क्यों?

Why in News?
हाल के वर्षों में अमेरिका की विदेश नीति में आए परिवर्तनों—विशेष रूप से “America First” एजेंडे के कारण—दुनिया में उसकी सॉफ्ट पावर (Soft Power) में कमी देखी गई है। वहीं दूसरी ओर, भारत ने अपनी सांस्कृतिक, शैक्षणिक और वैश्विक विकास सहयोग की नीतियों के माध्यम से अपनी सॉफ्ट पावर को बढ़ाने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।


सॉफ्ट पावर क्या है?

What is Soft Power?

Note: सॉफ्ट पावर वह शक्ति है जिसमें किसी देश को दूसरों को आकर्षित करने और उनके व्यवहार को अपने अनुकूल ढालने की क्षमता होती है, बिना बल प्रयोग या आर्थिक दंड के।

परिभाषा: यह शब्द पहली बार जोसेफ नाई (Joseph Nye) द्वारा 1990 में प्रस्तुत किया गया था। इसके मुख्य स्तंभ हैं –
• संस्कृति
• राजनीतिक मूल्य और संस्थाएँ
• विदेश नीति की वैधता


अमेरिका की सॉफ्ट पावर में गिरावट: कारण और प्रभाव

Decline in American Soft Power: Causes and Impact

“America First” नीति: ट्रंप प्रशासन के तहत संरक्षणवादी और आत्म-केंद्रित नीतियों से अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान हुआ।
पेरिस जलवायु समझौते से हटना, WHO और UNESCO जैसी संस्थाओं से दूरी—इन कदमों ने अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े किए।
शरणार्थियों और मुस्लिम देशों के यात्रियों पर प्रतिबंध: इससे अमेरिका की उदार और लोकतांत्रिक छवि धूमिल हुई।
सांस्कृतिक निर्यात पर प्रभाव: हॉलीवुड, अमेरिकी विश्वविद्यालय, और तकनीकी कंपनियाँ अब पूर्ववत आकर्षण नहीं रखतीं।


भारत की सॉफ्ट पावर में वृद्धि: प्रमुख उदाहरण

Rise of India’s Soft Power: Key Examples

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून): भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का प्रतीक बन गया है।
आयुर्वेद, भारतीय व्यंजन और बॉलीवुड का वैश्विक प्रभाव
विश्वभर में भारतीय प्रवासी समुदाय (Indian Diaspora): भारत की छवि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत करता है।
“वसुधैव कुटुम्बकम्” (One World, One Family): G20 जैसे मंचों पर भारत का मूल मंत्र बना।
Digital India, Vaccine Maitri, और South-South Cooperation: विकासशील देशों में भारत की भागीदारी ने उसे एक जिम्मेदार और सहयोगी शक्ति के रूप में स्थापित किया।


सॉफ्ट पावर: एक तुलनात्मक विश्लेषण

Soft Power: A Comparative Analysis

पहलूअमेरिकाभारत
सांस्कृतिक प्रभावहॉलीवुड, पॉप संगीत, अंग्रेज़ी भाषायोग, आयुर्वेद, बॉलीवुड
वैश्विक संस्थाओं में भूमिकासंस्थाओं से अलगाव की प्रवृत्तिसंस्थाओं में सक्रिय भागीदारी
आप्रवासी नीतिकठोर और प्रतिबंधात्मकप्रवासी भारतीयों के साथ मजबूत संबंध
कोविड-19 प्रतिक्रिया“अमेरिका पहले” दृष्टिकोणवैक्सीन मैत्री और सहायता

प्रशासनिक दृष्टिकोण

Administrative Perspective
भारत ने MEA (विदेश मंत्रालय) के Cultural Diplomacy Division और ICCR (भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद) के माध्यम से सॉफ्ट पावर को रणनीतिक नीति के रूप में अपनाया है। Digital Diplomacy, e-Visa, और भारतीय मिशनों की सक्रियता इसका उदाहरण है।


कानूनी दृष्टिकोण

Legal Perspective
• भारत की विदेश नीति में सॉफ्ट पावर को संविधान के अनुच्छेद 51 (“अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देना”) के अंतर्गत देखा जा सकता है।
• सांस्कृतिक विरासत अधिनियमों (जैसे कि प्राचीन स्मारक अधिनियम) के माध्यम से सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा की जाती है।


सामाजिक और वैश्विक प्रभाव

Social and Global Impacts

• सॉफ्ट पावर के कारण भारत की छवि “Hard Power से इतर एक शांतिपूर्ण राष्ट्र” के रूप में बन रही है।
• वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका—UN, WHO, SCO, BRICS—में सॉफ्ट पावर की भूमिका निर्णायक रही है।
• अमेरिका में सॉफ्ट पावर की गिरावट से उसकी विश्वसनीयता पर असर पड़ा है, जबकि भारत “Trustworthy Global Partner” के रूप में उभरा है।


UPSC परीक्षा प्रासंगिक बिंदु

UPSC Exam Relevant Points

Soft Power: परिभाषा, जोसेफ नाई द्वारा प्रस्तावना
भारत और अमेरिका की सॉफ्ट पावर रणनीतियाँ
Vaccine Maitri, Yoga Day जैसे भारत के प्रयास
Comparative Analysis Framework (Mains उत्तर लेखन के लिए उपयुक्त)
GS Paper II: International Relations & Indian Foreign Policy
GS Paper IV: Ethics – Role of Soft Power in Global Morality
निबंध पेपर के लिए प्रासंगिक विषय: “Hard Power बनाम Soft Power”


बेम्सटेक (BIMSTEC) – बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग हेतु बंगाल की खाड़ी पहल

Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation (BIMSTEC)


चर्चा में क्यों? (Why in News?)

• भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में कहा कि बेम्सटेक को वर्तमान वैश्विक परिवर्तनों के बीच एक महत्त्वाकांक्षी और गतिशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
• उन्होंने ज़ोर दिया कि वैश्विक व्यवस्था अधिक क्षेत्रीय और मुद्दा-आधारित (agenda-specific) हो रही है, ऐसे में बेम्सटेक की भूमिका और महत्त्व बढ़ गया है।


बेम्सटेक क्या है? (What is BIMSTEC?)

• बेम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 1997 में की गई थी।
• इसका उद्देश्य आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है।
• इसमें बंगाल की खाड़ी से सटे 7 देश सदस्य हैं:
• बांग्लादेश
• भारत
• म्यांमार
• श्रीलंका
• थाईलैंड
• नेपाल
• भूटान


मुख्य उद्देश्य (Main Objectives)

विकास और समृद्धि के लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
• व्यापार, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, स्वास्थ्य, कृषि, जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी
ASEAN और SAARC के बीच सेतु का कार्य करना।


महत्त्व (Significance)

• यह संगठन दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ता है।
• बंगाल की खाड़ी क्षेत्र को रणनीतिक रूप से सुरक्षित और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में योगदान देता है।
• चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) के मुकाबले विकसित क्षेत्रीय मंच के रूप में उभरने की क्षमता।


चुनौतियाँ (Challenges)

• सदस्य देशों के बीच असमान विकास स्तर और प्राथमिकताएँ
• संस्थागत तंत्र की कमज़ोरी और क्रियान्वयन में धीमापन
• SAARC की तरह यह भी राजनीतिक विवादों से प्रभावित हो सकता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

बेम्सटेक को एक सक्रिय, आधुनिक और लचीली क्षेत्रीय संस्था के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। वर्तमान वैश्विक अस्थिरता और क्षेत्रीय गठबंधनों के पुनर्गठन के दौर में, बेम्सटेक भारत की एक्ट ईस्ट नीति और नीली अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों को साकार करने का एक प्रभावी माध्यम हो सकता है।


यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु (UPSC Exam Relevant Points)

• BIMSTEC की स्थापना – 1997
• सदस्य देश – 7 (बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, भूटान)
• मुख्य उद्देश्य – बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग
• भारत की एक्ट ईस्ट नीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका
• हालिया टिप्पणी – एस. जयशंकर द्वारा बेम्सटेक को और महत्त्वाकांक्षी बनाने का आह्वान
SAARC का विकल्प बनने की क्षमता

कच्चथीवु द्वीप (Katchatheevu Island) – Daily Current Affairs

चर्चा में क्यों? (Why in News?)

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा से पहले, तमिलनाडु विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है।
  • इस प्रस्ताव में कच्चथीवु द्वीप को भारत को पुनः प्राप्त करने हेतु केंद्र सरकार से आवश्यक कदम उठाने की माँग की गई है।

कच्चथीवु द्वीप का इतिहास (Historical Background)

• कच्चथीवु, रामेश्वरम और जाफना (श्रीलंका) के बीच स्थित एक छोटा निर्जन द्वीप है।
1974 में भारत और श्रीलंका के बीच हुए समझौते के तहत भारत ने यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था
• यह समझौता “इंदिरा गांधी – श्रीमावो बंडारनायके समझौता” के नाम से भी जाना जाता है।
• समझौते के तहत भारतीय मछुआरों को द्वीप के तट पर आवागमन और धार्मिक गतिविधियों (संत एंथनी चर्च के दर्शन) की अनुमति दी गई थी।


विवाद का कारण (Cause of Dispute)

• तमिलनाडु के मछुआरों का आरोप है कि श्रीलंकाई नौसेना उन्हें कच्चथीवु के पास मछली पकड़ने से रोकती है
• श्रीलंका का दावा है कि यह द्वीप उसकी संप्रभुता का हिस्सा है और भारतीय मछुआरों की गतिविधियाँ अवैध हैं।
• भारत सरकार का कहना है कि यह संप्रभुता का विषय नहीं, बल्कि मत्स्य क्षेत्र विवाद है।


वर्तमान स्थिति (Current Scenario)

• तमिलनाडु सरकार केंद्र से कच्चथीवु को पुनः भारत में शामिल करने की माँग कर रही है।
• भारत सरकार ने अब तक द्वीप की वापसी के संबंध में कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं शुरू की है।
• यह मुद्दा भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंधों में संवेदनशील और रणनीतिक महत्व रखता है।


भारत-श्रीलंका मछुआरा विवाद

  • भारतीय मछुआरे, विशेषकर तमिलनाडु से, अक्सर कच्चतीवू (Katchatheevu) के आसपास के जलक्षेत्र में मछली पकड़ने जाते हैं
  • श्रीलंकाई नौसेना ऐसे मामलों में भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लेती है, यह आरोप लगाकर कि वे श्रीलंकाई जलसीमा में अवैध रूप से मछली पकड़ रहे हैं
  • तमिलनाडु के मछुआरे कच्चतीवू क्षेत्र में पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकार का दावा करते हैं
  • श्रीलंका सरकार का तर्क है कि इस क्षेत्र में मछली की संख्या घट रही है, और भारतीय मछुआरों की गतिविधियाँ समुद्री सीमा का उल्लंघन हैं

धार्मिक महत्त्व

  • कच्चतीवू द्वीप पर स्थित “सेंट एंथोनी चर्च” धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
  • यहाँ हर वर्ष कैथोलिक उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें भारत और श्रीलंका दोनों देशों के तीर्थयात्री शामिल होते हैं
  • यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का प्रतीक माना जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

  • कच्चथीवु द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच भू-राजनीतिक और समुद्री विवाद का केंद्र है।
  • यह न केवल तमिल मछुआरों की आजीविका से जुड़ा है, बल्कि राष्ट्रीय हितों और समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है।
  • इस विषय में कूटनीतिक प्रयासों और क्षेत्रीय सहमति की आवश्यकता है।

यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु (UPSC Exam Relevant Points)

कच्चथीवु द्वीप – भारत और श्रीलंका के बीच विवादित द्वीप।
1974 समझौता – भारत ने द्वीप श्रीलंका को सौंपा।
तमिल मछुआरों की समस्याएँ – मछली पकड़ने में अवरोध।
सुरक्षा और कूटनीति से जुड़ा मुद्दा
तमिलनाडु विधानसभा का हालिया प्रस्ताव – द्वीप को पुनः प्राप्त करने की माँग।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *