अगर आपका सपना PT 2025 में शानदार सफलता पाना है, तो यह मौका आपके लिए है! मैं सभी विषयों के लिए एक संपूर्ण अध्ययन सामग्री तैयार कर रहा हूँ, जो आपकी तैयारी को आसान, प्रभावी और सुनियोजित बनाएगी।

Daily Current Affairs For UPSC IAS | 02 April 2025

DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 02 April 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.

DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination

Daily Archive

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 (Energy Statistics India 2025) – Current Affairs

चर्चा में क्यों? (Why in News?)

  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने “ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025” रिपोर्ट जारी की है।
  • यह रिपोर्ट भारत के ऊर्जा भंडार, उत्पादन, खपत, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा दक्षता पर विस्तृत डेटा प्रदान करती है।
  • यह नीतिगत निर्णयों और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

प्रमुख निष्कर्ष (Key Findings)

1. ऊर्जा उत्पादन और खपत (Energy Production and Consumption)

• भारत की कुल प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि दर्ज की गई।
कोयला और पेट्रोलियम उत्पाद अभी भी भारत की प्रमुख ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का योगदान धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

2. ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी (Share of Energy Sources)

कोयला (Coal): भारत में कुल ऊर्जा खपत का सबसे बड़ा स्रोत।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस: परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका।
नवीकरणीय ऊर्जा: सौर, पवन और जलविद्युत का योगदान बढ़ा।
परमाणु ऊर्जा: बिजली उत्पादन में सीमित लेकिन स्थिर भूमिका निभा रही है।

3. नवीकरणीय ऊर्जा की वृद्धि (Growth of Renewable Energy)

• भारत सरकार के राष्ट्रीय सौर मिशन और पवन ऊर्जा परियोजनाओं ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
• 2025 तक, 100 GW से अधिक सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित होने का अनुमान।

Daily current affairs, UPSC PRELIMS and Mains Examination

4. ऊर्जा दक्षता और बचत (Energy Efficiency and Conservation)

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा ऊर्जा बचत और कुशल ऊर्जा खपत को बढ़ावा देने के प्रयास।
ऊर्जा गहन उद्योगों में दक्षता बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधार।

सरकार की पहल (Government Initiatives)

1. उजाला योजना (UJALA Scheme)

एलईडी बल्ब और उपकरणों के माध्यम से ऊर्जा खपत में कमी।

2. राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा मिशन (National Bio-Energy Mission)

बायोगैस और बायोमास आधारित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा।

3. फेम योजना (FAME Scheme)

इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए।

4. ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (Green Hydrogen Mission)

स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर भारत का अग्रसर होना।

निष्कर्ष (Conclusion)

  • भारत ऊर्जा परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जहाँ पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में संतुलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार की नीतियाँ और निवेश बढ़ रहे हैं
  • नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है ताकि ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।

यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु (UPSC Exam Relevant Points)

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025 रिपोर्ट राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा प्रकाशित।
भारत की प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में कोयले की प्रमुख भूमिका
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का तेजी से विकास
सरकार की प्रमुख ऊर्जा पहल: उजाला योजना, फेम योजना, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन।
ऊर्जा दक्षता और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के लिए ऊर्जा प्रबंधन आवश्यक

भारतीयों के लिये दोहरी नागरिकता पर विमर्श (Debate on Dual Citizenship for Indians) – Current Affairs

चर्चा में क्यों? (Why in News?)

  • भारत में दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) को लेकर फिर से विमर्श शुरू हो गया है।
  • भारत के पास विश्व का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जो विभिन्न देशों में व्यापार, तकनीकी क्षेत्र, शिक्षा और शोध में योगदान दे रहा है।
  • वर्तमान में प्रवासियों को केवल ओवरसीज़ सिटिजनशिप ऑफ़ इंडिया (OCI) का दर्जा प्राप्त है, लेकिन यह पूर्ण नागरिकता प्रदान नहीं करता।
  • वैश्विक स्तर पर प्रवासी नीतियों में बदलाव के कारण यह बहस तेज़ हो गई है कि क्या भारत को अपनी नागरिकता नीति में बदलाव करना चाहिए।

भारत में नागरिकता का वर्तमान परिदृश्य (Current Citizenship Scenario in India)

  • भारतीय संविधान एकल नागरिकता (Single Citizenship) की अवधारणा पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि भारतीय नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करने पर भारतीय नागरिकता खो देते हैं
  • नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है।
  • भारत दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता, लेकिन प्रवासी भारतीयों को कुछ विशेषाधिकार देने के लिए OCI (Overseas Citizenship of India) कार्ड प्रदान करता है।

OCI और दोहरी नागरिकता में अंतर (Difference Between OCI and Dual Citizenship)

OCI (Overseas Citizenship of India)दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship)
यह भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को कुछ विशेषाधिकार देता है।दोहरी नागरिकता का अर्थ है कि व्यक्ति दो देशों की पूरी नागरिकता रख सकता है।
OCI धारकों को भारत में रोजगार, संपत्ति खरीदने, और अनिवासी भारतीयों (NRIs) की तरह अधिकार मिलते हैं।दोहरी नागरिकता रखने वाले व्यक्ति दोनों देशों के मतदान, सरकारी नौकरियों और संवैधानिक अधिकारों का लाभ उठा सकते हैं।
OCI धारकों को भारत में वोट देने, सरकारी नौकरी पाने और संवैधानिक पद ग्रहण करने का अधिकार नहीं होतादोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति को दोनों देशों में समान अधिकार प्राप्त होते हैं।
OCI को किसी भी समय भारत सरकार द्वारा रद्द किया जा सकता हैदोहरी नागरिकता कानूनी रूप से स्थायी होती है और इसे वापस लेना कठिन होता है।

दोहरी नागरिकता के पक्ष में तर्क (Arguments in Favor of Dual Citizenship)

1. वैश्विक अवसरों का लाभ (Leveraging Global Opportunities)

  • प्रवासी भारतीयों को व्यवसाय, शिक्षा, अनुसंधान और निवेश में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी।
  • भारतीय प्रतिभाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और नवाचार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

2. प्रवासी भारतीयों के लिए भारत से संबंध बनाए रखना (Stronger Ties with Indian Diaspora)

  • भारत के प्रवासी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • दोहरी नागरिकता से प्रवासी भारतीयों को भारत में अधिक निवेश करने और अपनी जड़ों से जुड़े रहने का अवसर मिलेगा

3. विदेशों में भारतीय समुदाय को अधिक सुरक्षा (Better Protection for Indian Diaspora Abroad)

  • जिन भारतीयों को दूसरे देशों की नागरिकता लेनी पड़ती है, वे अक्सर अपने भारतीय मूल के कारण भेदभाव का सामना करते हैं।
  • यदि उन्हें दोहरी नागरिकता दी जाती है, तो वे संकट के समय भारतीय सरकार से अधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

4. निवेश और आर्थिक विकास (Boosting Investment and Economic Growth)

  • दोहरी नागरिकता भारतीय प्रवासियों को भारत में रियल एस्टेट, स्टार्टअप्स, और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
  • इससे रोज़गार सृजन और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

दोहरी नागरिकता के विपक्ष में तर्क (Arguments Against Dual Citizenship)

1. राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएँ (National Security Concerns)

  • दोहरी नागरिकता के चलते दो देशों की नीतियों में टकराव की संभावना बढ़ सकती है।
  • कुछ देशों में भारतीय नागरिकों की राजनीतिक विचारधारा, धार्मिक मान्यताओं या सुरक्षा मुद्दों पर असहमति हो सकती है, जिससे भारत की सुरक्षा नीति प्रभावित हो सकती है।

2. मताधिकार और राजनीतिक हस्तक्षेप (Voting Rights and Political Interference)

  • यदि प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार मिल जाता है, तो वे भारत की राजनीति में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाल सकते हैं, जबकि वे भारत में नहीं रहते।
  • इससे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में बाहरी हस्तक्षेप का खतरा हो सकता है।

3. कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियाँ (Legal and Administrative Challenges)

  • दोहरी नागरिकता की नीति लागू करने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में बड़े बदलाव करने होंगे।
  • प्रशासनिक रूप से दोहरी नागरिकता के मामलों की देखरेख करना और धोखाधड़ी को रोकना कठिन हो सकता है।

4. अन्य देशों से कूटनीतिक जटिलताएँ (Diplomatic Complexities with Other Nations)

  • यदि भारत दोहरी नागरिकता प्रदान करता है, तो उसे यह भी तय करना होगा कि किन देशों के साथ यह सुविधा दी जाए।
  • इससे भारत के कुछ रणनीतिक साझेदार देशों के साथ कूटनीतिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं

निष्कर्ष (Conclusion)

  • भारत को प्रवासी भारतीयों के हितों की रक्षा और देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता के बीच संतुलन बनाना होगा।
  • यदि दोहरी नागरिकता की अनुमति दी जाती है, तो इसके लिए स्पष्ट नियम और शर्तें तय करनी होंगी।
  • सरकार को प्रवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत अध्ययन और राष्ट्रीय बहस की जरूरत है ताकि एक व्यापक और व्यावहारिक नीति बनाई जा सके।

यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु (UPSC Exam Relevant Points)

• भारत में नागरिकता से संबंधित प्रमुख प्रावधान नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत आते हैं।
• भारत दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता लेकिन प्रवासियों को OCI कार्ड जारी करता है।
• OCI और दोहरी नागरिकता में मुख्य अंतर यह है कि OCI धारकों को मतदान और सरकारी नौकरियों का अधिकार नहीं होता
• दोहरी नागरिकता की अनुमति देने से भारत में सुरक्षा, कूटनीति, प्रशासन और राजनीतिक प्रक्रियाओं पर प्रभाव पड़ सकता है।
• प्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने के लिए भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस और निवेश प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की हैं।

भारत में कपास उत्पादन में गिरावट (Decline in Cotton Production in India) – Daily Current Affairs

चर्चा में क्यों? (Why in News?)

  • भारत, जो कभी विश्व का सबसे बड़ा कपास उत्पादक और निर्यातक था, अब कपास उत्पादन में तेज़ गिरावट का सामना कर रहा है।
  • इसका मुख्य कारण तकनीकी प्रगति की कमी, नीतिगत निष्क्रियता, जलवायु परिवर्तन, और किसानों की समस्याएँ हैं।
  • उत्पादन में गिरावट से कपड़ा उद्योग, निर्यात और किसानों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

भारत में कपास उत्पादन की स्थिति (Current Status of Cotton Production in India)

  • भारत कपास उत्पादन में चीन और अमेरिका के बाद प्रमुख देशों में शामिल है।
  • महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान कपास उत्पादन के मुख्य राज्य हैं।
  • कपास उत्पादन का लगभग 75% हिस्सा बारिश-आधारित कृषि पर निर्भर है, जिससे यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
  • कपास का प्रमुख उपयोग कपड़ा उद्योग और निर्यात में होता है, जिससे यह अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।

कपास उत्पादन में गिरावट के कारण (Reasons for Decline in Cotton Production)

1. तकनीकी प्रगति की कमी (Lack of Technological Advancement)

  • भारत में कपास की खेती में नई और उन्नत बीज प्रौद्योगिकी (जैसे कि GM और BT Cotton के उन्नत संस्करण) की कमी है।
  • उत्पादकता में वृद्धि के लिए नवाचार और शोध पर कम ध्यान दिया जा रहा है।
  • चीन और अमेरिका नए तकनीकी समाधान अपनाकर अपनी उत्पादकता बढ़ा रहे हैं।

2. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव (Climate Change Impact)

  • अनियमित वर्षा, सूखा और कीट प्रकोप के कारण कपास की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है।
  • उच्च तापमान और नमी में असंतुलन के कारण कपास की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

3. नीतिगत और प्रशासनिक समस्याएँ (Policy and Governance Issues)

  • सरकार द्वारा नई कृषि तकनीकों और बीज अनुसंधान को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है।
  • किसानों को उचित समर्थन मूल्य और सब्सिडी न मिलने के कारण वे अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।
  • कपास निर्यात नीति में अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे निर्यातकों और किसानों को नुकसान हो रहा है।

4. किसानों की समस्याएँ (Farmers’ Issues)

  • उच्च उत्पादन लागत, कीटनाशकों पर बढ़ती निर्भरता और कर्ज का बोझ किसानों को परेशान कर रहा है।
  • छोटे किसानों के पास आधुनिक मशीनरी और सिंचाई सुविधाओं की कमी है, जिससे उनकी पैदावार प्रभावित हो रही है।

निष्कर्ष (Conclusion)

  • भारत को कपास उत्पादन में आई गिरावट को रोकने के लिए नई तकनीकों को अपनाने, किसानों को समर्थन देने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल नीतियाँ बनाने की जरूरत है।
  • अनुसंधान और विकास (R&D), निर्यात नीति में सुधार, और कृषि अवसंरचना को मजबूत करना इस समस्या के समाधान में मदद कर सकते हैं।

यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु (UPSC Exam Relevant Points)

• भारत विश्व में कपास उत्पादन में तीसरे स्थान पर है।
• महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान प्रमुख कपास उत्पादक राज्य हैं।
• कपास उत्पादन में गिरावट के प्रमुख कारण तकनीकी पिछड़ापन, जलवायु परिवर्तन, नीतिगत अस्थिरता और किसानों की समस्याएँ हैं।
• कपास भारत के कपड़ा उद्योग और निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है।
• सरकार द्वारा राष्ट्रीय कपास नीति और तकनीकी मिशनों के तहत कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *