चर्चा में क्यों
वर्तमान कर प्रणाली, विशेष रूप से माल और सेवा कर (जीएसटी) ढांचे के तहत, विकास को धीमा कर देती है जो व्यापार विकास में बाधा डालती है, खपत को दबाती है और भारत की निवेश प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती है।
भारत की कर प्रणाली आर्थिक विकास और सरकारी राजस्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, जटिल कर ढांचा, अनुपालन बोझ, और बार-बार बदलती नीतियाँ व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए कई चुनौतियाँ पेश करती हैं। सुधारों के बिना, यह प्रणाली व्यापार के अनुकूल नहीं बन पाएगी।
1. भारत में कर प्रणाली (Tax System in India)
भारत की कर संरचना दो स्तरों पर आधारित है, जहाँ केंद्र और राज्य दोनों कर लगाते हैं। करों को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जाता है:
(A) प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes)
🔹 आयकर (Income Tax): व्यक्तियों और कंपनियों की आय पर लगाया जाता है।
🔹 कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax): कंपनियों द्वारा अर्जित लाभ पर कर।
🔹 पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax): संपत्तियों या निवेश पर लाभ होने पर लगाया जाने वाला कर।
(B) अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes)
🔹 वस्तु एवं सेवा कर (GST): वस्तुओं और सेवाओं पर बहु-दर कर।
🔹 कस्टम ड्यूटी: आयात और निर्यात पर लगाया जाने वाला कर।
🔹 एक्साइज ड्यूटी: देश में निर्मित वस्तुओं पर कर (अब ज्यादातर GST में समाहित)।
2. वस्तु एवं सेवा कर (GST) क्या है?
GST एक बहु-चरणीय, गंतव्य-आधारित कर प्रणाली है, जिसे अप्रत्यक्ष करों को सरल बनाने के लिए 2017 में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक कर” प्रणाली स्थापित करना था।
GST की मुख्य विशेषताएँ
✅ बहु-दर प्रणाली: 5%, 12%, 18% और 28% (आवश्यक वस्तुओं पर कम, विलासिता वस्तुओं पर अधिक)।
✅ इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC): व्यवसायों को उनके द्वारा भुगतान किए गए कर का क्रेडिट मिलता है।
✅ डिजिटल कर प्रणाली: कर फाइलिंग और अनुपालन के लिए जीएसटीएन (GSTN) पोर्टल।
✅ द्वैत कर प्रणाली:
- CGST (केंद्र सरकार का हिस्सा) और SGST (राज्य सरकार का हिस्सा) राज्यों के भीतर लेन-देन के लिए।
- IGST (संघीय कर) अंतर्राज्यीय लेन-देन के लिए।
3. वर्तमान कर प्रणाली की चुनौतियाँ (Challenges in the Current Taxation System)
(A) प्रत्यक्ष कर से संबंधित चुनौतियाँ
🚩 कर चोरी और कर विवाद: कई व्यवसाय और व्यक्ति अपनी वास्तविक आय छुपाते हैं, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है।
🚩 जटिल कर अनुपालन: फाइलिंग प्रक्रिया छोटी कंपनियों और व्यक्तियों के लिए जटिल बनी हुई है।
🚩 अस्थिर कर नीति: बार-बार कर कानूनों में बदलाव से निवेशकों और व्यापारियों को अनिश्चितता रहती है।
(B) जीएसटी और अप्रत्यक्ष कर से संबंधित चुनौतियाँ
🚩 बहु-दर प्रणाली: कर की विभिन्न दरें (5%, 12%, 18%, 28%) इसे जटिल बनाती हैं।
🚩 फ्रीक्वेंट बदलाव: कर नीति में बार-बार परिवर्तन व्यापार स्थिरता को प्रभावित करता है।
🚩 रिफंड और ITC में देरी: छोटे व्यापारियों के लिए नकदी प्रवाह की समस्या।
🚩 उच्च अनुपालन लागत: छोटे व्यवसायों को GST फाइलिंग में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
4. जटिल कर संरचना के परिणाम (Consequences of Complex Tax Structure)
🚩 उपभोक्ता पर बढ़ता बोझ: अधिक कर दरें वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ाती हैं, जिससे मांग कम होती है।
🚩 व्यापारिक माहौल पर प्रभाव: स्टार्टअप्स और छोटे व्यापार उच्च अनुपालन लागत के कारण संघर्ष करते हैं।
🚩 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर असर: अस्थिर कर नीति और जटिलता निवेशकों को हतोत्साहित करती है।
🚩 अर्थव्यवस्था की सुस्ती: व्यापार की कठिनाइयों के कारण आर्थिक गतिविधियाँ धीमी हो जाती हैं।
5. आगे का मार्ग (Way Forward)
(A) कर प्रणाली को सरल बनाना
✅ जीएसटी के तहत कर दरों को केवल दो या तीन तक सीमित करना।
✅ प्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना ताकि कर चोरी को कम किया जा सके।
✅ कर विवादों के समाधान के लिए तेजी से निपटान तंत्र लागू करना।
(B) डिजिटल परिवर्तन और पारदर्शिता
✅ कर फाइलिंग और अनुपालन प्रक्रियाओं को पूरी तरह स्वचालित और ऑनलाइन करना।
✅ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा विश्लेषण का उपयोग कर कर धोखाधड़ी को रोकना।
✅ कर रिफंड और ITC दावों की प्रक्रिया को तेज और स्वचालित करना।
(C) निवेश और MSME को बढ़ावा देना
✅ स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के लिए कर राहत दी जानी चाहिए।
✅ छोटे व्यापारियों के लिए अनुपालन प्रक्रिया सरल और कम लागत वाली होनी चाहिए।
✅ सरकार को स्थिर कर नीतियाँ अपनानी चाहिए, ताकि दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा मिले।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
भारत की कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और व्यापार-अनुकूल बनाने की आवश्यकता है। जीएसटी और प्रत्यक्ष करों में सुधार से उपभोक्ता खर्च, निवेश, और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। यदि सरकार कर दरों को तर्कसंगत बनाती है, अनुपालन को सरल करती है, और एक स्थिर कर नीति लागू करती है, तो भारत वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए एक मजबूत केंद्र बन सकता है।
यह विषय UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से अर्थव्यवस्था, कर नीति और व्यापार सुधार से जुड़े प्रश्नों के लिए।
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