समाचार में क्यों?
• लिथुआनिया ने “क्लस्टर हथियार संधि” (Convention on Cluster Munitions – CCM) से बाहर निकलने की घोषणा की।
• लिथुआनिया ने इसका कारण रूस के आक्रामक रवैये से उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं को बताया।
• मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की आलोचना की क्योंकि क्लस्टर हथियारों का उपयोग आम नागरिकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
क्लस्टर हथियार (Cluster Munitions) क्या हैं?
• क्लस्टर बम वे हथियार होते हैं जो हवा या ज़मीन से गिराए जाते हैं और छोटे-छोटे विस्फोटकों (submunitions) में बंट जाते हैं।
• ये विस्फोटक व्यापक क्षेत्र में फैलते हैं और बड़े पैमाने पर विनाश और हताहत करने की क्षमता रखते हैं।
• इनका मुख्य खतरा यह है कि कई बार कुछ उप-गोले (bomblets) तुरंत नहीं फटते, जिससे वे भविष्य में नागरिकों के लिए खतरा बने रहते हैं।
क्लस्टर हथियार संधि (Convention on Cluster Munitions – CCM) क्या है?
• यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो क्लस्टर हथियारों के उपयोग, उत्पादन, भंडारण और स्थानांतरण को प्रतिबंधित करती है।
• इसे 2008 में अपनाया गया था और 2010 में लागू हुआ।
• इस संधि के तहत सदस्य देशों को अपने क्लस्टर हथियार नष्ट करने और पीड़ितों की सहायता करने की जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्य विशेषताएँ:
• क्लस्टर हथियारों का पूर्ण प्रतिबंध।
• पहले से मौजूद हथियारों को नष्ट करने की अनिवार्यता।
• युद्ध से प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने का दायित्व।
• अब तक 123 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन अमेरिका, रूस, चीन, भारत और पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं हैं।
लिथुआनिया के हटने के पीछे कारण:
• रूस के पड़ोसी देश के रूप में लिथुआनिया को सुरक्षा चिंता है।
• रूस क्लस्टर हथियारों का उपयोग कर सकता है, इसलिए लिथुआनिया भी इस हथियार को अपने रक्षा सिस्टम में बनाए रखना चाहता है।
• नाटो (NATO) देशों में से कुछ ने यूक्रेन को क्लस्टर हथियार देने का समर्थन किया है, जिससे यह मुद्दा और विवादास्पद बन गया है।
भारत का रुख
• भारत ने अब तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
• भारत का मानना है कि क्लस्टर हथियारों का सीमित उपयोग सामरिक दृष्टि से आवश्यक हो सकता है।
• भारत की नीति यह है कि सभी देशों को सर्वसम्मति से और व्यावहारिक समाधान खोजकर ऐसे प्रतिबंध लागू करने चाहिए।
क्लस्टर हथियारों के उपयोग से जुड़े खतरे
• नागरिकों के लिए खतरा – कई बार विस्फोटक अवशेष (unexploded bomblets) आम लोगों के लिए जानलेवा साबित होते हैं।
• युद्ध के बाद भी खतरा बना रहता है – वर्षों तक ऐसे विस्फोटक ज़मीन पर पड़े रहते हैं और निर्दोष लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं।
• मानवाधिकारों का उल्लंघन – कई बार इनका उपयोग युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकता है।
निष्कर्ष
लिथुआनिया का CCM से बाहर निकलना वैश्विक सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत है।
क्लस्टर हथियारों पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने और अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने की आवश्यकता है, ताकि युद्ध के मानवीय प्रभावों को कम किया जा सके।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 2:
• अंतरराष्ट्रीय संधियाँ और भारत की भूमिका।
• वैश्विक सुरक्षा और शांति प्रयास।
• नाटो (NATO) और रूस-यूक्रेन संघर्ष से जुड़े मुद्दे।
GS Paper 3:
• रक्षा प्रौद्योगिकी और युद्धक हथियार।
• अंतरराष्ट्रीय शस्त्र व्यापार और हथियारों का प्रसार।
• मानवाधिकार और युद्ध अपराध।
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