इस पेज में 73वें संशोधन से लेकर 90वाँ संशोधन तक की संविधान संशोधन दिया गया है
73. तिहत्तरवां संशोधन (1992):
पृष्ठभूमि:
पंचायती राज (स्थानीय स्वशासन) के सुधार के उद्देश्य से।
मुख्य प्रावधान:
- पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया और इनकी कार्यप्रणाली को निर्धारित किया गया।
- सभी राज्यों में पंचायतों के गठन के लिए मानक तय किए गए।
- स्थानीय सरकारों के चुनावी अधिकार को संविधान में शामिल किया गया।
- महिला आरक्षण के तहत पंचायतों में महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया।
- अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई।
प्रभाव:
- स्थानीय स्वशासन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम।
- महिलाओं और वंचित समुदायों को पंचायतों में भागीदारी का अवसर मिला।
74. चौहत्तरवां संशोधन (1992):
पृष्ठभूमि:
नगरपालिका संस्थाओं के सुधार के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- नगरपालिका संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया और इनके अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट किया गया।
- नगर निगम और नगरपालिका चुनावों में आरक्षण की व्यवस्था की गई।
- महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया।
- नगरपालिका में चुनाव प्रक्रिया को सुसंगत और पारदर्शी बनाया गया।
प्रभाव:
- नगरपालिका स्तर पर सुधार और स्थानीय सरकारों को संविधान में स्थान मिला।
- महिलाओं और कमजोर वर्गों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ा।
75. पचहत्तरवां संशोधन (1994):
पृष्ठभूमि:
केंद्र और राज्यों के बीच संसदीय क्षेत्र के वितरण और निर्वाचन संबंधी सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया को मजबूत किया गया।
- निर्वाचन आयोग को अधिक अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान की गई।
प्रभाव:
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत किया गया और निर्वाचन आयोग की शक्ति बढ़ाई गई।
76. छियत्तरवां संशोधन (1994):
पृष्ठभूमि:
राज्यपालों की शक्तियों में सुधार और उनके अधिकारों की स्पष्टता के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- राज्यपाल के चुनाव के दौरान कुछ संशोधन किए गए।
- राज्यपाल के अधिकारों को संविधान में स्पष्ट किया गया।
प्रभाव:
- राज्यपाल की भूमिका और अधिकारों में स्पष्टता आई।
77. सत्ताहत्तरवां संशोधन (1995):
पृष्ठभूमि:
केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच अधिकारों के वितरण में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- राज्य विधानसभाओं में सांसदों के आरक्षण से संबंधित बदलाव किए गए।
प्रभाव:
- राज्य और केंद्र के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित हुआ।
78. अठत्तरवां संशोधन (1995):
पृष्ठभूमि:
न्यायपालिका और प्रशासनिक सुधार के संबंध में।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायिक प्रक्रिया में सुधार किए गए।
- न्यायपालिका के अधिकारों में विस्तार किया गया।
प्रभाव:
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला।
79. उनासीवां संशोधन (2000):
पृष्ठभूमि:
संविधान में शिक्षा संबंधी प्रावधानों में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- शिक्षा के अधिकार को संविधान में शामिल किया गया।
- शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की गई।
प्रभाव:
- शिक्षा का अधिकार भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों के रूप में स्थापित हुआ।
80. अस्सीवां संशोधन (2000):
पृष्ठभूमि:
लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में सुधार के उद्देश्य से।
मुख्य प्रावधान:
- चुनाव प्रक्रिया में सुधार किया गया।
- महिला आरक्षण और वंचित वर्गों के आरक्षण को बढ़ावा दिया गया।
प्रभाव:
- लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पारदर्शिता और सुधार आया।
81. इक्यासीवां संशोधन (2000):
पृष्ठभूमि:
न्यायपालिका के अधिकारों में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायिक स्वतंत्रता को और सुदृढ़ करने के लिए प्रावधान किए गए।
प्रभाव:
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता बढ़ी।
82. बयासीवां संशोधन (2002):
पृष्ठभूमि:
न्यायिक प्रक्रिया में सुधार के उद्देश्य से।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार और न्यायालयों के अधिकार बढ़ाए गए।
प्रभाव:
- न्यायालयों में सुधार और न्यायिक स्वतंत्रता में वृद्धि हुई।
83. तिरासीवां संशोधन (2002):
पृष्ठभूमि:
स्थानीय स्वशासन और राजनीतिक अधिकारों के विस्तार के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- स्थानीय सरकारों में सुधार और राजनीतिक अधिकारों का विस्तार किया गया।
प्रभाव:
- स्थानीय स्वशासन को संविधान में मजबूत किया गया।
84. चौरासीवां संशोधन (2002):
पृष्ठभूमि:
संविधान की कार्यप्रणाली और लोकतांत्रिक सुधार के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- लोकतांत्रिक सुधार के लिए कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए।
प्रभाव:
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधार और शासन प्रणाली में परिवर्तन हुआ।
85. पचासीवां संशोधन (2002):
पृष्ठभूमि:
संविधान में प्रशासनिक सुधार के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- प्रशासनिक सुधार और न्यायिक प्राधिकरण की दिशा में सुधार।
प्रभाव:
- प्रशासनिक सुधार के तहत न्यायिक और सरकार के अधिकारों में स्पष्टता आई।
86. छियासीवां संशोधन (2002):
पृष्ठभूमि:
चुनावी प्रक्रिया में सुधार और राज्य सरकारों के अधिकार के संदर्भ में।
मुख्य प्रावधान:
- चुनाव प्रक्रिया में सुधार किया गया और राज्य सरकारों के अधिकार में बदलाव किए गए।
प्रभाव:
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया और चुनावों में सुधार हुआ।
87. सत्तासीवां संशोधन (2003):
पृष्ठभूमि:
निर्वाचन आयोग और राज्यपाल के अधिकारों में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- निर्वाचन आयोग के अधिकारों में वृद्धि की गई।
प्रभाव:
- निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता और सशक्तता बढ़ी।
88. अठासीवां संशोधन (2004):
पृष्ठभूमि:
शिक्षा और बच्चों के अधिकारों से संबंधित प्रावधान।
मुख्य प्रावधान:
- बच्चों के अधिकारों और शिक्षा के अधिकार पर जोर दिया गया।
प्रभाव:
- बच्चों की शिक्षा और विकास में सुधार हुआ।
89. नवासीवां संशोधन (2005):
पृष्ठभूमि:
प्रशासनिक सुधार और स्थानीय स्वशासन से संबंधित।
मुख्य प्रावधान:
- स्थानीय स्वशासन और लोकतांत्रिक अधिकारों को सशक्त किया गया।
प्रभाव:
- लोकतंत्र और स्थानीय सरकार में सुधार हुआ।
90. नब्बेवां संशोधन (2005):
पृष्ठभूमि:
लोकतांत्रिक सुधार और संविधान के अधिकारों में बदलाव।
मुख्य प्रावधान:
- संविधान के अधिकारों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए।
प्रभाव:
- लोकतंत्र और संविधान में स्थिरता आई।



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