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संविधान संशोधन अधिनियम | Constitution Ammendment Act (1-105)

Constitution ammendment act 1 se lekar 105 tk

इस पेज में 73वें संशोधन से लेकर 90वाँ संशोधन तक की संविधान संशोधन दिया गया है


73. तिहत्तरवां संशोधन (1992):

पृष्ठभूमि:

पंचायती राज (स्थानीय स्वशासन) के सुधार के उद्देश्य से।

मुख्य प्रावधान:

  1. पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया और इनकी कार्यप्रणाली को निर्धारित किया गया।
  2. सभी राज्यों में पंचायतों के गठन के लिए मानक तय किए गए।
  3. स्थानीय सरकारों के चुनावी अधिकार को संविधान में शामिल किया गया।
  4. महिला आरक्षण के तहत पंचायतों में महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया।
  5. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई।

प्रभाव:

  • स्थानीय स्वशासन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम।
  • महिलाओं और वंचित समुदायों को पंचायतों में भागीदारी का अवसर मिला।

74. चौहत्तरवां संशोधन (1992):

पृष्ठभूमि:

नगरपालिका संस्थाओं के सुधार के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. नगरपालिका संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया और इनके अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट किया गया।
  2. नगर निगम और नगरपालिका चुनावों में आरक्षण की व्यवस्था की गई।
  3. महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया।
  4. नगरपालिका में चुनाव प्रक्रिया को सुसंगत और पारदर्शी बनाया गया।

प्रभाव:

  • नगरपालिका स्तर पर सुधार और स्थानीय सरकारों को संविधान में स्थान मिला।
  • महिलाओं और कमजोर वर्गों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ा।

75. पचहत्तरवां संशोधन (1994):

पृष्ठभूमि:

केंद्र और राज्यों के बीच संसदीय क्षेत्र के वितरण और निर्वाचन संबंधी सुधार।

मुख्य प्रावधान:

  1. निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया को मजबूत किया गया।
  2. निर्वाचन आयोग को अधिक अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान की गई।

प्रभाव:

  • लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत किया गया और निर्वाचन आयोग की शक्ति बढ़ाई गई।

76. छियत्तरवां संशोधन (1994):

पृष्ठभूमि:

राज्यपालों की शक्तियों में सुधार और उनके अधिकारों की स्पष्टता के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. राज्यपाल के चुनाव के दौरान कुछ संशोधन किए गए।
  2. राज्यपाल के अधिकारों को संविधान में स्पष्ट किया गया।

प्रभाव:

  • राज्यपाल की भूमिका और अधिकारों में स्पष्टता आई।

77. सत्ताहत्तरवां संशोधन (1995):

पृष्ठभूमि:

केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच अधिकारों के वितरण में सुधार।

मुख्य प्रावधान:

  1. राज्य विधानसभाओं में सांसदों के आरक्षण से संबंधित बदलाव किए गए।

प्रभाव:

  • राज्य और केंद्र के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित हुआ।

78. अठत्तरवां संशोधन (1995):

पृष्ठभूमि:

न्यायपालिका और प्रशासनिक सुधार के संबंध में।

मुख्य प्रावधान:

  1. न्यायिक प्रक्रिया में सुधार किए गए।
  2. न्यायपालिका के अधिकारों में विस्तार किया गया।

प्रभाव:

  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला।

79. उनासीवां संशोधन (2000):

पृष्ठभूमि:

संविधान में शिक्षा संबंधी प्रावधानों में सुधार।

मुख्य प्रावधान:

  1. शिक्षा के अधिकार को संविधान में शामिल किया गया।
  2. शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की गई।

प्रभाव:

  • शिक्षा का अधिकार भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों के रूप में स्थापित हुआ।

80. अस्सीवां संशोधन (2000):

पृष्ठभूमि:

लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में सुधार के उद्देश्य से।

मुख्य प्रावधान:

  1. चुनाव प्रक्रिया में सुधार किया गया।
  2. महिला आरक्षण और वंचित वर्गों के आरक्षण को बढ़ावा दिया गया।

प्रभाव:

  • लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पारदर्शिता और सुधार आया।

81. इक्यासीवां संशोधन (2000):

पृष्ठभूमि:

न्यायपालिका के अधिकारों में सुधार

मुख्य प्रावधान:

  1. न्यायिक स्वतंत्रता को और सुदृढ़ करने के लिए प्रावधान किए गए।

प्रभाव:

  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता बढ़ी।

82. बयासीवां संशोधन (2002):

पृष्ठभूमि:

न्यायिक प्रक्रिया में सुधार के उद्देश्य से।

मुख्य प्रावधान:

  1. न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार और न्यायालयों के अधिकार बढ़ाए गए।

प्रभाव:

  • न्यायालयों में सुधार और न्यायिक स्वतंत्रता में वृद्धि हुई।

83. तिरासीवां संशोधन (2002):

पृष्ठभूमि:

स्थानीय स्वशासन और राजनीतिक अधिकारों के विस्तार के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. स्थानीय सरकारों में सुधार और राजनीतिक अधिकारों का विस्तार किया गया।

प्रभाव:

  • स्थानीय स्वशासन को संविधान में मजबूत किया गया।

84. चौरासीवां संशोधन (2002):

पृष्ठभूमि:

संविधान की कार्यप्रणाली और लोकतांत्रिक सुधार के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. लोकतांत्रिक सुधार के लिए कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए।

प्रभाव:

  • लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधार और शासन प्रणाली में परिवर्तन हुआ।

85. पचासीवां संशोधन (2002):

पृष्ठभूमि:

संविधान में प्रशासनिक सुधार के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. प्रशासनिक सुधार और न्यायिक प्राधिकरण की दिशा में सुधार।

प्रभाव:

  • प्रशासनिक सुधार के तहत न्यायिक और सरकार के अधिकारों में स्पष्टता आई।

86. छियासीवां संशोधन (2002):

पृष्ठभूमि:

चुनावी प्रक्रिया में सुधार और राज्य सरकारों के अधिकार के संदर्भ में।

मुख्य प्रावधान:

  1. चुनाव प्रक्रिया में सुधार किया गया और राज्य सरकारों के अधिकार में बदलाव किए गए।

प्रभाव:

  • लोकतांत्रिक प्रक्रिया और चुनावों में सुधार हुआ।

87. सत्तासीवां संशोधन (2003):

पृष्ठभूमि:

निर्वाचन आयोग और राज्यपाल के अधिकारों में सुधार।

मुख्य प्रावधान:

  1. निर्वाचन आयोग के अधिकारों में वृद्धि की गई।

प्रभाव:

  • निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता और सशक्तता बढ़ी।

88. अठासीवां संशोधन (2004):

पृष्ठभूमि:

शिक्षा और बच्चों के अधिकारों से संबंधित प्रावधान।

मुख्य प्रावधान:

  1. बच्चों के अधिकारों और शिक्षा के अधिकार पर जोर दिया गया।

प्रभाव:

  • बच्चों की शिक्षा और विकास में सुधार हुआ।

89. नवासीवां संशोधन (2005):

पृष्ठभूमि:

प्रशासनिक सुधार और स्थानीय स्वशासन से संबंधित।

मुख्य प्रावधान:

  1. स्थानीय स्वशासन और लोकतांत्रिक अधिकारों को सशक्त किया गया।

प्रभाव:

  • लोकतंत्र और स्थानीय सरकार में सुधार हुआ।

90. नब्बेवां संशोधन (2005):

पृष्ठभूमि:

लोकतांत्रिक सुधार और संविधान के अधिकारों में बदलाव।

मुख्य प्रावधान:

  1. संविधान के अधिकारों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए।

प्रभाव:

  • लोकतंत्र और संविधान में स्थिरता आई।

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