46. छियालीसवां संशोधन (1982):
पृष्ठभूमि:
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अधिकारों को लेकर।
मुख्य प्रावधान:
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मान और लाभ देने के लिए प्रावधान।
प्रभाव:
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सामाजिक और आर्थिक लाभ मिला।
47. सैंतालीसवां संशोधन (1984):
पृष्ठभूमि:
उच्च न्यायालयों में न्यायधीशों की नियुक्ति और उनकी शक्तियों को लेकर।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव।
प्रभाव:
- न्यायपालिका के भीतर स्वतंत्रता और पारदर्शिता बढ़ी।
48. अठतालीसवां संशोधन (1984):
पृष्ठभूमि:
Parliamentary election से जुड़े प्रावधानों को अद्यतन करना।
मुख्य प्रावधान:
- लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव।
प्रभाव:
- चुनाव प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाया गया।
49. उनचासवां संशोधन (1985):
पृष्ठभूमि:
चुनाव में सुधार लाने के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- चुनाव में सशक्त सुधार।
प्रभाव:
- चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया गया।
50. पचासवां संशोधन (1985):
पृष्ठभूमि:
सरकारी कर्मचारियों के लिए भर्ती और स्थानांतरण में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- सरकारी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में सुधार।
प्रभाव:
- सरकारी कर्मचारियों के लिए पारदर्शिता और निष्पक्षता में वृद्धि।
51. इक्यावनवां संशोधन (1987):
पृष्ठभूमि:
गोवा को भारतीय राज्य का दर्जा देने के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- गोवा को राज्य का दर्जा।
प्रभाव:
- गोवा को भारतीय संघ में राज्य का दर्जा मिला।
52. 52th संशोधन (1987):
पृष्ठभूमि:
पूर्वोत्तर राज्यों के प्रशासन में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- राज्य विधानसभा के अधिकारों में वृद्धि।
प्रभाव:
- पूर्वोत्तर राज्यों की स्वायत्तता और प्रशासनिक क्षमता में सुधार।
53. तिरेपनवां संशोधन (1989):
पृष्ठभूमि:
शक्तिशाली न्यायिक प्रणाली को बनाने के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायिक सुधारों की दिशा में कदम।
प्रभाव:
- न्यायपालिका के अधिकार को बढ़ाया गया।
54. चौवनवां संशोधन (1990):
पृष्ठभूमि:
राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- लोकसभा और राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व को संतुलित किया।
प्रभाव:
- प्रतिनिधित्व की प्रक्रिया में सुधार।
55. पचपनवां संशोधन (1992):
पृष्ठभूमि:
पारliamentary seat निर्धारण और आरक्षण से संबंधित बदलाव।
मुख्य प्रावधान:
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व में सुधार।
प्रभाव:
- राजनीतिक प्रणाली में परिवर्तन और सुधार।
56. छप्पनवां संशोधन (1993):
पृष्ठभूमि:
संविधान के कुछ प्रावधानों को सुदृढ़ करने के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- संविधान में छोटे संशोधन।
प्रभाव:
- संवैधानिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुदृढ़ किया गया।
56. छप्पनवां संशोधन (1993):
पृष्ठभूमि:
संविधान में कुछ प्रशासनिक प्रावधानों और न्यायिक सुधारों के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- जिन व्यक्तियों को राजनीतिक और प्रशासनिक नियुक्तियों से जुड़े मामलों में उच्चतम न्यायालय में अपील का अधिकार नहीं था, उन्हें वह अधिकार प्रदान किया गया।
- संविधान के प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ किया।
प्रभाव:
- न्यायपालिका की शक्ति और स्वतंत्रता को सुदृढ़ किया गया।
57. सत्तावनवां संशोधन (1993):
पृष्ठभूमि:
केंद्र और राज्यों के बीच अधिकारों के वितरण में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- केंद्र और राज्यों के अधिकारों का पुनः निर्धारण किया गया।
- राज्य सरकारों के विशेष अधिकारों को नए दिशा-निर्देश दिए गए।
प्रभाव:
- केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन बढ़ाने के प्रयास किए गए।
58. अठ्ठावनवां संशोधन (1995):
पृष्ठभूमि:
न्यायिक प्रशासनिक ढांचे में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायपालिका में सुधार किए गए और उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के मामलों में नई प्रक्रिया शुरू की गई।
प्रभाव:
- न्यायपालिका के प्रभावी संचालन को बढ़ावा मिला।
59. उनसठवां संशोधन (1997):
पृष्ठभूमि:
आवश्यक सुधारों के लिए, विशेषकर संघीय व्यवस्था के तहत।
मुख्य प्रावधान:
- केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारों के बीच विशेष प्रावधानों का समावेश किया गया।
प्रभाव:
- राज्यों को केंद्र के मामलों में अधिक सहभागिता का अवसर मिला।
60. साठवां संशोधन (1997):
पृष्ठभूमि:
भारतीय संघ की संरचना को मजबूत करना।
मुख्य प्रावधान:
- सार्वजनिक उपक्रमों और संस्थाओं के अधिकारों में बदलाव किए गए।
प्रभाव:
- संघीय प्रणाली को और मजबूत किया गया।
61. इकतालीसवां संशोधन (1998):
पृष्ठभूमि:
संविधान में न्यायिक प्रक्रिया में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में उच्चतम न्यायालय के अधिकार बढ़ाए गए।
प्रभाव:
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्ति को बढ़ावा मिला।
62. बासठवां संशोधन (2002):
पृष्ठभूमि:
सामाजिक सुरक्षा और सरकारी सेवाओं में सुधार के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- शैक्षिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में आरक्षण के मुद्दे पर संशोधन।
प्रभाव:
- समाज के वंचित वर्गों को सरकारी सेवाओं में अधिक अवसर मिले।
63. तिरसठवां संशोधन (2002):
पृष्ठभूमि:
आधिकारिक तौर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के चयन के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- सभी नियुक्तियाँ राज्य के प्रशासन में उचित प्रक्रिया के तहत करने का प्रावधान।
प्रभाव:
- प्रशासनिक नियुक्तियाँ अधिक पारदर्शी और सुसंगत हुईं।
64. चौसठवां संशोधन (2003):
पृष्ठभूमि:
संविधान के कुछ प्रावधानों में बदलाव करना, विशेष रूप से चुनावी व्यवस्था के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सुधार।
प्रभाव:
- चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया गया।
65. पैंसठवां संशोधन (2003):
पृष्ठभूमि:
लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुदृढ़ करना।
मुख्य प्रावधान:
- राज्य सरकारों के अधिकारों और चुनाव प्रक्रिया को सही करने के लिए सुधार।
प्रभाव:
- राज्य सरकारों की कार्यप्रणाली को अधिक उत्तरदायी और जिम्मेदार बनाया गया।
66. छियासठवां संशोधन (2003):
पृष्ठभूमि:
संविधान में छोटे प्रशासनिक सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- कुछ राज्य विधानसभाओं में छोटे सुधार।
प्रभाव:
- प्रशासनिक प्रणाली में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए गए।
67. सत्तासठवां संशोधन (2005):
पृष्ठभूमि:
लोकसभा चुनाव प्रक्रिया और आरक्षण नीति में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- संविधान में आरक्षण से संबंधित सुधार और चुनावी प्रक्रिया में बदलाव।
प्रभाव:
- चुनाव प्रक्रिया और आरक्षण नीति को मजबूत किया गया।
68. अठ्ठासठवां संशोधन (2005):
पृष्ठभूमि:
संविधान में भारतीय संघीय ढांचे को सुधारने के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अधिकारों के वितरण में सुधार।
प्रभाव:
- केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर संतुलन स्थापित किया गया।
69. उनसठवां संशोधन (2006):
पृष्ठभूमि:
संविधान में कुछ प्रशासनिक और चुनावी सुधारों के लिए।
मुख्य प्रावधान:
- राज्य और केंद्र सरकार के बीच अधिक सुसंगति।
प्रभाव:
- राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय में सुधार।
70. सत्तरवां संशोधन (2006):
पृष्ठभूमि:
न्यायपालिका और सरकार के बीच अधिकारों के वितरण में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायिक प्रक्रिया और सरकार के मामलों में सुधार।
प्रभाव:
- न्यायपालिका और सरकार के मामलों में अधिक समन्वय।
71. इकतिहत्तरवां संशोधन (2008):
पृष्ठभूमि:
संविधान में विशेष प्रावधानों के तहत न्यायपालिका में सुधार।
मुख्य प्रावधान:
- न्यायिक स्वतंत्रता और संविधान के अनुरूप न्यायिक प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए।
प्रभाव:
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता को और सुदृढ़ किया गया।
72. बहत्तरवां संशोधन (2008):
पृष्ठभूमि:
संविधान में न्यायिक सुधार और आरक्षण की प्रक्रिया।
मुख्य प्रावधान:
- आरक्षण और चुनावी प्रक्रिया में सुधार।
प्रभाव:
- आरक्षण नीति और चुनाव प्रक्रिया को मजबूत किया गया।



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