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संविधान संशोधन अधिनियम | Constitution Ammendment Act (1-105)

Constitution ammendment act 1 se lekar 105 tk

31. इकत्तीसवां संशोधन (1973):

पृष्ठभूमि:

लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. लोकसभा में सीटों का पुनः निर्धारण:
    • लोकसभा की सीटें 525 से बढ़ाकर 545 की गईं।

प्रभाव:

  • जनसंख्या के आधार पर बेहतर प्रतिनिधित्व।

32. बत्तीसवां संशोधन (1973): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

मेघालय को स्वायत्त राज्य का दर्जा देने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. स्वायत्त राज्य का गठन:
    • मेघालय को विशेष स्वायत्तता दी गई।

प्रभाव:

  • पूर्वोत्तर राज्यों को बेहतर प्रशासनिक अधिकार।

चलिए, अब मैं 33वें से 105वें संविधान संशोधन का क्रमवार विवरण देना शुरू करता हूँ। प्रत्येक संशोधन के उद्देश्य, प्रमुख प्रावधान और प्रभावों को समझाने का प्रयास करूँगा।


33. तैंतीसवां संशोधन (1974):

पृष्ठभूमि:

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में इस्तीफे की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. इस्तीफा देने की प्रक्रिया:
    • किसी भी विधायक या सांसद का इस्तीफा केवल तभी मान्य होगा जब वह स्वेच्छा से और सही इरादे से दिया गया हो।
  2. स्पीकर की पुष्टि अनिवार्य:
    • इस्तीफे की पुष्टि स्पीकर या सभापति द्वारा की जाएगी।

प्रभाव:

  • इस्तीफे को दबाव या धोखे के आधार पर देने की घटनाओं को रोका गया।

34. चौँतीसवां संशोधन (1974):

पृष्ठभूमि:

भूमि सुधार कानूनों को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. नौवीं अनुसूची में नए कानूनों का समावेश:
    • विभिन्न राज्यों के भूमि सुधार कानून जोड़े गए।

प्रभाव:

  • न्यायालयीय हस्तक्षेप से भूमि सुधार कानूनों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई।

35. पैंतीसवां संशोधन (1974): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

सिक्किम को भारतीय संघ के सहायक राज्य का दर्जा देने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. सिक्किम को सहायक राज्य घोषित किया गया।
  2. भारतीय नागरिकता का प्रावधान:
    • सिक्किम के निवासियों को भारतीय नागरिकता दी गई।

प्रभाव:

  • सिक्किम को भारतीय संघ के करीब लाने का प्रयास।

36. छत्तीसवां संशोधन (1975): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

सिक्किम को भारतीय संघ का पूर्ण राज्य बनाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. सिक्किम को भारतीय संघ का 22वाँ राज्य घोषित किया गया।
  2. अनुच्छेद 371F का समावेश:
    • सिक्किम के लिए विशेष प्रावधान।

प्रभाव:

  • सिक्किम का भारतीय संघ में पूर्ण एकीकरण हुआ।

37. सैंतीसवां संशोधन (1975):

पृष्ठभूमि:

अरुणाचल प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. अरुणाचल प्रदेश केंद्रशासित प्रदेश बना।

प्रभाव:

  • पूर्वोत्तर में प्रशासनिक ढाँचे को सुदृढ़ किया गया।

38. अड़तीसवां संशोधन (1975): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

आपातकालीन शक्तियों को मजबूत करने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. राष्ट्रपति और राज्यपाल को शक्तियाँ:
    • राष्ट्रपति और राज्यपाल द्वारा आदेशों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
  2. आपातकालीन घोषणा:
    • राष्ट्रपति द्वारा घोषित आपातकाल को अपरिवर्तनीय बनाया गया।

प्रभाव:

  • कार्यपालिका की शक्ति बढ़ी, लेकिन आलोचना का सामना भी किया।

39. उनतालीसवां संशोधन (1975): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

इंदिरा गांधी के चुनाव को न्यायालयीय समीक्षा से बचाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. चुनाव विवादों पर न्यायालयीय समीक्षा:
    • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव विवादों को न्यायालय के दायरे से बाहर किया गया।

प्रभाव:

  • लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर प्रश्न उठे।
  • इसे बाद में 44वें संशोधन के माध्यम से पलटा गया।

40. चालीसवां संशोधन (1976):

पृष्ठभूमि:

नौवीं अनुसूची में और अधिक कानून जोड़ने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. नौवीं अनुसूची में 64 नए कानून जोड़े गए।

प्रभाव:

  • भूमि सुधार और समाजवादी नीतियों को संरक्षण।

41. इकतालीसवां संशोधन (1976):

पृष्ठभूमि:

पूर्व राष्ट्रपति और राज्यपालों के खिलाफ अदालती कार्यवाही से सुरक्षा।

मुख्य प्रावधान:

  1. पूर्व राष्ट्रपति और राज्यपालों को सुरक्षा:
    • उनके कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों पर अदालती प्रक्रिया से छूट।

प्रभाव:

  • राष्ट्रपति और राज्यपाल पद की गरिमा बढ़ी।

42. बयालीसवां संशोधन (1976): (अत्यंत महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

आपातकाल के दौरान कार्यपालिका की शक्ति को बढ़ाने और संविधान में व्यापक संशोधन करने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन:
    • “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्द जोड़े गए।
  2. न्यायालयीय समीक्षा पर अंकुश:
    • न्यायपालिका के अधिकार सीमित किए गए।
  3. मौलिक कर्तव्यों का समावेश:
    • नागरिकों के लिए 10 मौलिक कर्तव्यों की व्यवस्था की गई।

प्रभाव:

  • इसे “मिनी संविधान” कहा गया।
  • कार्यपालिका और विधायिका की शक्ति बढ़ी।
  • आलोचना के कारण, बाद में 44वें संशोधन द्वारा कई प्रावधान पलटे गए।

ठीक है, अब मैं 43वें से लेकर 105वें संविधान संशोधन तक का विस्तार से विवरण देता हूँ, बिना रुकावट के।


43. तेतालिसवां संशोधन (1977):

पृष्ठभूमि:

आपातकाल के बाद संविधान में बदलाव और न्यायपालिका की शक्ति को फिर से बहाल करने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. राष्ट्रपति और राज्यपालों के खिलाफ न्यायालयीय कार्यवाही को फिर से शुरू किया।
  2. संसद की शक्ति को पुनः स्थापित किया।

प्रभाव:

  • आपातकाल के बाद संविधान में लोकतांत्रिक मूल्य फिर से लागू किए गए।

44. चौतालीसवां संशोधन (1978): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

आपातकाल के दौरान किए गए संशोधनों को पलटने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. संविधान की प्रस्तावना में सुधार:
    • “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को बनाए रखा।
  2. 42वें संशोधन को पलटना:
    • न्यायपालिका की शक्ति फिर से बहाल की गई।
  3. संविधान संशोधन की प्रक्रिया को मजबूत किया।

प्रभाव:

  • संविधान की मूल संरचना को बहाल किया गया।
  • न्यायपालिका को स्वतंत्रता मिली।

45. पैंतालीसवां संशोधन (1980):

पृष्ठभूमि:

संविधान में न्यायिक सक्रियता को बढ़ाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. न्यायपालिका के अधिकारों को बढ़ाया।

प्रभाव:

  • न्यायिक स्वतंत्रता को समर्थन मिला।

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