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संविधान संशोधन अधिनियम | Constitution Ammendment Act (1-105)

Constitution ammendment act 1 se lekar 105 tk

15. पंद्रहवां संशोधन (1963):

पृष्ठभूमि:

सेवानिवृत्ति की आयु और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के कार्यों को लेकर।

मुख्य प्रावधान:

  1. सेवानिवृत्ति की आयु:
    • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 की गई।
  2. न्यायाधीशों के स्थानांतरण के नियम:
    • न्यायाधीशों के स्थानांतरण और सेवा शर्तों में सुधार।

प्रभाव:

  • न्यायपालिका में कार्यकुशलता को बढ़ावा मिला।

16. सोलहवां संशोधन (1963):

पृष्ठभूमि:

भारत की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. संवैधानिक शपथ:
    • संवैधानिक पदधारकों को भारत की एकता और अखंडता बनाए रखने की शपथ अनिवार्य।
  2. अनुच्छेद 19 में संशोधन:
    • भारत की अखंडता के खिलाफ किसी भी गतिविधि पर प्रतिबंध।

प्रभाव:

  • भारत की एकता को संरक्षित किया गया।

17. सत्रहवां संशोधन (1964):

पृष्ठभूमि:

जमींदारी प्रथा को समाप्त करने और भूमि सुधार कानूनों को सुरक्षित रखने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. नौवीं अनुसूची में और अधिक कानून जोड़े गए।

प्रभाव:

  • भूमि सुधार प्रक्रिया को संरक्षित किया गया।

18. अठारहवां संशोधन (1966):

पृष्ठभूमि:

राज्यों के पुनर्गठन के कारण भारत की आधिकारिक भाषाओं की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. आधिकारिक भाषाओं का प्रावधान:
    • हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।

प्रभाव:

  • भाषाई विवादों को सुलझाने का प्रयास।

19. उन्नीसवां संशोधन (1966):

पृष्ठभूमि:

सरकारी सेवाओं के संचालन और प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. संविधानिक प्रक्रिया में संशोधन।

प्रभाव:

  • सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार।

20. बीसवां संशोधन (1966):

पृष्ठभूमि:

आपातकाल के दौरान की गई न्यायिक नियुक्तियों को वैध बनाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. न्यायिक नियुक्तियों को वैध करना।

प्रभाव:

  • न्यायपालिका की प्रक्रिया को स्थायित्व मिला।

चलिए, अब हम 21वें संशोधन से आगे बढ़ते हैं। मैं महत्वपूर्ण संशोधनों को अतिरिक्त विस्तार से बताऊँगा और अन्य संशोधनों को सारांश रूप में प्रस्तुत करूंगा।


21. इक्कीसवां संशोधन (1967):

पृष्ठभूमि:

भारतीय संविधान में भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए।

मुख्य प्रावधान:

  1. सिंध भाषा का समावेश:
    • संविधान की आठवीं अनुसूची में सिंधी भाषा को जोड़ा गया।

प्रभाव:

  • भाषाई विविधता को मान्यता मिली।
  • सिंधी समुदाय को अपनी भाषा के प्रति संवैधानिक सुरक्षा मिली।

22. बाईसवां संशोधन (1969):

पृष्ठभूमि:

त्रिपुरा क्षेत्र के लिए प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान करना।

मुख्य प्रावधान:

  1. त्रिपुरा के लिए विशेष प्रावधान:
    • त्रिपुरा में जनजातीय क्षेत्रों के लिए अलग परिषद का गठन।

प्रभाव:

  • आदिवासी क्षेत्रों के अधिकार और स्वायत्तता को बढ़ावा।

23. तेइसवां संशोधन (1969):

पृष्ठभूमि:

आरक्षण की अवधि को बढ़ाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. अनुच्छेद 334 में संशोधन:
    • अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष के लिए बढ़ाया गया।

प्रभाव:

  • सामाजिक न्याय की दिशा में कदम।

24. चौबीसवां संशोधन (1971): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967) के फैसले के बाद, संसद को संविधान संशोधन की शक्ति को फिर से स्थापित करने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. संविधान संशोधन की शक्ति:
    • संसद को संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने का अधिकार।
  2. अनुच्छेद 368 में संशोधन:
    • संविधान संशोधन प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया।

प्रभाव:

  • संसद को संविधान संशोधन का व्यापक अधिकार मिला।
  • न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्ति-संतुलन का विवाद शुरू हुआ।

25. पच्चीसवां संशोधन (1971): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

संपत्ति के अधिकार और समाजवादी उद्देश्यों के बीच संतुलन बनाने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. अनुच्छेद 31C का समावेश:
    • संसद को राज्य नीति निदेशक तत्वों को लागू करने के लिए कानून बनाने की शक्ति दी गई।
  2. संपत्ति के अधिकार का संरक्षण:
    • संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों से हटाकर वैधानिक अधिकार बनाया गया।

प्रभाव:

  • राज्य को समाजवादी नीतियाँ लागू करने की अधिक शक्ति मिली।
  • संपत्ति के अधिकार का महत्व कम हुआ।

26. छब्बीसवां संशोधन (1971): (महत्वपूर्ण)

पृष्ठभूमि:

भारत में प्रिवी पर्स (राजघरानों के विशेष अधिकार) को समाप्त करने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. प्रिवी पर्स का उन्मूलन:
    • राजघरानों के विशेषाधिकार और पेंशन समाप्त।
  2. अनुच्छेद 363A का समावेश:
    • राजघरानों को भारत सरकार से मिलने वाले अधिकार खत्म।

प्रभाव:

  • लोकतंत्र की अवधारणा को मजबूती मिली।
  • समानता के सिद्धांत को बढ़ावा।

27. सत्ताईसवां संशोधन (1971):

पृष्ठभूमि:

मणिपुर और त्रिपुरा को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. पूर्ण राज्य का दर्जा:
    • मणिपुर और त्रिपुरा को भारतीय संघ के पूर्ण राज्य घोषित किया गया।

प्रभाव:

  • संघीय ढाँचे को मजबूत किया गया।

28. अट्ठाईसवां संशोधन (1972):

पृष्ठभूमि:

सशस्त्र बलों के लिए विशेष प्रावधान।

मुख्य प्रावधान:

  1. अनुच्छेद 312A को हटाया गया।

प्रभाव:

  • सशस्त्र बलों के सदस्यों के लिए विशेषाधिकार समाप्त।

29. उनतीसवां संशोधन (1972):

पृष्ठभूमि:

भूमि सुधार कानूनों को नौवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए।

मुख्य प्रावधान:

  1. नौवीं अनुसूची में कानूनों का समावेश।

प्रभाव:

  • भूमि सुधार कानूनों को न्यायालयीय समीक्षा से बचाया गया।

30. तिसवां संशोधन (1973):

पृष्ठभूमि:

केरल राज्य में केंद्र-राज्य वित्तीय अधिकारों को स्पष्ट करना।

मुख्य प्रावधान:

  1. करों के वितरण में संशोधन।

प्रभाव:

  • केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों को संतुलित किया गया।

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