Cities Coalition for Circularity (C-3)
समाचार में क्यों?
भारत सरकार ने Cities Coalition for Circularity (C-3) की शुरुआत की है। इसे 12वें क्षेत्रीय 3R (Reduce, Reuse, Recycle) और सर्कुलर इकॉनमी फोरम में लॉन्च किया गया, जो एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए आयोजित किया गया था। इस वर्ष का आयोजन जयपुर, राजस्थान में हुआ।
C-3 (Cities Coalition for Circularity) क्या है?
यह एक राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर शुरू की गई पहल है, जिसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना और कचरा प्रबंधन, संसाधन दक्षता और सतत विकास में सुधार करना है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- सर्कुलर इकोनॉमी का समर्थन:
- C-3 पहल शहरों को सर्कुलर इकोनॉमी अपनाने के लिए प्रेरित करेगी, जहां संसाधनों का कुशल प्रबंधन, पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण (recycling) किया जाएगा।
- अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाएगा।
- स्थानीय प्रशासन और सामुदायिक भागीदारी:
- स्थानीय सरकारों, नगर पालिकाओं, उद्योगों और समुदायों को एक साझा मंच पर लाने का प्रयास।
- स्मार्ट सिटी पहल को स्वच्छ ऊर्जा, हरित बुनियादी ढांचे और सतत शहरी विकास के साथ जोड़ा जाएगा।
- नीतिगत सुधार:
- भारत सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को लागू करने में सहायता।
- ‘तीन आर’ (Reduce, Reuse, Recycle) की अवधारणा को नीतिगत निर्णयों में प्राथमिकता देना।
C-3 का महत्व:
- पर्यावरण संरक्षण: कचरे और प्रदूषण को कम करके पर्यावरण को नुकसान से बचाना।
- आर्थिक लाभ: अपशिष्ट प्रबंधन और संसाधन दक्षता से शहरों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना।
- क्लाइमेट चेंज के खिलाफ कदम: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए शहरों को सशक्त बनाना।
- स्मार्ट सिटी मिशन को मजबूती: भारतीय शहरों को तकनीकी और पर्यावरणीय रूप से उन्नत बनाना।
भारत की अन्य संबंधित पहलें:
- स्वच्छ भारत मिशन (SBM): शहरों को कचरा मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल।
- स्मार्ट सिटीज़ मिशन: स्मार्ट टेक्नोलॉजी और सतत विकास के लिए शुरू किया गया कार्यक्रम।
- राष्ट्रीय संसाधन दक्षता नीति: संसाधनों के पुनः उपयोग और अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए।
- अमृत योजना (AMRUT): शहरी बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने के लिए।
निष्कर्ष:
भारत का C-3 (Cities Coalition for Circularity) पहल शहरी क्षेत्रों में टिकाऊ विकास और पर्यावरण अनुकूल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भारतीय शहरों को ग्रीन और स्मार्ट सिटी मॉडल के तहत विकसित करने में मदद करेगा।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु:
- GS Paper 3: पर्यावरण और पारिस्थितिकी, संसाधन दक्षता, कचरा प्रबंधन।
- GS Paper 2: शहरी विकास और सरकार की नीतियां।
- निबंध: सतत विकास और शहरीकरण पर प्रभाव।
यह टॉपिक UPSC के साथ-साथ अन्य सरकारी परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सस्टेनेबल डेवलपमेंट, पर्यावरण संरक्षण और सरकारी नीतियों से संबंधित है।
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