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जैव विविधता ( Biodiversity ) – वन्य जीव और संरक्षण” (Wildlife and Conservation)


1.1. वन्य जीव और संरक्षण (Wildlife and Conservation)

1.1.1. संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची (Red List of Threatened Species)

सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची को अपडेट किया।

लाल सूची के बारे में:

  • IUCN की लाल सूची उन प्राणियों, पौधों और कवक प्रजातियों के बारे में जानकारी प्रदान करती है, जो विलुप्त होने के खतरे में हैं।
  • उन्हें उनके विलुप्त होने के खतरे के आधार पर 9 श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।

वे प्रजातियां जिनकी स्थिति में सुधार हुआ या गिरावट आई:

  • ला गोमेरा विशाल छिपकली (Gallotia bravoana)Endangered (पहले Critically Endangered)
  • कूपरपोआ कैक्टी82% पौधे अब भी Critically Endangered
  • इबिज़ा वॉल छिपकलीEndangered (पहले Near Threatened)
  • बोर्नियो हाथीEndangered (दुनिया के सबसे छोटे हाथी)

1.1.2. सस्टेनेबल फाइनेंस फॉर टाइगर लैंडस्केप्स कॉन्फ्रेंस (SFTLC)

सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में, भूटान सरकार ने इस सम्मेलन की मेजबानी की, जिसे टाइगर कंजर्वेशन कोलिशन (TCC) ने समर्थन दिया।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • उद्देश्य: 2034 तक बाघ संरक्षण के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाना।
  • नई पहलें:
    • टाइगर लैंडस्केप्स इन्वेस्टमेंट फंड (UNDP द्वारा लॉन्च)
    • टाइगर बॉन्ड्स (एशियाई विकास बैंक द्वारा प्रस्तावित)

1.1.3. इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA)

सुर्खियों में क्यों?
भारत सरकार ने इस गठबंधन की स्थापना को मंजूरी दी।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • सदस्य: 95 देश, जहां बिग कैट्स पाई जाती हैं, और अन्य इच्छुक देश।
  • उद्देश्य: बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग।

1.1.4. हाथी गणना, 2023 (Elephant Census, 2023)

सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में, दक्षिणी राज्यों में हाथियों की गणना की गई।

मुख्य निष्कर्ष:

  • कर्नाटक में 6,000 से अधिक हाथी, जो कि देश में सबसे ज्यादा हैं।
  • 40% युवा हाथियों की मृत्यु दर, जिसका मुख्य कारण Elephant Endotheliotropic Herpesvirus (EEHVs) है।

1.1.5. स्टेट ऑफ द राइनो 2024 रिपोर्ट (State of the Rhino 2024 Report)

सुर्खियों में क्यों?
इंटरनेशनल राइनो फाउंडेशन (IRF) ने यह रिपोर्ट जारी की।

मुख्य निष्कर्ष:

  • दुनिया में 28,000 गैंडे शेष, लेकिन अफ्रीका में अवैध शिकार 4% बढ़ा
  • सफेद गैंडों की संख्या बढ़ी, लेकिन भारतीय गैंडों की संख्या स्थिर बनी रही।
  • भारत में राष्ट्रीय गैंडा संरक्षण रणनीति 2019 और Kaziranga Rhino Vision 2020 जैसी योजनाएं लागू।

1.1.6. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) संरक्षण योजना

सुर्खियों में क्यों?

  • भारत सरकार ने GIB संरक्षण योजना के अगले चरण (2024-2029) के लिए फंडिंग को मंजूरी दी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने GIB क्षेत्रों में हाई-वोल्टेज बिजली लाइनों को भूमिगत करने का निर्देश दिया।

1.1.7. मगरमच्छ संरक्षण परियोजना (Crocodile Conservation Project)

सुर्खियों में क्यों?
भारत में मगरमच्छ संरक्षण परियोजना के 50 वर्ष पूरे हुए।

मुख्य बिंदु:

  • 1975 में ओडिशा के भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में यह परियोजना शुरू हुई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और FAO ने सहयोग दिया।
  • भारत में तीन प्रकार के मगरमच्छ पाए जाते हैं:
    • खारे पानी का मगरमच्छ
    • घड़ियाल
    • मुघर (Mugger Crocodile)

1.1.8. कवक: मान्यता एवं संरक्षण (Funga: Recognition and Conservation)

सुर्खियों में क्यों?
Fungi Foundation ने संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता कार्यक्रम के तहत कवक (Funga) को संरक्षण के लिए मान्यता देने का आग्रह किया।

कवक की भूमिकाएं:

  • Mycorrhizal (माइकोराइजल): वृक्षों के जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाकर वृक्षों की वृद्धि में मदद।
  • Biodegradation (अपघटन): कार्बन चक्र और पोषक तत्व पुनर्चक्रण में मदद।
  • Mycoremediation: प्रदूषकों जैसे प्लास्टिक को तोड़ने में सहायक।

1.1.9. वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व (WNBR)

सुर्खियों में क्यों?

  • UNESCO के “Man and Biosphere Programme” के तहत 11 नए बायोस्फीयर रिजर्व जोड़े गए।
  • अब 136 देशों में कुल 759 बायोस्फीयर रिजर्व हैं।
  • भारत में 18 बायोस्फीयर रिजर्व, जिनमें से 12 को UNESCO की सूची में शामिल किया गया

1.1.10. पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (Eco-sensitive Areas – ESA)

सुर्खियों में क्यों?
कर्नाटक सरकार ने पश्चिमी घाट के संरक्षण पर कस्तूरीरंगन समिति की रिपोर्ट खारिज कर दी।

मुख्य निष्कर्ष:

  • कस्तूरीरंगन समिति ने पश्चिमी घाट का 37% भाग (60,000 वर्ग किमी) पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESA) घोषित करने की सिफारिश की थी।
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत, ये क्षेत्र केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाते हैं
  • ESZ (Eco-sensitive Zone) के उद्देश्य:
    • पर्यावरण संरक्षण और मानवीय गतिविधियों के प्रभाव को कम करना।
    • यह संरक्षित क्षेत्रों के लिए “बफर जोन” का काम करता है।


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