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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना और सुकन्या समृद्धि योजना

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना और सुकन्या समृद्धि योजना

Beti Bachao Beti Padhao (BBBP) Scheme and Sukanya Samriddhi Yojana

चर्चा में क्यों?

22 जनवरी 2025 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना और सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) के शुभारंभ का 10वाँ वर्ष मनाया गया। इन दोनों योजनाओं का उद्देश्य भारत में बालिकाओं के जीवन, शिक्षा और आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। इस अवसर पर केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण में इन योजनाओं के योगदान की समीक्षा की।


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना:

परिचय

  • शुभारंभ: 22 जनवरी 2015।
  • उद्देश्य:
    • लैंगिक अनुपात में सुधार करना।
    • बालिकाओं की शिक्षा और कल्याण को बढ़ावा देना।
    • जागरूकता फैलाना और लैंगिक भेदभाव कम करना।
  • संयुक्त प्रयास: यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) का संयुक्त कार्यक्रम है।

मुख्य घटक:

  1. जागरूकता:
    • समाज में बालिकाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना।
  2. सेवा वितरण:
    • स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  3. लैंगिक अनुपात में सुधार:
    • बाल लिंगानुपात (Child Sex Ratio – CSR) को सुधारना।

सुकन्या समृद्धि योजना (SSY): परिचय

  • शुभारंभ: 22 जनवरी 2015।
  • उद्देश्य:
    • बालिकाओं के लिए वित्तीय सुरक्षा।
    • शिक्षा और शादी के लिए बचत को प्रोत्साहन।
  • विशेषताएँ:
    • किसी भी बालिका के नाम पर 10 वर्ष की आयु तक खाता खोला जा सकता है।
    • प्रारंभिक निवेश ₹250 और अधिकतम ₹1.5 लाख प्रति वर्ष।
    • आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर लाभ।
    • मैच्योरिटी अवधि: 21 वर्ष या बालिका की शादी।

भारत में लैंगिक संकेतकों में प्रगति (2015-2025)

1. बाल लिंगानुपात (CSR):

  • 2015 में: 918 लड़कियाँ प्रति 1,000 लड़कों।
  • 2025 में: 934 लड़कियाँ प्रति 1,000 लड़कों।
  • सुधार के कारण: जागरूकता अभियानों और अल्ट्रासाउंड मशीनों के दुरुपयोग पर सख्त निगरानी।

2. महिला साक्षरता दर:

  • 2015 में: 65.5%।
  • 2025 में: 71.2%।
  • सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों जैसे BBBP और SSA (सर्व शिक्षा अभियान) के माध्यम से वृद्धि।

3. मातृ मृत्यु दर (MMR):

  • 2015 में: प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 167।
  • 2025 में: प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 103।
  • सुरक्षित प्रसव और मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।

4. महिलाओं की कार्यबल भागीदारी दर (LFPR):

  • 2015 में: 23%।
  • 2025 में: 28%।
  • योजनाओं और महिला कौशल विकास कार्यक्रमों ने इसे बढ़ावा दिया।

5. बालिकाओं के स्कूल नामांकन:

  • 2015 में: 92%।
  • 2025 में: 98.5%।
  • स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार और छात्रवृत्ति योजनाएँ प्रभावी रहीं।

चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता

चुनौतियाँ:

  1. गहरी सामाजिक बंधन:
    • बालिकाओं के प्रति अभी भी कई क्षेत्रों में नकारात्मक सोच।
    • पितृसत्तात्मक संरचना के कारण योजनाओं का सीमित प्रभाव।
  2. लिंग आधारित भेदभाव:
    • उच्च शिक्षा में बालिकाओं की भागीदारी कम।
    • कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव।
  3. सामाजिक सुरक्षा का अभाव:
    • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में योजनाओं का असमान कार्यान्वयन।

आगे की राह:

  1. जागरूकता अभियानों को मजबूत करना:
    • स्थानीय भाषाओं और माध्यमों में प्रभावी जागरूकता अभियान।
    • धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों की भागीदारी।
  2. कार्यस्थल पर समानता:
    • महिलाओं के लिए समान वेतन और कार्यस्थल सुरक्षा सुनिश्चित करना।
    • महिलाओं के लिए कौशल विकास और स्वरोजगार योजनाओं को बढ़ावा देना।
  3. शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश:
    • बालिकाओं की उच्च शिक्षा के लिए विशेष छात्रवृत्ति।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।
  4. समीक्षा और निगरानी:
    • योजनाओं के कार्यान्वयन की समय-समय पर समीक्षा।
    • प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र।
  5. सामाजिक सुरक्षा का विस्तार:
    • बालिकाओं के लिए विशेष बीमा योजनाएँ।
    • ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में प्राथमिकता।

निष्कर्ष:

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और सुकन्या समृद्धि योजना ने पिछले एक दशक में बालिकाओं की स्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए इन योजनाओं के प्रभाव को और अधिक व्यापक बनाने की आवश्यकता है। जागरूकता, शिक्षा और सामाजिक बदलाव के माध्यम से भारत लैंगिक समानता के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

UPSC दृष्टिकोण से संभावित प्रश्न

प्रीलिम्स:

  1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ कब हुआ था?
    • उत्तर: 22 जनवरी 2015।
  2. सुकन्या समृद्धि योजना की मैच्योरिटी अवधि कितनी है?
    • उत्तर: 21 वर्ष।
  3. भारत में 2025 तक बाल लिंगानुपात क्या है?
    • उत्तर: 934 लड़कियाँ प्रति 1,000 लड़कों।

मुख्य परीक्षा:

  1. प्रश्न: “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना भारत में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना की सफलता और चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।”
  2. प्रश्न: “सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण के लिए किए गए प्रयासों का मूल्यांकन करें।”
  3. प्रश्न: “भारत में बालिकाओं के कल्याण के लिए सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं के प्रभाव का आकलन कीजिए।”


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