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संदर्भ
1924 के ऐतिहासिक बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन के शताब्दी समारोह का उद्घाटन 26 दिसंबर को बेलगावी (अब बेलगाम के नाम से जाना जाता है) में किया गया।
पृष्ठभूमि:
- यह अधिवेशन ऐतिहासिक है क्योंकि यह एकमात्र अधिवेशन था जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी (39वां अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन)।
- दक्षिण अफ्रीका से लौटे गांधी जी 1915 में कांग्रेस के सदस्य बने और नौ साल बाद 1924 में इस अखिल भारतीय अधिवेशन के अध्यक्ष बने।
मुख्य बिंदु:
1924 का यह अधिवेशन 26 दिसंबर से 28 दिसंबर तक बेलगाम (अब बेलगावी, कर्नाटक) में आयोजित हुआ और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण चरण को चिह्नित करता है।
मुख्य विशेषताएं और महत्व:
- गांधी जी का नेतृत्व:
- इस अधिवेशन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में महात्मा गांधी के प्रभाव को उजागर किया।
- यह उन्हें पार्टी के भीतर बढ़ते मतभेदों को संबोधित करने और अहिंसा और स्वराज (आत्म-शासन) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है।
- एकता पर प्रस्ताव:
- अधिवेशन ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया, जो उपनिवेशवादी शासन के खिलाफ गांधी जी की एकजुट संघर्ष की दृष्टि का केंद्रीय हिस्सा था।
- जमीनी आंदोलनों पर ध्यान:
- गांधी जी ने खादी को बढ़ावा देने और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने जैसे जमीनी आंदोलनों को मजबूत करने की वकालत की, जो बड़े पैमाने पर असहयोग आंदोलन की रणनीति का हिस्सा था।
- रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन:
- असहयोग आंदोलन के बाद जेल से रिहा होने के बाद, यह अधिवेशन आंदोलन की दिशा और रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने का अवसर था।
- सदस्यता शुल्क में कमी:
- अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में गांधी जी ने वार्षिक सदस्यता शुल्क को 90% तक घटा दिया और सभी पार्टी सदस्यों से आग्रह किया कि कांग्रेस केवल एक राजनीतिक संस्था नहीं, बल्कि एक आंदोलन है।
- उन्होंने सदस्यों को सामाजिक बुराइयों जैसे अस्पृश्यता के उन्मूलन के साथ-साथ ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने की अपील की।
- विशेष सम्मेलनों का आयोजन:
- नियमित सत्रों के अलावा, बेलगाम अधिवेशन में अस्पृश्यता के खिलाफ, खादी और ग्रामोद्योगों के पक्ष में, छात्रों, नगरपालिका प्रशासन, और भाषाई आधार पर राज्यों के गठन पर विशेष सम्मेलन आयोजित किए गए।
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