पीएम मोदी का फ्रांस दौरा: AI समिट और ITER रिएक्टर का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने फ्रांस दौरे के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) समिट में भाग लेने के साथ-साथ कैडाराश (Cadarache) में स्थित इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) का भी दौरा किया। इस दौरान उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद रहे।
AI समिट में भागीदारी
पीएम मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य, इसकी वैश्विक नीतियों और नैतिकता पर चर्चा की। भारत AI क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है और इस समिट में भारत की भूमिका को रेखांकित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- ITER (इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर) एक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी परियोजना है, जिसका उद्देश्य दुनिया का सबसे बड़ा चुंबकीय संलयन (Magnetic Fusion) उपकरण बनाना है। इसका लक्ष्य संलयन (fusion) को बड़े पैमाने पर और कार्बन-मुक्त ऊर्जा स्रोत के रूप में सिद्ध करना है।
- वर्तमान में, भारत सहित 33 देश ITER परियोजना में सहयोग कर रहे हैं। इसके सात प्रमुख सदस्य — चीन, भारत, यूरोपीय संघ, जापान, कोरिया, रूस और अमेरिका — दशकों से इस प्रायोगिक डिवाइस को बनाने और संचालित करने के लिए संयुक्त प्रयास कर रहे हैं।
- ITER वर्तमान में फ्रांस के दक्षिणी भाग में निर्माणाधीन है। वर्तमान समयरेखा के अनुसार, 2039 तक इसमें ड्यूटेरियम-ट्रिटियम संलयन प्रतिक्रियाएँ शुरू होने की उम्मीद है, जिससे 500 मेगावाट (MW) फ्यूजन पावर उत्पन्न होगी।
- ITER स्वयं उत्पन्न ऊष्मा ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित नहीं करेगा, लेकिन इसकी सफलता से भविष्य में अन्य मशीनों के लिए संलयन ऊर्जा को नियमित बिजली उत्पादन स्रोत के रूप में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
- ITER की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसका प्राथमिक कार्य “बर्निंग प्लाज्मा” का अध्ययन और प्रदर्शन करना है— यानी ऐसा प्लाज्मा जिसमें संलयन प्रतिक्रियाओं से उत्पन्न हीलियम नाभिक (Helium Nuclei) इतनी ऊर्जा उत्पन्न करें कि प्लाज्मा का तापमान बनाए रखा जा सके, जिससे बाहरी ताप स्रोत की आवश्यकता कम या समाप्त हो जाए।
ITER: भविष्य की ऊर्जा का सपना
ITER परियोजना दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य साफ, असीमित और टिकाऊ ऊर्जा का उत्पादन करना है।
- भारत सहित 35 देश इस परियोजना में सहयोग कर रहे हैं।
- यह दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर होगा, जो सूर्य की ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया की नकल करेगा।
- यदि यह सफल होता है, तो यह फॉसिल फ्यूल और पारंपरिक परमाणु ऊर्जा का स्थायी विकल्प बन सकता है।
भारत की भूमिका और संभावित लाभ
- भारत ITER परियोजना का एक महत्वपूर्ण भागीदार है और इसमें हाई-टेक उपकरण और विशेषज्ञता प्रदान कर रहा है।
- परमाणु संलयन तकनीक में भारत की भागीदारी से ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है।
- भारत को अगली पीढ़ी की ऊर्जा तकनीकों में अग्रणी बनने का अवसर मिलेगा।
निष्कर्ष
पीएम मोदी की इस यात्रा ने भारत-फ्रांस संबंधों को और मजबूत किया और स्वच्छ ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग का एक नया द्वार खोला। ITER का दौरा भारत की न्यूक्लियर फ्यूजन टेक्नोलॉजी में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है, जो भविष्य में ऊर्जा संकट के समाधान में अहम भूमिका निभा सकता है।
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