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वैश्विक प्लास्टिक कार्रवाई साझेदारी (Global Plastic Action Partnership – GPAP) – Upsc Prelims Pointer

वैश्विक प्लास्टिक कार्रवाई साझेदारी (Global Plastic Action Partnership - GPAP)

वैश्विक प्लास्टिक कार्रवाई साझेदारी (GPAP): एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर

प्रसंग:
वैश्विक प्लास्टिक कार्रवाई साझेदारी (Global Plastic Action Partnership – GPAP) ने हाल ही में 25 देशों के नेटवर्क में विस्तार कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह साझेदारी प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।


GPAP: उद्देश्य और महत्व

  1. स्थापना:
    • GPAP की शुरुआत 2018 में विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा की गई थी।
  2. उद्देश्य:
    • प्लास्टिक कचरे की समस्या का समाधान करना।
    • प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए देशों, उद्योगों और समाजों को एकजुट करना।
  3. महत्व:
    • समुद्री पर्यावरण और भूमि पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव को कम करना।
    • सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में योगदान।

25 देशों का नेटवर्क: प्रभाव और लक्ष्य

  1. नेटवर्क का विस्तार:
    • GPAP के तहत 25 देशों का शामिल होना प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है।
  2. लक्ष्य:
    • प्लास्टिक के उत्पादन और उपयोग में बदलाव।
    • पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार।
    • प्लास्टिक के स्थायी विकल्पों को बढ़ावा देना।

GPAP की रणनीतियाँ:

  1. सार्वजनिक और निजी भागीदारी:
    • सरकारों, उद्योगों और गैर-सरकारी संगठनों को एक साथ लाना।
  2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
    • प्लास्टिक प्रदूषण पर शोध और नवाचार को बढ़ावा देना।
  3. नीतिगत समर्थन:
    • देशों को प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए मजबूत नीतियाँ बनाने में मदद।
  4. सामुदायिक भागीदारी:
    • स्थानीय समुदायों को समाधान का हिस्सा बनाना।

भारत और GPAP:

  1. प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति:
    • भारत हर साल लगभग 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है।
    • प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण में भारत का योगदान महत्वपूर्ण है।
  2. सरकारी पहल:
    • सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध।
    • स्वच्छ भारत मिशन।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016।
  3. GPAP के साथ सहयोग:
    • भारत GPAP के तहत सतत समाधान खोजने और लागू करने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

GPAP के लाभ:

  1. पर्यावरणीय प्रभाव:
    • समुद्रों और नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण में कमी।
  2. आर्थिक प्रभाव:
    • पुनर्चक्रण और स्थायी प्रौद्योगिकी में निवेश।
    • हरित रोजगार का सृजन।
  3. सामाजिक प्रभाव:
    • जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी।

आगे की राह:

  1. वैश्विक सहयोग:
    • देशों के बीच अनुभव और तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान।
  2. नवाचार:
    • प्लास्टिक के पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों का विकास।
  3. सख्त नीतियाँ:
    • प्लास्टिक उत्पादन और उपयोग पर नियंत्रण।
  4. जागरूकता अभियान:
    • जनता को प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करना।

निष्कर्ष:

GPAP का 25 देशों तक विस्तार प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूत करता है। यह पहल पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत जैसे देशों की सक्रिय भागीदारी से प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ यह लड़ाई अधिक प्रभावी और व्यापक हो सकती है।