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तुंगभद्रा नदी का पानी हरा होने का मामला : Tungabhadra River water turning green

Case of Tungabhadra River water turning green:

तुंगभद्रा नदी का पानी हरा होने का मामला:

चर्चा में क्यों

कर्नाटक के गडग जिले के मूंदारगी तालुक के शिरनाहल्ली, गंगापुर और कोरलाहल्ली गांवों के पास तुंगभद्रा नदी का पानी हरा हो गया है। इस घटना ने स्थानीय निवासियों में दहशत और चिंता का माहौल बना दिया है।


घटना का संभावित कारण

  1. शैवाल (Algal Bloom):
    • हरे रंग का पानी अक्सर शैवाल की अत्यधिक वृद्धि (Algal Bloom) का परिणाम होता है।
    • यूट्रोफिकेशन: पानी में नाइट्रेट और फॉस्फेट की अधिकता के कारण शैवाल तेजी से बढ़ते हैं।
  2. जल प्रदूषण:
    • नदी में औद्योगिक कचरे, गंदे पानी और रासायनिक अपशिष्ट का बहाव।
    • स्थानीय खेती में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का पानी में मिलना।
  3. प्राकृतिक कारण:
    • गर्म मौसम और धीमे जल प्रवाह के कारण पानी में ऑक्सीजन की कमी।
    • सूर्य की किरणों के प्रभाव से शैवाल का तेज विकास।
  4. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
    • तापमान में वृद्धि और अनियमित बारिश से जल निकायों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभाव

  1. पानी की गुणवत्ता में गिरावट:
    • पानी में घुली ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen) की कमी।
    • जलीय जीवन के लिए खतरा, जैसे कि मछलियों और अन्य जीवों की मृत्यु।
  2. स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • हरे पानी में हानिकारक साइनोबैक्टीरिया हो सकते हैं, जो त्वचा, आँखों और पेट से जुड़ी समस्याएँ पैदा कर सकते हैं।
    • दूषित पानी के सेवन से आंत्रशोथ, डायरिया और अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं।
  3. जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा:
    • शैवाल की अत्यधिक वृद्धि से जलीय जैव विविधता प्रभावित होती है।
    • पानी में प्रकाश और ऑक्सीजन की कमी से मछलियाँ और अन्य जलीय जीव प्रभावित हो सकते हैं।

समाधान और कदम

  1. जल गुणवत्ता की जाँच:
    • तुंगभद्रा नदी के पानी के नमूनों का वैज्ञानिक विश्लेषण।
    • रासायनिक, जैविक और भौतिक गुणों की जाँच।
  2. श्रमिक और स्वच्छता उपाय:
    • नदी के किनारों की सफाई और गंदे पानी के स्रोतों को बंद करना।
    • औद्योगिक कचरे के निपटारे के लिए सख्त नियम लागू करना।
  3. शैवाल की रोकथाम:
    • पानी में उर्वरकों और रासायनिक अपशिष्टों का प्रवाह रोकने के लिए कदम उठाना।
    • जैविक तरीके से शैवाल को नियंत्रित करना, जैसे कि जैविक जीवाणुओं का उपयोग।
  4. स्थानीय जागरूकता अभियान:
    • निवासियों को दूषित पानी के उपयोग से होने वाले खतरों के बारे में जागरूक करना।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ जल उपलब्ध कराना।
  5. दीर्घकालिक उपाय:
    • जल निकायों की सुरक्षा के लिए जलवायु अनुकूल नीतियाँ
    • प्रदूषण रोकने के लिए स्थायी कृषि प्रथाओं को प्रोत्साहित करना।

मुख्य बिंदु (Key Points)

  1. घटना स्थल: कर्नाटक के गडग जिले के मूंदारगी तालुक में तुंगभद्रा नदी।
  2. समस्या का कारण:
    • शैवाल की अत्यधिक वृद्धि।
    • जल प्रदूषण और रासायनिक कचरे का प्रवाह।
  3. प्रभावित क्षेत्र: शिरनाहल्ली, गंगापुर और कोरलाहल्ली गाँव।
  4. प्रभाव:
    • जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा।
    • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
  5. उपाय: जल गुणवत्ता जाँच, प्रदूषण रोकथाम और जागरूकता अभियान।

UPSC के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिंदु

  1. पर्यावरणीय समस्याएँ:
    • जल प्रदूषण और यूट्रोफिकेशन जैसे मुद्दों का विश्लेषण।
    • जलवायु परिवर्तन और जल निकायों पर इसका प्रभाव।
  2. सरकारी कदम और योजनाएँ:
    • नमामि गंगे योजना और अन्य जल निकायों को पुनर्जीवित करने की पहल।
    • राज्य सरकारों और केंद्र के बीच समन्वय।
  3. प्रश्न के संभावित विषय:
    • “जल प्रदूषण के कारण और उसके रोकथाम के उपायों पर चर्चा करें।”
    • “भारतीय नदियों में शैवाल वृद्धि का पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव।”

निष्कर्ष

तुंगभद्रा नदी का हरा पानी न केवल पर्यावरणीय चिंता का विषय है, बल्कि मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरा है। यह घटना जल निकायों की सुरक्षा और प्रबंधन की आवश्यकता को दर्शाती है। सरकार, वैज्ञानिकों और स्थानीय समुदायों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा।

तैयारी के लिए सुझाव:

  • भारतीय नदियों की स्थिति और जल प्रदूषण पर डेटा का अध्ययन करें।
  • जलवायु परिवर्तन और जल गुणवत्ता पर प्रभाव के विषय में जानकारी प्राप्त करें।