चालू खाता घाटा (Current Account Deficit – CAD)
चालू खाता घाटा (CAD) किसी देश की बाहरी व्यापारिक और वित्तीय स्थिति का प्रमुख आर्थिक संकेतक है। यह आयात और निर्यात के बीच असंतुलन को दर्शाता है। जब किसी देश का आयात, उसके निर्यात से अधिक होता है, तो यह घाटा उत्पन्न होता है। भारत जैसे विकासशील देशों में CAD एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो आर्थिक स्थिरता और विकास पर गहरा प्रभाव डालता है।
चालू खाता घाटा का विस्तृत ढांचा
1. चालू खाता (Current Account):
यह देश के आयात-निर्यात और आय प्रवाह को मापने वाला खाता है। इसके चार प्रमुख घटक हैं:
- माल व्यापार (Goods Trade):
भौतिक वस्तुओं का निर्यात और आयात। - सेवा व्यापार (Services Trade):
वित्तीय, IT, और पर्यटन सेवाओं का अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान। - प्राथमिक आय (Primary Income):
देश से बाहर किए गए निवेश पर प्राप्त ब्याज, लाभांश और मजदूरी। - माध्यमिक आय (Secondary Income):
प्रेषण (remittances), अंतरराष्ट्रीय अनुदान, और उपहार।
2. चालू खाता घाटा का तात्पर्य:
- जब चालू खाते के सभी घटकों (माल, सेवाएं, आय) का कुल योग नकारात्मक हो, तो उसे चालू खाता घाटा कहा जाता है।
- CAD दर्शाता है कि देश को अपने आयात का खर्च उठाने के लिए विदेशी कर्ज या विदेशी पूंजी प्रवाह पर निर्भर होना पड़ता है।
चालू खाता घाटा के गहन कारण
वैश्विक कारक:
- कच्चे तेल की ऊंची कीमतें:
भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 85% आयात करता है। तेल की ऊंची कीमतें CAD में बढ़ोतरी करती हैं। - वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता:
कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाओं ने वैश्विक आपूर्ति में रुकावट पैदा की। - डॉलर की मजबूती:
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से डॉलर मजबूत होता है, जिससे रुपये की कमजोरी CAD को प्रभावित करती है।
आंतरिक कारक:
- उच्च आयात निर्भरता:
- तेल, सोना, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे वस्तुओं का आयात।
- घरेलू उत्पादन में कमी।
- कमजोर निर्यात:
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत के उत्पादों की उच्च लागत।
- कम विदेशी निवेश:
- पूंजी प्रवाह में कमी और नीतिगत अनिश्चितताएं।
चालू खाता घाटा के प्रभाव: एक गहन विश्लेषण
1. मुद्रा पर दबाव:
CAD बढ़ने से भारतीय रुपये की मांग घटती है और उसका मूल्य गिरता है। इसके परिणामस्वरूप आयात महंगा हो जाता है।
2. महंगाई में वृद्धि:
- कच्चे तेल और अन्य आयातित वस्तुओं के महंगे होने से मुद्रास्फीति बढ़ती है।
- खाद्य पदार्थ और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं।
3. विदेशी ऋण का बढ़ता बोझ:
- CAD को संतुलित करने के लिए देश को विदेशी कर्ज लेना पड़ता है।
- यह दीर्घकालिक वित्तीय अस्थिरता का कारण बन सकता है।
4. विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव:
- चालू खाता घाटा बढ़ने पर विदेशी मुद्रा भंडार घट सकता है।
- इससे देश की आर्थिक साख (credit rating) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
5. निवेश पर असर:
- विदेशी निवेशक चालू खाता घाटा बढ़ने पर देश को उच्च जोखिम वाला मान सकते हैं।
- इससे FDI और FII प्रवाह घट सकता है।
भारत के संदर्भ में चालू खाता घाटा: विशेष संदर्भ
- इतिहास:
- 1991 के भुगतान संतुलन संकट में CAD का प्रमुख योगदान था।
- 2013 में रुपये की गिरावट के दौरान CAD ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला।
- वर्तमान स्थिति (2023-24):
- चालू खाता घाटा GDP का लगभग 2% से 2.5% रहा।
- कच्चे तेल और सोने का आयात CAD का मुख्य कारण बना।
- सेवा क्षेत्र का योगदान:
- IT सेवाओं और प्रेषण ने CAD को आंशिक रूप से संतुलित किया।
- भारत का सेवा व्यापार अधिशेष निरंतर बना हुआ है।
चालू खाता घाटा को नियंत्रित करने के लिए उपाय
- निर्यात को बढ़ावा:
- उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना को और मजबूत करना।
- ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ जैसी नीतियों का कार्यान्वयन।
- आयात पर निर्भरता कम करना:
- घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना।
- ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाना।
- विदेशी निवेश को बढ़ावा:
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के लिए लचीली नीतियां बनाना।
- ऊर्जा सुरक्षा:
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश।
- इलेक्ट्रिक वाहन और ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देना।
- विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन:
- भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सक्रिय कदम, जैसे हस्तक्षेप और विनिमय दर स्थिरीकरण।
निष्कर्ष
चालू खाता घाटा भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह नीतिगत सुधार और आत्मनिर्भरता बढ़ाने का एक अवसर भी प्रदान करता है। भारत को दीर्घकालिक रणनीतियों, जैसे निर्यात को प्रोत्साहन, आयात पर निर्भरता घटाना, और विदेशी निवेश आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
UPSC दृष्टिकोण से महत्व
प्रत्यक्ष प्रश्न:
- चालू खाता घाटा क्या है? इसके कारणों और प्रभावों पर चर्चा करें।
- चालू खाता घाटा को नियंत्रित करने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों का मूल्यांकन करें।
अप्रत्यक्ष प्रश्न:
- चालू खाता घाटा और भुगतान संतुलन (BoP) के बीच संबंध पर चर्चा करें।
- चालू खाता घाटा और विदेशी मुद्रा भंडार के बीच संबंध समझाएं।
निबंध (Essay):
- “चालू खाता घाटा और भारत की आर्थिक स्थिरता।”
- “चालू खाता घाटा: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती या अवसर?”
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