अगर आपका सपना PT 2025 में शानदार सफलता पाना है, तो यह मौका आपके लिए है! मैं सभी विषयों के लिए एक संपूर्ण अध्ययन सामग्री तैयार कर रहा हूँ, जो आपकी तैयारी को आसान, प्रभावी और सुनियोजित बनाएगी।

राष्ट्रीय MSME क्लस्टर आउटरीच कार्यक्रम (National MSME Cluster Outreach Program) – UPSC

explaining-the-National-MSME-Cluster-Outreach-Program-in-India, msme

पृष्ठभूमि:

  • एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
  • यह सेक्टर भारत की GDP में लगभग 30% योगदान देता है और 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
  • हाल ही में, सरकार ने एमएसएमई के विकास और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए राष्ट्रीय एमएसएमई क्लस्टर आउटरीच कार्यक्रम की शुरुआत की।

ताज़ा घटनाक्रम:

  1. कार्यक्रम का उद्देश्य:
    • एमएसएमई क्षेत्र को वित्तीय, तकनीकी और बाजार सहायता प्रदान करना।
    • नई तकनीकों को अपनाने और व्यापार करने की लागत को कम करना।
    • उद्यमों को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना।
  2. विशेषताएँ:
    • क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण:
      • एमएसएमई को उनके उद्योग और क्षेत्र के आधार पर समूहों (क्लस्टर) में वर्गीकृत किया जाएगा।
      • यह उद्योग-विशिष्ट चुनौतियों को हल करने और समान संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करेगा।
    • तकनीकी सहायता:
      • इनोवेशन, रिसर्च और डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा दिया जाएगा।
    • वित्तीय समावेशन:
      • छोटे और मझोले उद्यमों को आसान क्रेडिट और लोन की सुविधा दी जाएगी।
  3. केंद्र सरकार की भूमिका:
    • इस कार्यक्रम को मंत्रालय एमएसएमई द्वारा चलाया जा रहा है।
    • इसके तहत प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) और अन्य योजनाओं के साथ तालमेल बिठाया जाएगा।

महत्त्व:

  1. एमएसएमई के लिए लाभ:
    • यह कार्यक्रम छोटे उद्यमों को तकनीकी और वित्तीय सहायता देकर उनकी कार्यक्षमता और उत्पादकता बढ़ाएगा।
    • एमएसएमई को नई तकनीकों तक पहुंच प्रदान करेगा, जिससे उनके उत्पाद वैश्विक मानकों के अनुरूप होंगे।
  2. आर्थिक विकास में योगदान:
    • एमएसएमई के विकास से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
    • यह पहल स्थानीय उद्योगों को सशक्त करेगी, जिससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में विकास होगा।
  3. निर्यात बढ़ावा:
    • एमएसएमई भारत के कुल निर्यात का लगभग 45% योगदान देते हैं।
    • इस कार्यक्रम से एमएसएमई को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

चुनौतियाँ:

  1. सूचना का अभाव:
    • छोटे उद्यमियों को योजनाओं और नीतियों की पूरी जानकारी नहीं होती।
  2. प्रणालीगत मुद्दे:
    • नौकरशाही प्रक्रियाएं और क्रेडिट उपलब्धता में देरी।
  3. तकनीकी ज्ञान की कमी:
    • एमएसएमई के पास डिजिटल और तकनीकी जानकारी का अभाव है, जिससे उनकी उत्पादकता प्रभावित होती है।

सरकार के प्रयास:

  1. उद्यम पोर्टल:
    • एक राष्ट्रीय पोर्टल जो एमएसएमई के लिए पंजीकरण और योजना की जानकारी प्रदान करता है।
  2. MUDRA योजना:
    • छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए आसान लोन सुविधा।
  3. ZED (Zero Defect, Zero Effect) योजना:
    • एमएसएमई को पर्यावरणीय रूप से स्थायी और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए प्रेरित करना।

भारत के लिए महत्त्व:

  1. आत्मनिर्भर भारत:
    • एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाकर, भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
  2. रोजगार सृजन:
    • यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाएगी।
  3. वैश्विक प्रतिस्पर्धा:
    • यह कार्यक्रम एमएसएमई को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल होने में मदद करेगा।

महत्वपूर्ण Key Points:

  1. एमएसएमई भारत की GDP में 30% और निर्यात में 45% का योगदान देता है।
  2. क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण से उद्योग-विशिष्ट समस्याओं का समाधान होगा।
  3. वित्तीय सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और डिजिटल परिवर्तन पर जोर दिया जाएगा।
  4. इस कार्यक्रम का उद्देश्य रोजगार सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
  5. यह पहल “लोकल से ग्लोबल” के नारे को साकार करने की दिशा में काम करेगी।

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय एमएसएमई क्लस्टर आउटरीच कार्यक्रम भारत के एमएसएमई सेक्टर को सशक्त बनाने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की एक रणनीतिक पहल है। यह न केवल छोटे उद्यमों को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार भी करेगा।

UPSC Related Topics

यह विषय UPSC के लिए अर्थव्यवस्था, रोजगार और योजनाओं के हिस्से में महत्वपूर्ण है।