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इज़राइल द्वारा ईरान पर किया गया जवाबी हमला – UPSC

Israel retaliated against Iran

इज़राइल द्वारा ईरान पर किया गया जवाबी हमला

पृष्ठभूमि:

  • इज़राइल और ईरान के बीच दशकों से क्षेत्रीय और वैचारिक संघर्ष चल रहा है।
  • ईरान का परमाणु कार्यक्रम इज़राइल और पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय है, जबकि ईरान इज़राइल को “वैध राष्ट्र” के रूप में मान्यता नहीं देता।
  • हाल के दिनों में, ईरान के समर्थित मिलिशिया समूह (जैसे हिज़बुल्लाह और हमास) और इज़राइल के बीच संघर्ष बढ़ा है।

ताज़ा घटनाक्रम:

  • इज़राइल ने ईरान के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए।
  • यह हमला ईरान द्वारा कथित ड्रोन और मिसाइल हमलों का जवाब था, जो इज़राइल की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे थे।
  • इज़राइल का दावा है कि ईरान अपने पड़ोसी देशों (सीरिया, लेबनान, इराक) में सैन्य ठिकाने स्थापित कर रहा है, जो इज़राइल पर हमलों के लिए उपयोग हो सकते हैं।

महत्त्व:

  1. मध्य-पूर्व में अस्थिरता:
    यह हमला पहले से ही अस्थिर मध्य-पूर्व क्षेत्र में और अधिक तनाव उत्पन्न कर सकता है।
  2. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
    • अमेरिका आमतौर पर इज़राइल के ऐसे कदमों का समर्थन करता है, लेकिन रूस और चीन जैसे देशों की प्रतिक्रिया इस क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।
    • ईरान पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंध और इज़राइल के कदम वैश्विक भू-राजनीति को प्रभावित करते हैं।
  3. परमाणु समझौता (JCPOA):
    • ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु समझौते को लेकर असमंजस पहले से ही है।
    • इस प्रकार की घटनाएं कूटनीतिक वार्ता को और कठिन बना सकती हैं।
  4. इज़राइल की रणनीति:
    • इज़राइल की “प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक” रणनीति का उद्देश्य संभावित खतरों को पहले ही समाप्त करना है।
    • यह इज़राइल की सुरक्षा नीति का हिस्सा है, लेकिन यह ईरान जैसे देशों के साथ संघर्ष को बढ़ा सकता है।
  5. भारत के लिए प्रभाव:
    • भारत ईरान और इज़राइल दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है।
    • भारत के लिए इस संघर्ष का मतलब है कि उसे संतुलन बनाए रखना होगा ताकि दोनों देशों के साथ अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों को सुरक्षित रख सके।
    • चाबहार बंदरगाह परियोजना (ईरान) और रक्षा सहयोग (इज़राइल) भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष:

यह घटना केवल इज़राइल और ईरान तक सीमित नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर प्रभाव डाल सकती है। इस तरह के मुद्दे UPSC के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंध, मध्य-पूर्व राजनीति, और भारत की विदेश नीति जैसे विषयों के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।