संदर्भ:
नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर से गुजरने वाले अमेरिकी जहाजों पर लगाए गए “अनुचित शुल्क” की आलोचना की और यह धमकी दी कि वह इस जलमार्ग का नियंत्रण वाशिंगटन को वापस करने की मांग कर सकते हैं।
पृष्ठभूमि:
डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी एक दुर्लभ उदाहरण है जिसमें किसी अमेरिकी नेता ने संकेत दिया कि वह किसी संप्रभु देश से उसकी भूमि पर नियंत्रण छोड़ने का दबाव डाल सकते हैं।
मुख्य बिंदु:
पनामा नहर:
- परिचय:
पनामा नहर एक कृत्रिम 82 किलोमीटर (51 मील) लंबा जलमार्ग है जो अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है। यह पनामा के इस्तमुस (थलसंधि) से होकर गुजरता है। - महत्व:
यह जहाजों के लिए अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच यात्रा करने के समय को काफी कम कर देता है।- जहाजों को दक्षिण अमेरिका के सबसे दक्षिणी सिरे से गुजरने वाले खतरनाक और लंबे रास्तों, जैसे:
- ड्रेक पैसेज।
- स्ट्रेट ऑफ मैगलन।
- बीगल चैनल।
से बचने में मदद करता है।
- जहाजों को दक्षिण अमेरिका के सबसे दक्षिणी सिरे से गुजरने वाले खतरनाक और लंबे रास्तों, जैसे:
पनामा नहर वैश्विक व्यापार और नौवहन के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पनामा नहर का ऐतिहासिक संदर्भ
निर्माण और प्रारंभिक इतिहास:
- 19वीं सदी:
पनामा नहर का विचार पहली बार 16वीं शताब्दी में स्पेनिश अन्वेषकों द्वारा प्रस्तावित किया गया था, लेकिन तकनीकी और वित्तीय सीमाओं के कारण इसे साकार नहीं किया जा सका।
19वीं शताब्दी के अंत में, फ्रांस ने 1881 में नहर बनाने का कार्य शुरू किया। इस परियोजना का नेतृत्व फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डिनेंड डी लेसप्स ने किया, जिन्होंने पहले स्वेज नहर का निर्माण किया था।- हालांकि, भारी बारिश, बीमारियों (मलेरिया और पीला बुखार), और खराब योजना के कारण फ्रांसीसी प्रयास असफल रहे।
- अमेरिकी हस्तक्षेप:
1904 में, अमेरिका ने परियोजना का नियंत्रण फ्रांस से ले लिया और नहर के निर्माण को फिर से शुरू किया।- अमेरिकी प्रयासों को सफल बनाने के लिए व्यापक इंजीनियरिंग, बेहतर चिकित्सा सुविधाएं, और जलवायु प्रबंधन शामिल था।
- नहर का निर्माण अमेरिकी कोर ऑफ इंजीनियर्स द्वारा पूरा किया गया।
- 15 अगस्त 1914: पनामा नहर आधिकारिक रूप से परिचालन में आई।
अमेरिकी नियंत्रण और पनामा का संघर्ष:
- नहर का प्रारंभिक नियंत्रण अमेरिका के पास था, और यह अमेरिकी सेना द्वारा प्रबंधित की जाती थी।
- पनामा ने दशकों तक नहर पर अपनी संप्रभुता की मांग की।
- 1977 में, अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और पनामा के नेता ओमर तोर्रिजोस ने एक समझौता किया, जिसमें तय हुआ कि:
- 31 दिसंबर 1999 तक नहर का पूर्ण नियंत्रण पनामा को सौंप दिया जाएगा।
पनामा द्वारा नहर का प्रबंधन:
- 1 जनवरी 2000: पनामा ने नहर का पूर्ण प्रबंधन संभाल लिया।
- पनामा ने नहर के संचालन और विस्तार में बड़े पैमाने पर निवेश किया।
- 2016 में, नहर के विस्तार (Panama Canal Expansion Project) के बाद बड़े जहाजों को मार्ग प्रदान करने की क्षमता में वृद्धि हुई।
वैश्विक महत्व:
- पनामा नहर वैश्विक व्यापार के लिए अत्यधिक रणनीतिक है, क्योंकि यह दुनिया के कुल समुद्री व्यापार का लगभग 6% संभालती है।
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, और यूरोपीय देशों जैसे प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है।
पनामा नहर न केवल इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है, बल्कि यह वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक रणनीति का भी केंद्र है।
संरचना:
लॉक:
प्रत्येक छोर पर लॉक होते हैं जो जहाजों को गटन झील तक ऊपर उठाते हैं, जो एक कृत्रिम मीठे पानी की झील है, जो समुद्र तल से 26 मीटर ऊँची है, और इसे चाग्रेस नदी और अलाजुएला झील को बांधकर बनाया गया है, ताकि नहर के लिए आवश्यक खुदाई के काम की मात्रा को कम किया जा सके। फिर लॉक जहाजों को दूसरे छोर पर नीचे ले जाते हैं।
पानी का उपयोग:
एक जहाज के एक पासिंग में औसतन 200 मिलियन लीटर (52 मिलियन गैलन) ताजे पानी का उपयोग होता है।
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