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राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions – NDCs)


1. राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) क्या हैं?

NDCs (Nationally Determined Contributions) वे लक्ष्य हैं जो प्रत्येक देश संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के अंतर्गत पेरिस समझौते (2015) के तहत प्रस्तुत करता है।
• इनका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में 2°C से नीचे बनाए रखना और इसे 1.5°C तक सीमित करने के प्रयास करना है।
• NDCs देश की जलवायु परिवर्तन के प्रति दीर्घकालिक रणनीति और सतत विकास लक्ष्यों से जुड़े होते हैं।


2. भारत द्वारा अद्यतन NDCs (2022)

भारत सरकार ने अगस्त 2022 में अपने NDCs को अद्यतन करते हुए 2030 तक निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए:

घटकलक्ष्य
गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित विद्युत क्षमता50% (पूर्व लक्ष्य: 40%)
GDP की उत्सर्जन तीव्रता में कमी45% तक (2005 के स्तर से)
जीवन शैली पर बलमिशन LiFE (Lifestyle for Environment) की अवधारणा को अपनाना
दीर्घकालिक लक्ष्य2070 तक नेट ज़ीरो प्राप्त करना

3. पंचामृत (Panchamrit): भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं का मूल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा COP26 सम्मेलन (ग्लासगो, 2021) में घोषित पंचामृत:

  1. 500 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता (2030 तक)
  2. 50% ऊर्जा आवश्यकताएँ अक्षय स्रोतों से (2030 तक)
  3. GDP उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी (2005 के आधार पर)
  4. 1 बिलियन टन CO₂ उत्सर्जन में कटौती (2030 तक)
  5. 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य

4. मिशन LiFE (Lifestyle for Environment)

परिकल्पना: यह अभियान पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को बढ़ावा देता है और उपभोग आधारित मॉडल की आलोचना करता है।
मुख्य उद्देश्य:

  • “Reduce, Reuse, Recycle” के सिद्धांतों को अपनाना
  • सामूहिक प्रयासों और व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से कार्बन फुटप्रिंट को कम करना
  • सरकारी योजनाओं में जीवनशैली आधारित उपायों को समाहित करना

वैश्विक मान्यता: संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित और अन्य देशों द्वारा अपनाने के प्रयास जारी हैं।


5. जलवायु न्याय और उत्तरदायित्व (Climate Justice & Responsibility)

• भारत जलवायु न्याय की अवधारणा पर बल देता है – जो यह कहती है कि:

  • ऐतिहासिक उत्सर्जनों के लिए विकसित देश अधिक जिम्मेदार हैं।
  • विकासशील देशों को समान अवसर और वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए।

Common But Differentiated Responsibilities (CBDR) सिद्धांत के अनुसार:

  • सभी देश उत्तरदायी हैं, लेकिन उनकी ज़िम्मेदारियाँ भिन्न होंगी।

• भारत ने अपने NDCs में समानता, सतत विकास, और गरीबी उन्मूलन जैसे मूल्यों को शामिल किया है।


6. विश्लेषण:

प्रशासनिक परिप्रेक्ष्य:

• पर्यावरण मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा नीति निर्माण और अनुपालन का कार्य किया जा रहा है।
• राज्यों और स्थानीय निकायों की भूमिका बढ़ रही है।
• मिशन LiFE, GOBARdhan, PM-KUSUM जैसे कार्यक्रमों का एकीकरण आवश्यक है।

कानूनी परिप्रेक्ष्य:

• जलवायु परिवर्तन से संबंधित कोई समर्पित कानून नहीं, लेकिन पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 लागू है।
• भारत सरकार ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 जैसे प्रावधानों के माध्यम से कार्बन क्रेडिट बाजार स्थापित कर रही है।

सामाजिक परिप्रेक्ष्य:

• भारत की बड़ी जनसंख्या में जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना चुनौतीपूर्ण है।
• महिलाओं, युवाओं और ग्रामीण समुदायों की सहभागिता मिशन LiFE की सफलता के लिए आवश्यक है।

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य:

• भारत की भूमिका वैश्विक दक्षिण के नेता के रूप में उभरी है।
• International Solar Alliance और Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) के माध्यम से भारत नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है।


7. UPSC परीक्षा प्रासंगिक बिंदु:

• NDCs की अवधारणा और भारत के अद्यतन लक्ष्य
• पंचामृत के पाँच स्तंभों की जानकारी
• मिशन LiFE की परिकल्पना, लक्ष्य और वैश्विक प्रभाव
• जलवायु न्याय में भारत का दृष्टिकोण
• कानूनी व प्रशासनिक सुधारों की जानकारी
• भारत की अंतरराष्ट्रीय जलवायु कूटनीति और नेतृत्व



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