DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 21 March 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveव्हाइट हाइड्रोजन (White Hydrogen)
समाचार में क्यों?
• फ्रांस ने मोसले क्षेत्र (Moselle region) में 46 मिलियन टन का विशाल व्हाइट हाइड्रोजन भंडार खोजा है।
• इसकी अनुमानित कीमत $92 ट्रिलियन आंकी गई है।
• यह खोज वैश्विक ऊर्जा संकट और हरित ऊर्जा (Green Energy) समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
व्हाइट हाइड्रोजन क्या है?
✔ व्हाइट हाइड्रोजन वह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला हाइड्रोजन है, जो भूगर्भीय प्रक्रियाओं के माध्यम से पृथ्वी की परतों में बनता और संग्रहित होता है।
✔ यह नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है क्योंकि इसके दहन से कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता।
✔ इसे “प्राकृतिक हाइड्रोजन” (Natural Hydrogen) या “जियोहाइड्रोजन” (Geo-hydrogen) भी कहा जाता है।
व्हाइट हाइड्रोजन के अन्य प्रकारों से अंतर
हाइड्रोजन का प्रकार | स्रोत और उत्पादन विधि | पर्यावरणीय प्रभाव |
---|---|---|
ग्रीन हाइड्रोजन | नवीकरणीय ऊर्जा (सौर/पवन) द्वारा जल के इलेक्ट्रोलिसिस से उत्पन्न | शून्य कार्बन उत्सर्जन |
ब्लू हाइड्रोजन | प्राकृतिक गैस से, लेकिन CO₂ को कैप्चर कर भंडारण किया जाता है | कम कार्बन उत्सर्जन |
ग्रे हाइड्रोजन | प्राकृतिक गैस से उत्पन्न, लेकिन CO₂ उत्सर्जन को कैप्चर नहीं किया जाता | उच्च कार्बन उत्सर्जन |
ब्राउन/ब्लैक हाइड्रोजन | कोयले से उत्पादित | अत्यधिक प्रदूषणकारी |
व्हाइट हाइड्रोजन | प्राकृतिक रूप से पृथ्वी की परतों में पाया जाता है | शून्य कार्बन उत्सर्जन, पूरी तरह स्वच्छ |
व्हाइट हाइड्रोजन के लाभ
✔ शुद्ध और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत – कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नहीं।
✔ सस्ती ऊर्जा – यदि इसे कुशलता से निकाला जाए तो अन्य हाइड्रोजन प्रकारों की तुलना में लागत प्रभावी हो सकता है।
✔ ऊर्जा संकट का समाधान – जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकता है।
✔ औद्योगिक उपयोग – परिवहन, स्टील और उर्वरक उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है।
व्हाइट हाइड्रोजन के सामने चुनौतियाँ
⚠ खनन और निष्कर्षण की जटिलता – गहरे भूगर्भीय संरचनाओं से इसे निकालना कठिन और महंगा हो सकता है।
⚠ भंडारण और परिवहन – हाइड्रोजन अत्यधिक ज्वलनशील है और इसे सुरक्षित रूप से संग्रहित करना चुनौतीपूर्ण है।
⚠ तकनीकी विकास की आवश्यकता – वर्तमान में इसके व्यावसायिक निष्कर्षण और उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी सीमित है।
⚠ नियामक और पर्यावरणीय प्रभाव – बड़े पैमाने पर खनन के लिए कड़े पर्यावरणीय नियमों की आवश्यकता होगी।
भारत और व्हाइट हाइड्रोजन
✔ भारत राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) के तहत हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है।
✔ भारत में अभी तक व्हाइट हाइड्रोजन के बड़े भंडार की खोज नहीं हुई है, लेकिन वैज्ञानिक इस दिशा में अध्ययन कर रहे हैं।
✔ भारत को इस तकनीक में निवेश करना चाहिए ताकि ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Independence) और हरित ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
निष्कर्ष
• व्हाइट हाइड्रोजन एक क्रांतिकारी ऊर्जा स्रोत हो सकता है, जो वैश्विक ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सहायक होगा।
• यदि इसका निष्कर्षण सस्ता और प्रभावी हो जाता है, तो यह पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों का एक स्थायी विकल्प बन सकता है।
• भारत को इस क्षेत्र में अनुसंधान और निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि ऊर्जा सुरक्षा और हरित भविष्य की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3 (पर्यावरण एवं ऊर्जा क्षेत्र)
• हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था और उसके प्रकार।
• व्हाइट हाइड्रोजन का महत्व और चुनौतियाँ।
• भारत की ग्रीन हाइड्रोजन नीति।
• ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास लक्ष्य (SDGs)।
क्रिएटर इकोनॉमी (Creator Economy)
समाचार में क्यों?
• भारत में क्रिएटर इकोनॉमी तेज़ी से बढ़ रही है, जिसका प्रमुख कारण इंटरनेट की आसान उपलब्धता है।
• सरकार ने $1 बिलियन (लगभग ₹8,300 करोड़) का फंड और ₹391 करोड़ भारतीय क्रिएटिव टेक्नोलॉजी संस्थान (Indian Institute of Creative Technology) के लिए आवंटित किए हैं।
• यह कदम डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
क्रिएटर इकोनॉमी क्या है?
✔ क्रिएटर इकोनॉमी एक डिजिटल इकोसिस्टम है, जहां कंटेंट क्रिएटर्स, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स, यूट्यूबर्स, ब्लॉगर्स, फ्रीलांसर्स और डिजिटल आर्टिस्ट्स अपने कंटेंट के माध्यम से कमाई करते हैं।
✔ इसमें वीडियो, ऑडियो, आर्ट, एनएफटी, ऑनलाइन कोर्स, न्यूज़लेटर्स, पॉडकास्ट और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं।
✔ यह इकोनॉमी पारंपरिक नौकरियों के बजाय स्वतंत्र कार्य और उद्यमशीलता को बढ़ावा देती है।
भारत में क्रिएटर इकोनॉमी के विकास के कारक
• सस्ते मोबाइल डेटा और इंटरनेट की आसान पहुंच – भारत में डिजिटल क्रांति के कारण क्रिएटर्स की संख्या बढ़ रही है।
• सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का विस्तार – यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम और ट्विटर जैसी प्लेटफॉर्म्स ने नए अवसर प्रदान किए हैं।
• डिजिटल पेमेंट सिस्टम का विकास – UPI और अन्य डिजिटल ट्रांजैक्शन साधनों ने छोटे क्रिएटर्स को भी आसानी से आय प्राप्त करने में सक्षम बनाया है।
• सरकारी समर्थन – स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और अन्य योजनाओं के तहत सरकार डिजिटल उद्यमिता को प्रोत्साहित कर रही है।
• लोकप्रियता और ब्रांड सहयोग – ब्रांड्स अब पारंपरिक विज्ञापनों के बजाय डिजिटल क्रिएटर्स के साथ साझेदारी कर रहे हैं।
क्रिएटर इकोनॉमी के लाभ
✔ स्वतंत्रता और लचीलापन – क्रिएटर्स अपने अनुसार काम कर सकते हैं, जिससे वे ज्यादा रचनात्मक और नवाचार कर सकते हैं।
✔ राजस्व के विविध स्रोत – विज्ञापन, ब्रांड सहयोग, मेंबरशिप, ऑनलाइन कोर्स, NFTs और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स से कमाई के अवसर।
✔ नई नौकरियों और उद्यमिता को बढ़ावा – कंटेंट क्रिएशन, डिजिटल मार्केटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, वीडियो एडिटिंग और अन्य क्षेत्रों में रोजगार बढ़ा।
✔ ग्लोबल पहुंच – भारतीय क्रिएटर्स दुनिया भर में अपने दर्शकों तक पहुंच सकते हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
✔ MSME और स्टार्टअप्स के लिए अवसर – छोटे व्यवसाय भी कंटेंट क्रिएटर्स की मदद से अपने उत्पादों को डिजिटल माध्यम से बढ़ावा दे सकते हैं।
क्रिएटर इकोनॉमी की चुनौतियाँ
⚠ अस्थिर आय स्रोत – क्रिएटर्स की आय प्लेटफॉर्म एल्गोरिदम और विज्ञापन नीतियों पर निर्भर होती है।
⚠ प्लेटफॉर्म पर निर्भरता – यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म अपने नियम बदल सकते हैं, जिससे क्रिएटर्स की आमदनी प्रभावित हो सकती है।
⚠ डिजिटल अधिकार और बौद्धिक संपदा – कॉपीराइट और कंटेंट चोरी जैसी समस्याएँ आम हैं।
⚠ मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव – लगातार कंटेंट बनाने का दबाव क्रिएटर्स के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
⚠ कराधान और नियामक चुनौतियाँ – डिजिटल कमाई पर टैक्स नियम स्पष्ट नहीं होने के कारण कुछ क्रिएटर्स को कठिनाइयाँ होती हैं।
भारत सरकार की पहल
✔ $1 बिलियन क्रिएटर फंड – नए और उभरते क्रिएटर्स को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए।
✔ ₹391 करोड़ – भारतीय क्रिएटिव टेक्नोलॉजी संस्थान (Indian Institute of Creative Technology) के लिए, जिससे डिजिटल कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
✔ डिजिटल इंडिया मिशन – डिजिटल कौशल को बढ़ावा देने और डिजिटल साक्षरता में सुधार लाने के लिए।
✔ स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत – डिजिटल उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी योजनाएँ।
निष्कर्ष
• क्रिएटर इकोनॉमी भारत के डिजिटल भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन रही है।
• यह नए रोजगार सृजित करने, उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और डिजिटल नवाचार को गति देने में मददगार साबित हो रही है।
• सरकार के समर्थन और डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास से भारत वैश्विक क्रिएटर इकोनॉमी का केंद्र बन सकता है।
• हालाँकि, इस क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने और उचित नीतियों के माध्यम से इसे सुरक्षित और लाभदायक बनाने की आवश्यकता है।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3 (अर्थव्यवस्था और विज्ञान-प्रौद्योगिकी)
• डिजिटल अर्थव्यवस्था और इसके प्रभाव।
• क्रिएटर इकोनॉमी का महत्व और चुनौतियाँ।
• सरकार की नीतियाँ और योजनाएँ।
• नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम का विकास।
फाइव आइज़ एलायंस (Five Eyes Alliance)
समाचार में क्यों?
• हाल ही में फाइव आइज़ एलायंस (Five Eyes Alliance) के तीन सदस्य देशों के खुफिया प्रमुख और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नई दिल्ली में एकत्र हुए।
• वे रायसीना डायलॉग में भी भाग लेंगे, जो एक बहुपक्षीय सम्मेलन है और इसे ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) और भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है।
• यह बैठक वैश्विक सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
फाइव आइज़ एलायंस क्या है?
✔ फाइव आइज़ (Five Eyes) एक खुफिया साझेदारी है जिसमें पांच देश शामिल हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
- ब्रिटेन (UK)
- कनाडा (Canada)
- ऑस्ट्रेलिया (Australia)
- न्यूज़ीलैंड (New Zealand)
✔ यह गठबंधन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बना और शीत युद्ध के दौरान और अधिक प्रभावशाली हुआ।
✔ इसका मुख्य उद्देश्य साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियान, और वैश्विक निगरानी में सहयोग करना है।
✔ ये देश एक-दूसरे के साथ गुप्त खुफिया जानकारी साझा करते हैं, विशेष रूप से सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT), जिसे इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और जासूसी कहा जाता है।
फाइव आइज़ एलायंस का कार्य कैसे करता है?
• इसका संचालन राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से किया जाता है:
- USA – National Security Agency (NSA)
- UK – Government Communications Headquarters (GCHQ)
- Canada – Communications Security Establishment (CSE)
- Australia – Australian Signals Directorate (ASD)
- New Zealand – Government Communications Security Bureau (GCSB)
• ये देश इलेक्ट्रॉनिक संचार, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद और वैश्विक खतरों पर नजर रखते हैं।
• इस गठबंधन की विशेषता यह है कि इसमें सदस्य देश एक-दूसरे पर खुफिया निगरानी नहीं रखते।
भारत और फाइव आइज़ एलायंस
✔ भारत फाइव आइज़ एलायंस का औपचारिक सदस्य नहीं है, लेकिन भारत अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, और कनाडा के साथ रणनीतिक खुफिया साझेदारी बढ़ा रहा है।
✔ हाल के वर्षों में भारत और फाइव आइज़ के सदस्यों के बीच साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी अभियानों और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है।
✔ भारत, जापान, फ्रांस, और जर्मनी जैसे देशों को “फाइव आइज़ प्लस” में शामिल करने पर चर्चा चल रही है।
रणनीतिक महत्व
क्षेत्र | महत्व |
---|---|
साइबर सुरक्षा | चीन और रूस जैसे देशों से साइबर खतरों के खिलाफ सहयोग बढ़ेगा। |
आतंकवाद विरोधी अभियान | आतंकवाद पर खुफिया जानकारी साझा करने में भारत को फायदा होगा। |
हिंद-प्रशांत रणनीति | भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और नौसेना सहयोग मजबूत होगा। |
तकनीकी और डिजिटल निगरानी | वैश्विक स्तर पर डेटा सुरक्षा और साइबर अपराध रोकने में मदद मिलेगी। |
निष्कर्ष
• फाइव आइज़ एलायंस वैश्विक सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने का एक मजबूत नेटवर्क है।
• भारत इस गठबंधन का औपचारिक सदस्य न होते हुए भी इसके साथ घनिष्ठ संबंध बना रहा है।
• रायसीना डायलॉग में फाइव आइज़ के देशों की भागीदारी से भारत की वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग में भूमिका और बढ़ेगी।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध)
• फाइव आइज़ एलायंस और भारत।
• वैश्विक खुफिया और सुरक्षा सहयोग।
• बहुपक्षीय सुरक्षा साझेदारियाँ।
GS Paper 3 (आंतरिक सुरक्षा और साइबर सुरक्षा)
• भारत की साइबर सुरक्षा रणनीति।
• आतंकवाद और साइबर अपराध के खिलाफ वैश्विक सहयोग।
• भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और निगरानी तंत्र।
IUCN ग्रीन लिस्ट
समाचार में क्यों?
• इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की ग्रीन लिस्ट (Green List) में पश्चिम एशिया के चार नए संरक्षण स्थलों को जोड़ा गया है।
• यह सूची उन क्षेत्रों को मान्यता देती है जहाँ प्रभावी और न्यायसंगत संरक्षण प्रबंधन किया जा रहा है।
• इस सूची में शामिल स्थलों की संख्या में वृद्धि से वैश्विक जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को बल मिलेगा।
IUCN ग्रीन लिस्ट क्या है?
✔ यह IUCN द्वारा 2014 में शुरू की गई एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य संरक्षित और संरक्षित क्षेत्रों (Protected & Conserved Areas) का मूल्यांकन और मान्यता प्रदान करना है।
✔ इसका लक्ष्य सतत और प्रभावी संरक्षण प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
✔ इस सूची में वे क्षेत्र शामिल किए जाते हैं जो IUCN Green List Standard के अनुसार संरक्षण और प्रबंधन के उच्चतम मानकों को पूरा करते हैं।
IUCN ग्रीन लिस्ट के मानदंड
किसी भी संरक्षित क्षेत्र को ग्रीन लिस्ट में शामिल होने के लिए चार प्रमुख मानदंडों को पूरा करना होता है:
- सतत संरक्षण (Sustainability): दीर्घकालिक जैव विविधता संरक्षण सुनिश्चित किया गया हो।
- प्रभावी प्रबंधन (Effective Management): वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीकों से संरक्षण किया जा रहा हो।
- न्यायसंगत शासन (Equitable Governance): स्थानीय समुदायों और हितधारकों की भागीदारी हो।
- सकारात्मक संरक्षण परिणाम (Positive Conservation Outcomes): जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ मिल रहा हो।
IUCN ग्रीन लिस्ट में कौन-कौन से क्षेत्र आते हैं?
• वर्तमान में 30 से अधिक देशों के कई राष्ट्रीय उद्यान, जैवमंडल रिजर्व और समुद्री संरक्षण क्षेत्र इस सूची में शामिल हैं।
• भारत में भी कुछ संरक्षित क्षेत्र इस सूची का हिस्सा हैं।
• हाल ही में पश्चिम एशिया के चार नए संरक्षण स्थल इसमें जोड़े गए हैं।
IUCN ग्रीन लिस्ट का महत्व
✔ वैश्विक जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को मजबूत करता है।
✔ संरक्षित क्षेत्रों के प्रभावी प्रबंधन को पहचान दिलाता है और उन्हें प्रोत्साहित करता है।
✔ स्थानीय समुदायों की भागीदारी और आजीविका को बढ़ावा देता है।
✔ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है।
निष्कर्ष
• IUCN ग्रीन लिस्ट वैश्विक संरक्षण प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो सतत और प्रभावी संरक्षण प्रबंधन को प्रोत्साहित करती है।
• हाल के वर्षों में इसमें शामिल क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि जैव विविधता संरक्षण की दिशा में सकारात्मक संकेत है।
• भारत को भी अपने अधिक संरक्षित क्षेत्रों को इस सूची में शामिल कराने की दिशा में काम करना चाहिए।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3 (पर्यावरण एवं जैव विविधता)
• IUCN और उसकी पहलें।
• ग्रीन लिस्ट का महत्व और प्रभाव।
• भारत के संरक्षित क्षेत्र और उनकी स्थिति।
• वैश्विक जैव विविधता संरक्षण प्रयास।
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