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बोड़ो समझौता (Bodo Accord)

बोड़ो समझौता (Bodo Accord)

समाचार में क्यों?

• केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2020 के बोड़ो समझौते की 82% शर्तों को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लागू किया जा चुका है और शेष प्रावधान अगले दो वर्षों में लागू किए जाएंगे
• यह समझौता असम में बोड़ो समुदाय की राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया गया था।


बोड़ो समझौता: एक परिचय

1. पहला बोड़ो समझौता (1993)

बोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि में केंद्र और असम सरकार ने ऑल बोड़ो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के साथ समझौता किया
• इसके तहत बोड़ोलैंड स्वायत्त परिषद (BAC) का गठन किया गया।

2. दूसरा बोड़ो समझौता (2003)

• केंद्र सरकार और बोड़ो लिबरेशन टाइगर्स (BLT) के बीच हुआ।
• इसके तहत बोड़ोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) का गठन हुआ, जिसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया गया।

3. तीसरा बोड़ो समझौता (2020)

• यह समझौता केंद्र सरकार, असम सरकार, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड (NDFB), ABSU और अन्य संगठनों के बीच हुआ
• इसने बोड़ो विवाद को हल करने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान की।


2020 के बोड़ो समझौते के प्रमुख प्रावधान

बोड़ो क्षेत्रीय परिषद (BTC) को और सशक्त बनाना।
बोड़ो समुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की सुरक्षा।
बोड़ो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना।
NDFB उग्रवादियों का आत्मसमर्पण और मुख्यधारा में शामिल करना।
बोड़ो क्षेत्रों के विकास के लिए ₹1,500 करोड़ का पैकेज।
बोड़ो समुदाय को राजनीतिक प्रतिनिधित्व और नौकरियों में अवसर देना।


बोड़ो विवाद और इसका समाधान

कारणसमाधान
ऐतिहासिक असंतोष और स्वायत्तता की माँग2020 समझौते में राजनीतिक और प्रशासनिक सशक्तिकरण
पहचान और भाषा को लेकर चिंताबोड़ो भाषा को संवैधानिक मान्यता
आर्थिक पिछड़ापन और विकास की कमीविशेष विकास पैकेज और नौकरियों में अवसर
उग्रवाद और हिंसाNDFB का आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना

निष्कर्ष

• 2020 बोड़ो समझौता असम में शांति और स्थिरता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
• अधिकांश प्रावधान लागू हो चुके हैं, और सरकार बचे हुए मुद्दों को भी जल्द हल करने के लिए प्रतिबद्ध है
• यदि समझौते का पूर्ण क्रियान्वयन होता है, तो यह पूर्वोत्तर में अन्य जातीय संघर्षों के समाधान के लिए एक मॉडल बन सकता है


यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु

GS Paper 2 (संविधान, शासन, और नीति निर्माण)

• छठी अनुसूची और स्वायत्त परिषदें।
• अल्पसंख्यक अधिकार और सांस्कृतिक संरक्षण।
• पूर्वोत्तर भारत में शांति और विकास से जुड़े प्रयास।

GS Paper 3 (आंतरिक सुरक्षा और उग्रवाद)

• पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद का समाधान।
• आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति।
• शांति प्रक्रिया और विकास नीतियाँ।


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