मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: 10 वर्षों का सफर और विश्लेषण
परिचय
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme) की शुरुआत 19 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी भूमि की मृदा गुणवत्ता और पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना था, जिससे वे उचित उर्वरकों और पोषक तत्वों का उपयोग कर सकें। इस योजना ने 2025 में अपने 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
योजना के मुख्य उद्देश्य
✅ मृदा परीक्षण के माध्यम से भूमि की उर्वरता बनाए रखना।
✅ किसानों को उपयुक्त उर्वरकों और पोषक तत्वों की जानकारी देना।
✅ रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग को रोकना।
✅ जैविक और सतत खेती को बढ़ावा देना।
✅ फसल उत्पादन को वैज्ञानिक पद्धति से बढ़ाना।
मुख्य बिंदु
मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य सतत कृषि को बढ़ावा देना और फसल उत्पादकता में सुधार करना है। यह योजना किसानों को उनकी मृदा की विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रदान करती है, जिससे वे पोषक तत्व प्रबंधन और फसल चयन को लेकर सही निर्णय ले सकें।
मुख्य उद्देश्य:
✅ मृदा स्वास्थ्य का आकलन: किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति की संपूर्ण जानकारी देना।
✅ संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देना: मिट्टी की आवश्यकताओं के अनुसार उर्वरकों का उचित उपयोग सुनिश्चित करना, जिससे लागत कम हो और मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे।
✅ फसल उत्पादकता बढ़ाना: उपयुक्त मृदा सुधार और कृषि पद्धतियों की सिफारिश कर फसल उत्पादन में वृद्धि करना।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) की विशेषताएँ:
🔹 मूल्यांकन किए गए तत्व: प्रत्येक SHC 12 मृदा घटकों का परीक्षण करता है, जिसमें शामिल हैं:
📌 मुख्य पोषक तत्व (Macronutrients): नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटेशियम (K), सल्फर (S)
📌 सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients): जिंक (Zn), आयरन (Fe), कॉपर (Cu), मैंगनीज (Mn), बोरॉन (Bo)
📌 अन्य संकेतक: pH (अम्लता/क्षारीयता), विद्युत चालकता (EC), कार्बनिक कार्बन (OC)
🔹 अनुशंसाएँ: मृदा विश्लेषण के आधार पर किसानों को यह सलाह दी जाती है:
📌 उपयुक्त उर्वरकों के प्रकार और उनकी मात्रा
📌 आवश्यक मृदा संशोधन उपाय
📌 फसल चयन के लिए उपयुक्त सुझाव
क्रियान्वयन और तकनीकी प्रगति:
📍 नमूना संग्रहण:
- मिट्टी के नमूने वर्ष में दो बार (रबी और खरीफ फसल कटाई के बाद) एकत्र किए जाते हैं, जिससे सही आकलन किया जा सके।
📍 ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएँ (VLSTLs):
- VLSTL की नई गाइडलाइन जून 2023 में जारी की गई।
- इन्हें ग्रामीण युवा, स्वयं सहायता समूह (SHG), स्कूल, कृषि विश्वविद्यालयों आदि द्वारा संचालित किया जा सकता है।
📍 डिजिटल एकीकरण:
- 2023 में SHC पोर्टल को उन्नत किया गया और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) तकनीक के साथ जोड़ा गया।
- इसके माध्यम से किसान मिट्टी के नमूनों का जियो-रेफरेंसिंग, वास्तविक समय में मृदा स्वास्थ्य डेटा तक पहुंच, और **QR को
अब तक की प्रगति (2015-2025)
📌 2015-2017 (पहला चरण):
- 2.53 करोड़ नमूनों का परीक्षण किया गया।
- 10.73 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए।
📌 2017-2019 (दूसरा चरण):
- 2.5 करोड़ से अधिक नमूनों की जांच की गई।
- 11 करोड़ से अधिक मृदा कार्ड जारी किए गए।
📌 2019-2025 (सुधार और विस्तार):
- डिजिटल मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रणाली की शुरुआत।
- उर्वरकों के संतुलित उपयोग से किसानों की लागत में 8-10% की कमी।
- फसल उत्पादन में 5-6% की वृद्धि।
- 50,000 से अधिक मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना।
योजना की उपलब्धियां
✅ किसानों को मृदा पोषण और उर्वरक उपयोग के बारे में जागरूक किया गया।
✅ रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटी, जैविक खेती को बढ़ावा मिला।
✅ भूमि की गुणवत्ता में सुधार से उत्पादन क्षमता बढ़ी।
✅ डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को उनकी भूमि की रिपोर्ट आसानी से उपलब्ध कराई गई।
चुनौतियाँ और सुधार की संभावनाएँ
❌ प्रयोगशालाओं की कमी: कई ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी पर्याप्त मृदा परीक्षण सुविधाएं नहीं हैं।
❌ किसानों में जागरूकता की कमी: सभी किसान अभी भी इस योजना का पूर्ण लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
❌ संतुलित उर्वरक उपयोग: कुछ क्षेत्रों में अभी भी रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है।
❌ तकनीकी समस्याएँ: डिजिटल रिपोर्ट तक पहुंच में कठिनाई।
सुधार के लिए सुझाव
✔ प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाना और मोबाइल परीक्षण वैन शुरू करना।
✔ किसानों को अधिक जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
✔ डिजिटल प्लेटफॉर्म को अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना।
✔ जैविक और प्राकृतिक खेती को अधिक बढ़ावा देना।
निष्कर्ष
10 वर्षों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने भारतीय कृषि को वैज्ञानिक और पर्यावरण-अनुकूल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इसे और प्रभावी बनाने के लिए सर्वोत्तम तकनीकों और किसानों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होगी। यदि इन सुधारों पर ध्यान दिया जाए, तो यह योजना भारत की कृषि उत्पादकता और स्थिरता में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
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