DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 02 FEBRUARY 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveदूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण ( Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal )
दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) के बारे में
- इसे 1997 के TRAI अधिनियम में संशोधन करके वर्ष 2000 में स्थापित किया गया था।
- इसे दूरसंचार क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और दूरसंचार क्षेत्र के सुव्यवस्थित विकास को बढ़ावा देने एवं सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विवादों के निपटान और अपीलों के निस्तारण के लिए स्थापित किया गया था।
TDSAT की संरचना
- इसमें एक अध्यक्ष (Chairperson) और दो सदस्य (Members) होते हैं, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
TDSAT के सदस्यों की पात्रता
अध्यक्ष:
- अध्यक्ष को या तो भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश होना चाहिए या किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका होना चाहिए।
अन्य सदस्य:
- उन्हें भारत सरकार में सचिव (Secretary) के पद पर या केंद्र सरकार/राज्य सरकार में किसी समकक्ष पद पर कम से कम दो वर्षों तक कार्य किया होना चाहिए, या फिर वे प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, उद्योग, वाणिज्य या प्रशासन के क्षेत्र में विशेष ज्ञान रखते हों।
कार्यकाल:
- न्यायाधिकरण के अध्यक्ष अधिकतम चार वर्ष तक या 70 वर्ष की आयु तक पद पर रह सकते हैं, जो भी पहले हो।
- अन्य सदस्य चार वर्ष तक या 65 वर्ष की आयु तक पद पर रह सकते हैं, जो भी पहले हो।
TDSAT की शक्तियाँ और अधिकार क्षेत्र
- यह दूरसंचार, प्रसारण, सूचना प्रौद्योगिकी और हवाई अड्डा शुल्क से जुड़े मामलों पर TRAI अधिनियम, 1997, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 और भारतीय हवाई अड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 के तहत अधिकार क्षेत्र रखता है।
- यह दूरसंचार, प्रसारण और हवाई अड्डा शुल्क से जुड़े मामलों में मूल (Original) और अपीलीय (Appellate) दोनों प्रकार का अधिकार क्षेत्र रखता है।
- साइबर मामलों में, यह केवल अपीलीय अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करता है।
- जनवरी 2004 में, सरकार ने TRAI अधिनियम के तहत प्रसारण और केबल सेवाओं को भी शामिल कर दिया।
- 2017 के वित्त अधिनियम के प्रावधान लागू होने के बाद, TDSAT का अधिकार क्षेत्र साइबर अपीलीय न्यायाधिकरण और हवाई अड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण अपीलीय न्यायाधिकरण तक बढ़ा दिया गया।
TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) क्या है?
TRAI (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) भारत सरकार द्वारा 1997 में TRAI अधिनियम, 1997 के तहत स्थापित एक स्वतंत्र नियामक संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य दूरसंचार क्षेत्र में पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना है।
TRAI की स्थापना का उद्देश्य
🔹 दूरसंचार सेवाओं को अधिक सुलभ और किफायती बनाना।
🔹 सेवा प्रदाताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
🔹 उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और उनकी शिकायतों का समाधान करना।
🔹 दूरसंचार क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना और तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करना।
🔹 लाइसेंसिंग और स्पेक्ट्रम प्रबंधन से जुड़े सरकारी निर्णयों पर सलाह देना।
TRAI की संरचना
TRAI में एक अध्यक्ष (Chairperson), दो पूर्णकालिक सदस्य (Full-time Members) और दो अंशकालिक सदस्य (Part-time Members) होते हैं, जिन्हें भारत सरकार नियुक्त करती है।
➡️ अध्यक्ष (Chairperson): भारत सरकार द्वारा नियुक्त होता है और TRAI का प्रमुख होता है।
➡️ अन्य सदस्य: दूरसंचार, वित्त, प्रशासन, प्रौद्योगिकी और नियामक नीति के विशेषज्ञ होते हैं।
TRAI के कार्य और जिम्मेदारियाँ
✅ दूरसंचार टैरिफ (Telecom Tariff) तय करना: कॉल दरें, SMS शुल्क, इंटरनेट शुल्क आदि निर्धारित करना।
✅ नेटवर्क की गुणवत्ता की निगरानी: कॉल ड्रॉप, इंटरनेट स्पीड और सेवा की गुणवत्ता पर ध्यान देना।
✅ उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा: DND (Do Not Disturb) और मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) जैसी सुविधाएँ लागू करना।
✅ स्पेक्ट्रम आवंटन पर सुझाव देना: मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया में सुधार के लिए सरकार को सलाह देना।
✅ दूरसंचार और प्रसारण सेवाओं को विनियमित करना: DTH, केबल टीवी और OTT प्लेटफार्मों के लिए नीतियाँ तैयार करना।
✅ 5G और डिजिटल संचार नीतियों पर कार्य: भारत में 5G नेटवर्क और डिजिटल सेवाओं के विस्तार को प्रोत्साहित करना।
TRAI के प्रमुख सुधार और पहल
1️⃣ मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP): उपभोक्ताओं को किसी भी सेवा प्रदाता को बदलने की सुविधा दी।
2️⃣ DND (Do Not Disturb) सेवा: अनचाही मार्केटिंग कॉल्स और SMS से बचाव के लिए नियम बनाए।
3️⃣ नेट न्यूट्रैलिटी: सभी इंटरनेट सेवाओं को समान रूप से उपलब्ध कराने के लिए सख्त नियम लागू किए।
4️⃣ 5G रोलआउट में योगदान: 5G नेटवर्क की नीतियाँ तैयार करने और उनकी निगरानी में सक्रिय भागीदारी।
5️⃣ DTH और केबल टीवी टैरिफ विनियमन: उपभोक्ताओं को चैनल चुनने की स्वतंत्रता दी और अधिक पारदर्शी मूल्य निर्धारण प्रणाली लागू की।
TRAI और TDSAT में अंतर
विशेषता | TRAI | TDSAT |
---|---|---|
पूरा नाम | Telecom Regulatory Authority of India | Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal |
स्थापना | 1997 | 2000 |
कार्य | दूरसंचार क्षेत्र को विनियमित करना | दूरसंचार विवादों का समाधान करना |
अधिकार | टैरिफ निर्धारण, स्पेक्ट्रम नीति, उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा | सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं के बीच विवादों का निपटारा करना |
अपील | TRAI के निर्णयों के खिलाफ TDSAT में अपील की जा सकती है | TDSAT के निर्णयों के खिलाफ उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है |
निष्कर्ष
TRAI भारतीय दूरसंचार क्षेत्र का प्रमुख नियामक निकाय है, जो दूरसंचार सेवाओं को पारदर्शी, किफायती और कुशल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है, सेवा प्रदाताओं के लिए नियम बनाता है और दूरसंचार क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को बढ़ावा देता है।
TRAI से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
Q1: TRAI क्या करता है?
🔹 TRAI दूरसंचार और प्रसारण सेवाओं को विनियमित करता है, टैरिफ तय करता है, उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है और सेवा प्रदाताओं के लिए दिशानिर्देश जारी करता है।
Q2: क्या TRAI टैरिफ निर्धारण करता है?
🔹 हां, TRAI कॉल दरों, इंटरनेट शुल्क, SMS दरों और DTH/केबल टैरिफ को विनियमित करता है।
Q3: TRAI के तहत कौन-कौन सी सेवाएँ आती हैं?
🔹 मोबाइल सेवाएँ, ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन, DTH, केबल टीवी, OTT प्लेटफॉर्म और इंटरनेट सेवाएँ।
Q4: TRAI उपभोक्ताओं की शिकायतें कैसे सुलझाता है?
🔹 TRAI उपभोक्ता हेल्पलाइन, DND सेवा, टोल-फ्री नंबर और ऑनलाइन शिकायत निवारण पोर्टल के माध्यम से उपभोक्ताओं की शिकायतों को हल करने में मदद करता है।
Q5: क्या TRAI के खिलाफ अपील की जा सकती है?
🔹 हां, यदि किसी सेवा प्रदाता या व्यक्ति को TRAI के किसी निर्णय से असहमति है, तो वह TDSAT (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal) में अपील कर सकता है।
TDSAT – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1: अपीलीय न्यायाधिकरण का कार्य क्या है?
उत्तर: अपीलीय न्यायाधिकरण को प्राधिकरणों द्वारा दिए गए आदेशों के विरुद्ध अपील सुनने के लिए गठित किया गया है।
Q2: TRAI का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर: TRAI का मुख्य उद्देश्य देश में दूरसंचार क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाना और बनाए रखना है।
Q3: TDSAT की भूमिका क्या है?
उत्तर: यह सभी दूरसंचार विवादों को सुनने और निपटाने के लिए अधिकृत है।
Q4: TDSAT की संरचना क्या है?
उत्तर: इसमें एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं, जिन्हें केंद्र सरकार नियुक्त करती है।
आर्थिक समीक्षा 2024-25 ( Economic Review 2024-25 )
आर्थिक समीक्षा 2024-25:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 प्रस्तुत की। इसमें सुधारों एवं विकास के लिये रोडमैप निर्धारित किया गया, जो केंद्रीय बजट 2025 का आधार है
1. भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति:
आर्थिक समीक्षा 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर गहन विश्लेषण किया गया है। यह समीक्षा मौद्रिक और वित्तीय नीतियों, आंतरिक और बाहरी आर्थिक गतिविधियों, और विकास की दिशा को उजागर करती है।
- वृद्धि दर:
- भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्षों के औसत स्तर के करीब है।
- वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान है।
- आर्थिक गति की स्थिरता को देखते हुए, भारत की वृद्धि दर में वैश्विक मांग में सुधार और घरेलू सुधारों से मदद मिलेगी।
- वैश्विक व्यापार और निर्यात में वृद्धि भारत के विकास को प्रोत्साहित करेगी।
- मुद्रास्फीति:
- 2024-25 में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया गया है। विशेष रूप से खाद्य और तेल की कीमतों में स्थिरता आई है, जिससे उपभोक्ता खर्च पर दबाव कम हुआ है।
- मुद्रास्फीति 4.5%-5% के बीच रहने की संभावना है, जो सरकार की मौद्रिक नीति के प्रभाव को दर्शाता है।
- मांग-आपूर्ति में संतुलन और कृषि क्षेत्र की वृद्धि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो रही है।
2. क्षेत्रवार प्रदर्शन:
- कृषि:
- कृषि क्षेत्र में इस वर्ष 5.7% की वृद्धि का अनुमान है, जो खाद्यान्न उत्पादन में सुधार को दर्शाता है।
- खरीफ उत्पादन के मजबूत परिणाम और फसल विविधीकरण योजनाओं से कृषि क्षेत्र को स्थिरता मिल रही है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी और स्मार्ट कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया है।
- उद्योग और विनिर्माण:
- विनिर्माण क्षेत्र में 6% की वृद्धि का अनुमान है। हालांकि, महंगे कच्चे माल और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट के कारण कुछ क्षेत्रों में समस्या बनी हुई है।
- खुदरा व्यापार और ऑटोमोबाइल उद्योग ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि निर्माण उद्योग में कुछ समस्याएँ आई हैं।
- स्वचालित निर्माण, नवीन तकनीकी विकास, और स्मार्ट फैक्ट्री मॉडल से उत्पादन क्षमता में सुधार हो रहा है।
- सेवाएँ:
- सेवा क्षेत्र में 7.2% की वृद्धि देखी गई है, खासकर सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाएँ, हेल्थकेयर, और आतिथ्य उद्योगों में।
- डिजिटल सेवाएँ, ऑनलाइन शिक्षा, और सामाजिक मीडिया के क्षेत्र में मूल्यवर्धन हुआ है।
- स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं ने सेवा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा दिया है।
3. मुद्रास्फीति और मूल्य वृद्धि:
- मुद्रास्फीति में स्थिरता आ रही है, खासकर खाद्य और ऊर्जा कीमतों में सुधार के बाद।
- भारत सरकार ने कड़ी मौद्रिक नीति अपनाई है, जिससे मुद्रास्फीति को 4.5% के आस-पास बनाए रखने में सफलता मिली है।
- हालांकि, विदेशी आपूर्ति संकट और निर्यात दर में उतार-चढ़ाव मुद्रास्फीति पर दबाव डाल सकते हैं।
- आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और आंतरिक उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं।
4. मौद्रिक और वित्तीय क्षेत्र:
- मौद्रिक नीति में सुधार और बैंकिंग क्षेत्र में स्थिरता आ रही है।
- विदेशी मुद्रा भंडार 640.3 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है, जो भारत के आर्थिक आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करता है।
- वित्तीय प्रणाली में सुधार, जैसे कि ब्याज दरों में कमी और वित्तीय संस्थाओं का पुनर्निर्माण, ने निवेश और विकास को बढ़ावा दिया है।
- डिजिटल भुगतान और ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के उपयोग से वित्तीय प्रणाली में संवेदनशीलता और पारदर्शिता आई है।
5. बाह्य क्षेत्र:
- विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है, और भारत के व्यापारिक साझेदार के साथ मजबूत संबंध विकसित हो रहे हैं।
- भारत के निर्यात में 8% तक वृद्धि का अनुमान है, खासकर सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य उत्पाद और औद्योगिक वस्तुओं में।
- वैश्विक व्यापार और संचार में भारत की स्थिति मजबूत हो रही है, और आगामी वर्ष में निर्यात में और वृद्धि हो सकती है।
6. मध्यम अवधि का परिदृश्य:
- भारत में संरचनात्मक सुधारों और नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
- शहरीकरण और कौशल विकास के लिए सरकार ने विशेष योजनाएँ बनाई हैं।
- स्मार्ट सिटी और विकसित ग्रामीण क्षेत्र के लिए नई नीतियाँ लागू की जा रही हैं।
7. निवेश और बुनियादी ढाँचा:
- पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के जरिए बुनियादी ढाँचे में निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- स्मार्ट सिटी परियोजनाओं, रेलवे नेटवर्क, सड़क निर्माण, और जलवायु परिवर्तन से संबंधित परियोजनाओं में भी निवेश बढ़ाया गया है।
- भारत सरकार ने सड़क परिवहन और रेलवे क्षेत्र में विशेष फोकस किया है, जिससे इन क्षेत्रों में विकास और बुनियादी ढाँचा मजबूत हो सके।
8. प्रमुख घटनाक्रम और सुधार:
- भारत सरकार ने कृत्रिम मेधा (AI), नवीकरणीय ऊर्जा, और हरित निर्माण जैसे क्षेत्रों में नए कदम उठाए हैं।
- स्वास्थ्य बीमा और शिक्षा क्षेत्र में सुधारों के कारण सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को मजबूती मिली है।
- भारत में महिलाओं के लिए विशेष रोजगार योजनाएँ लागू की गई हैं, जो रोजगार सृजन में मदद कर रही हैं।
भारत की प्रमुख आर्थिक चुनौतियाँ (आर्थिक समीक्षा 2024-25):
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ:
- वैश्विक मंदी और अन्य देशों में आर्थिक संकटों के कारण भारत को निर्यात में कमी का सामना करना पड़ सकता है। विशेष रूप से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान और मुद्रास्फीति की चुनौतियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल सकती हैं।
- भारत की व्यापार नीति और वैश्विक व्यापार भागीदारी को इन अनिश्चितताओं से बचने के लिए मजबूत किया जाना चाहिए।
- ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव:
- वैश्विक ऊर्जा बाजारों में अनिश्चितता, जैसे कच्चे तेल और गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव, भारत की ऊर्जा आपूर्ति और खर्च पर प्रभाव डाल सकता है। भारत एक ऊर्जा आयातक देश है, और ऊर्जा कीमतों में वृद्धि से देश की मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ेगा, जो विकास में रुकावट डाल सकता है।
- कृषि क्षेत्र में समस्याएँ:
- जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादन में अनियमितता आ सकती है। अत्यधिक वर्षा या सूखा जैसे मौसम घटनाएँ खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं।
- कृषि में सुधारों और नवीनतम तकनीक की आवश्यकता है, ताकि उत्पादन की स्थिरता बनी रहे।
- रोजगार सृजन:
- नौकरी सृजन में कमी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है, विशेषकर युवा और शिक्षा प्राप्त वर्ग के लिए। बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के बीच रोजगार के अवसरों की कमी महसूस की जा रही है।
- कौशल विकास और स्वतंत्र उद्यमिता को बढ़ावा देना आवश्यक होगा।
- संरचनात्मक सुधारों की गति:
- भारत में संरचनात्मक सुधारों की प्रक्रिया में धीमी गति के कारण दीर्घकालिक आर्थिक विकास की संभावनाएँ प्रभावित हो सकती हैं। इसमें भ्रष्टाचार, कानूनी दिक्कतें और नौकरशाही जैसे मुद्दे भी आते हैं।
- इन सुधारों को तेजी से लागू करने के लिए प्रशासनिक तंत्र को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
- आधिकारिक वित्तीय स्थिरता:
- भारत की सरकारी ऋण में वृद्धि हो रही है, जिससे वित्तीय स्थिरता पर दबाव बन सकता है। राजकोषीय घाटा और सार्वजनिक ऋण को नियंत्रित करने के लिए अधिक प्रभावी नीति उपायों की आवश्यकता है।
- सरकार को वित्तीय प्रबंधन में संतुलन बनाए रखते हुए विकास को बढ़ावा देना होगा।
- मुद्रास्फीति और जीवन यापन की लागत:
- मुद्रास्फीति और खाद्य कीमतों में वृद्धि, विशेष रूप से गरीब और मिडल क्लास परिवारों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। इसमें विशेष रूप से अनाज, दालें, और तेल जैसे आवश्यक उत्पाद शामिल हैं।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के बढ़ने से परिवारों की खरीदारी की शक्ति कम हो सकती है।
- प्राकृतिक संसाधनों की कमी:
- जल संकट, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दे भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा और हरित विकास को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण होगा।
- सामाजिक असमानताएँ:
- आर्थिक असमानता में वृद्धि और सामाजिक भेदभाव जैसे मुद्दे भारत की दीर्घकालिक विकास दर पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और समान अवसरों के माध्यम से इन असमानताओं को दूर करना एक अहम कदम होगा।
- बाहरी कर्ज का दबाव:
- बाहरी ऋण में वृद्धि और विदेशी कर्जों का पुनर्भुगतान भारत की वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
- इससे भारत की मुद्रा नीति और ब्याज दर पर असर पड़ सकता है, जो निवेश और आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं।
आगे की राह:
भारत को संरचनात्मक सुधारों और नवीनता के जरिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी।
हरित ऊर्जा, कौशल विकास, और डिजिटल सेवाओं में निवेश से भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी।
नवीनतम प्रौद्योगिकियों का उपयोग और स्मार्ट शहरों के निर्माण से भारत की आर्थिक ताकत को और बढ़ावा मिलेगा।
स्रोत:
- PIB Press Releases
अहिल्या बाई होल्कर कौन थीं? ( Who was Ahilya Bai Holkar? )
चर्चा में क्यों
हाल ही में, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) ने लोकमाता अहिल्याबाई त्रिशताब्दी समारोह समिति के सहयोग से देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन और विरासत पर एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया।
देवी अहिल्याबाई होलकर के बारे में
महारानी अहिल्याबाई होलकर (31 मई 1725 – 13 अगस्त 1795) मराठा मालवा साम्राज्य की होलकर रानी थीं।
उनके शासनकाल में मालवा ने शांति, समृद्धि और स्थिरता का अनुभव किया। उनकी राजधानी महेश्वर साहित्य, संगीत, कला और उद्योग का केंद्र बन गई।
देवी अहिल्याबाई होलकर का सैन्य योगदान
उन्हें उनके ससुर मल्हारराव होलकर द्वारा सैन्य प्रशिक्षण दिया गया था, और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सेनाओं का नेतृत्व किया।
उन्होंने तुकोजीराव होलकर को सेना प्रमुख नियुक्त किया।
देवी अहिल्याबाई होलकर का प्रशासन
- वे प्रतिदिन जनसुनवाई करती थीं ताकि आम जनता की समस्याओं का समाधान हो सके।
- उन्होंने अपने शासनकाल में निष्पक्ष न्याय करने की प्रतिष्ठा प्राप्त की, बिना किसी भेदभाव के। उदाहरण: उन्होंने अपने बेटे को, जो एक गंभीर अपराध का दोषी पाया गया था, हाथी से कुचलवाकर मृत्युदंड दिया।
- उन्होंने कुछ ऐतिहासिक निर्णय लिए, जैसे कि निःसंतान विधवाओं की संपत्ति जब्त करने की परंपरागत क़ानून को हटाना।
- हस्तकला का प्रोत्साहन: उन्होंने महेश्वर में वस्त्र उद्योग की स्थापना की, जो आज अपने प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ियों के लिए जाना जाता है।
देवी अहिल्याबाई होलकर का सांस्कृतिक योगदान
- उन्होंने मराठी कवि मोरोपंत, शाहीर अनंता गांधी और संस्कृत विद्वान खुशालीराम जैसे विद्वानों का अपनी राजधानी में स्वागत किया।
- वे हिंदू मंदिरों के निर्माण की अग्रणी समर्थक थीं।
- उन्होंने पूरे भारत में सैकड़ों मंदिर और धर्मशालाएँ बनवाईं।
- उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि 1780 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और मरम्मत का कार्य था।
- उनका निधन 13 अगस्त 1795 को 70 वर्ष की आयु में हुआ।
उपाधियाँ:
ब्रिटिश इतिहासकार जॉन केय ने उन्हें ‘द फिलॉसफर क्वीन’ की उपाधि दी।
कुछ अन्य जानकारी
1. उनके बचपन और विवाह
- अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौड़ी गांव में एक सामान्य परिवार में हुआ था।
- उनके पिता मानकोजी शिंदे एक दयालु और धार्मिक व्यक्ति थे, जिन्होंने अहिल्याबाई को बचपन से ही शिक्षा और संस्कार दिए।
- उनकी शादी बहुत कम उम्र में मल्हारराव होलकर के पुत्र खांडेराव होलकर से कर दी गई थी।
2. जीवन की कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ
- 1754 में पानीपत के युद्ध से पहले ही उनके पति खांडेराव होलकर की मृत्यु हो गई, जिससे वे विधवा हो गईं।
- उनके ससुर मल्हारराव होलकर ने उनका पूरा समर्थन किया और उन्हें शासन तथा युद्ध की शिक्षा दी।
- 1766 में मल्हारराव होलकर की मृत्यु हो गई, और फिर 1767 में उनके इकलौते पुत्र मालेराव होलकर का भी निधन हो गया।
- इस कठिन समय में उन्होंने स्वयं राज्य की बागडोर संभाली और मालवा को समृद्धि की ओर ले गईं।
3. उनका आदर्श शासन और न्यायप्रियता
- उन्होंने धर्म, जाति और वर्ग के भेदभाव से ऊपर उठकर जनता की सेवा की।
- उन्होंने एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था बनाई, जिसमें राजस्व, न्याय, और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया।
- उनकी न्यायप्रियता इतनी प्रसिद्ध थी कि लोग कहते थे कि उनके राज्य में कोई अन्याय नहीं हो सकता था।
- उन्होंने व्यापार और कृषि को बढ़ावा दिया, जिससे मालवा क्षेत्र आर्थिक रूप से समृद्ध हुआ।
4. महिला सशक्तिकरण की प्रतीक
- उन्होंने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कई सामाजिक सुधार किए।
- उन्होंने विधवाओं को संपत्ति का अधिकार दिलाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिससे समाज में बदलाव आया।
- वे स्वयं घुड़सवारी करती थीं और हथियार चलाने में भी निपुण थीं, जिससे महिलाओं को प्रेरणा मिली।
5. धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान
- उन्होंने पूरे भारत में कई मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया, जिनमें सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, मथुरा, अयोध्या, हरिद्वार, द्वारका, रामेश्वरम और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्थलों के मंदिर शामिल हैं।
- उन्होंने न केवल मंदिर बनवाए, बल्कि पुरानी और टूटी हुई धार्मिक संरचनाओं का भी जीर्णोद्धार करवाया।
- उनके शासनकाल में महेश्वर एक कला, संगीत और संस्कृति का केंद्र बन गया था।
6. उनकी विरासत और आज की मान्यता
- उनकी मृत्यु के बाद भी लोग उन्हें देवी की तरह पूजते हैं।
- भारत सरकार ने 1996 में उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था।
- इंदौर में उनका एक भव्य स्मारक बना हुआ है, जहां आज भी लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने जाते हैं।
- हर साल महेश्वर में अहिल्योत्सव मनाया जाता है, जिसमें उनकी उपलब्धियों को याद किया जाता है।
निष्कर्ष:
देवी अहिल्याबाई होलकर सिर्फ एक शासक ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी प्रशासक, न्यायप्रिय रानी, वीरांगना और समाज सुधारक थीं। उनका जीवन हर व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत है।
देवी अहिल्याबाई होलकर – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: अहिल्याबाई द्वारा कौन से मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था?
उत्तर: काशी विश्वनाथ मंदिर
प्रश्न 2: अहिल्याबाई होलकर के बाद शासक कौन बना?
उत्तर: तुकोजीराव होलकर
प्रश्न 3: महेश्वरी साड़ी की खासियत क्या है?
उत्तर: इसकी अनूठी दोतरफा बॉर्डर डिज़ाइन होती है, जिसे ‘बुगड़ी’ तकनीक से बुना जाता है।
भारत का केंद्रीय बजट 2025-26 : Union Budget of India 2025-26
भारत का केंद्रीय बजट 2025-26:
वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 में आर्थिक विकास को गति देने, मध्यम वर्ग को राहत देने, बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने और वित्तीय संतुलन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस बजट में विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
1. प्रमुख आर्थिक आँकड़े:
निम्नलिखित तालिका में भारत के केंद्रीय बजट 2024-25 और 2025-26 के प्रमुख आर्थिक आँकड़े प्रस्तुत किए गए हैं,
आर्थिक संकेतक | 2024-25 अनुमानित आँकड़े | 2025-26 अनुमानित आँकड़े | स्रोत |
---|---|---|---|
कुल व्यय | 48.21 लाख करोड़ रुपये | 50.65 लाख करोड़ रुपये | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
कुल प्राप्तियाँ | 34.96 लाख करोड़ रुपये | 34.96 लाख करोड़ रुपये | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
शुद्ध कर प्राप्तियाँ | 28.37 लाख करोड़ रुपये | 28.37 लाख करोड़ रुपये | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
राजकोषीय घाटा | जीडीपी का 4.9% | जीडीपी का 4.4% | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) | 11.1 लाख करोड़ रुपये | 11.21 लाख करोड़ रुपये | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर | 6.4% | 6.3% – 6.8% | आर्थिक समीक्षा 2024-25 |
निम्नलिखित तालिका में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान (RE) और 2025-26 के बजट अनुमान (BE) प्रस्तुत किए गए हैं। ये आंकड़े भारत सरकार के बजट दस्तावेजों से लिए गए हैं।
मंत्रालय/विभाग | 2024-25 संशोधित अनुमान (करोड़ रुपये) | 2025-26 बजट अनुमान (करोड़ रुपये) |
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कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय | 1,30,000 | 1,35,000 |
रक्षा मंत्रालय | 5,50,000 | 5,75,000 |
रेल मंत्रालय | 2,52,000 | 2,75,000 |
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय | 89,000 | 92,000 |
शिक्षा मंत्रालय | 1,10,000 | 1,15,000 |
ग्रामीण विकास मंत्रालय | 1,65,000 | 1,70,000 |
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय | 1,90,000 | 2,00,000 |
विद्युत मंत्रालय | 16,000 | 18,000 |
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय | 12,000 | 15,000 |
महिला और बाल विकास मंत्रालय | 27,000 | 30,000 |
स्रोत: भारत सरकार का बजट पोर्टल
2. बजट की मुख्य घोषणाएँ:
(1) आयकर में राहत:
- नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा।
- 12-18 लाख रुपये की आय पर कर दर को 10% तक घटाया गया।
- अधिकतम 30% कर अब 24 लाख रुपये या उससे अधिक की आय पर लागू होगा।
(2) कृषि क्षेत्र के लिए बड़े सुधार:
- 100 पिछड़े कृषि जिलों में सिंचाई, फसल भंडारण और कृषि-प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए नई योजना शुरू की गई।
- कृषि ऋण लक्ष्यों को बढ़ाकर 25 लाख करोड़ रुपये किया गया।
- प्राकृतिक खेती और जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए विशेष कोष बनाया गया।
(3) बुनियादी ढांचे में भारी निवेश:
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) के तहत 11.21 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय।
- रेलवे, सड़क और हवाई अड्डों के विस्तार पर विशेष ध्यान।
- शहरी विकास के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन।
(4) डिजिटल और स्टार्टअप सेक्टर को बढ़ावा:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्लाउड कंप्यूटिंग में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नई योजनाएँ।
- डिजिटल पेमेंट्स और साइबर सुरक्षा के लिए विशेष पैकेज।
- स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 15,000 करोड़ रुपये का कोष।
(5) सामाजिक कल्याण और रोजगार:
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 5 लाख नए रोजगार सृजन का लक्ष्य।
- महिलाओं और युवाओं के लिए मुद्रा योजना के तहत विशेष ऋण प्रावधान।
- ग्रामीण और शहरी गरीबी उन्मूलन के लिए नई योजनाएँ लागू की गईं।
(6) रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:
- रक्षा बजट 6.8 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया।
- स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया पहल को सशक्त किया गया।
- साइबर सुरक्षा और आधुनिक रक्षा प्रणाली पर अतिरिक्त निवेश।
3. प्रमुख नीतिगत सुधार:
✔️ महंगाई नियंत्रण: आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर रखने के लिए नए उपाय लागू किए गए।
✔️ हरित ऊर्जा: सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन मिशन और नवीकरणीय ऊर्जा में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश।
✔️ बिजली और जल आपूर्ति: ग्रामीण क्षेत्रों में 24×7 बिजली और जल जीवन मिशन के लिए अतिरिक्त बजट।
✔️ राजकोषीय अनुशासन: घाटे को कम करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने की दिशा में प्रयास।
बजट क्या होता है?
बजट एक वित्तीय योजना होती है, जिसमें किसी विशेष अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) के लिए अनुमानित आय और व्यय का विवरण दिया जाता है। सरकार, कंपनियाँ, संगठन और व्यक्ति अपने संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने के लिए बजट तैयार करते हैं।
सरकारी बजट क्या होता है?
सरकारी बजट वह वार्षिक वित्तीय योजना होती है, जिसमें सरकार अपने अनुमानित राजस्व (आय) और व्यय (खर्च) को निर्धारित करती है। इसे वित्त मंत्री संसद में प्रस्तुत करते हैं और यह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की आर्थिक नीतियों और प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
बजट के मुख्य घटक:
- राजस्व (Income): सरकार को मिलने वाली कुल आय, जिसमें करों से मिलने वाली राशि और गैर-कर राजस्व शामिल होते हैं।
- व्यय (Expenditure): सरकार द्वारा किए जाने वाले कुल खर्च, जैसे—सार्वजनिक सेवाएँ, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचा।
बजट के प्रकार:
1. आधार पर वर्गीकरण:
(a) राजस्व बजट (Revenue Budget): इसमें सरकार की नियमित आय और खर्च का विवरण होता है।
(b) पूंजीगत बजट (Capital Budget): इसमें बुनियादी ढाँचे के विकास और पूंजीगत व्यय का विवरण होता है।
2. संतुलन के आधार पर:
(a) संतुलित बजट (Balanced Budget): जब सरकार की आय और व्यय समान होते हैं।
(b) घाटे का बजट (Deficit Budget): जब सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक होता है।
(c) अधिशेष बजट (Surplus Budget): जब सरकार की आय उसके व्यय से अधिक होती है।
3. उद्देश्य के आधार पर:
(a) विकासात्मक बजट: जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचे पर अधिक खर्च किया जाता है।
(b) गैर-विकासात्मक बजट: जिसमें रक्षा, प्रशासन, और ब्याज भुगतान जैसे खर्च शामिल होते हैं।
भारत में बजट प्रक्रिया:
- तैयारी: बजट को वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से जानकारी लेकर तैयार करता है।
- प्रस्तुति: वित्त मंत्री इसे संसद में प्रस्तुत करते हैं।
- संसदीय चर्चा: बजट पर बहस होती है और विभिन्न मंत्रालयों के खर्च पर चर्चा होती है।
- मंजूरी: संसद द्वारा बजट पारित किया जाता है और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाता है।
बजट का महत्व:
✔️ आर्थिक स्थिरता बनाए रखता है।
✔️ सरकारी योजनाओं के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराता है।
✔️ महंगाई और विकास दर को नियंत्रित करता है।
✔️ विभिन्न क्षेत्रों (जैसे—कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य) को प्राथमिकता देने में मदद करता है।
बजट के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
आयकर में राहत:
- कर-मुक्त आय सीमा में वृद्धि: नए कर ढांचे के तहत, अब ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा, जिससे मध्यम वर्ग को सीधा लाभ मिलेगा।
- स्टैंडर्ड डिडक्शन: वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए ₹75,000 की मानक कटौती की घोषणा की गई है, जिससे उनकी कर योग्य आय में कमी आएगी।
कृषि और ग्रामीण विकास:
- उच्च उपज फसल कार्यक्रम: 17 मिलियन किसानों को लक्षित करते हुए, उच्च उपज वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया है।
- कृषि ऋण: किसानों के लिए सब्सिडी युक्त ऋण की सुविधा बढ़ाई गई है, जिससे उन्हें कृषि कार्यों के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता मिलेगी।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) समर्थन:
- परिभाषा में संशोधन: MSME की परिभाषा में बदलाव करके निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ाई गई है, ताकि अधिक व्यवसाय इस श्रेणी में आ सकें और लाभ उठा सकें।
- क्रेडिट गारंटी: सूक्ष्म उद्यमों के लिए विशेष क्रेडिट गारंटी योजनाएं शुरू की गई हैं, जिससे 10 लाख छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता मिलेगी।
बुनियादी ढांचा और शहरी विकास:
- अर्बन चैलेंज फंड: शहरी पुनर्विकास और जल प्रबंधन के लिए ₹1 लाख करोड़ का अर्बन चैलेंज फंड स्थापित किया गया है।
- राज्यों के लिए पूंजीगत व्यय: राज्यों के लिए ₹1.5 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय (ब्याज-मुक्त ऋण सहित) आवंटित किया गया है, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
तकनीकी और शैक्षिक सुधार:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पहल: AI के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए नई पहल शुरू की गई हैं।
- शैक्षिक संस्थानों का सुदृढ़ीकरण: ग्रामीण स्कूलों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी बढ़ाने, कौशल विकास के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने, और IITs के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।
वित्तीय क्षेत्र सुधार:
- बीमा क्षेत्र में FDI: बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाई गई है, जिससे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
- ग्रामीण क्रेडिट स्कोर: ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ‘ग्रामीण क्रेडिट स्कोर’ और केवाईसी प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है, ताकि ऋण प्रक्रिया को तेज़ और सुगम बनाया जा सके।
मुख्य व्यय और सब्सिडी आवंटन:
- ब्याज भुगतान: ₹12,76,338 करोड़
- रक्षा क्षेत्र: ₹4,91,732 करोड़
- पेंशन: ₹2,76,618 करोड़
- खाद्य सब्सिडी: ₹2,03,420 करोड़
- उर्वरक सब्सिडी: ₹1,67,887 करोड़
- पेट्रोलियम सब्सिडी: ₹12,100 करोड़
प्रमुख बुनियादी ढांचा और विकास आवंटन:
- ग्रामीण विकास: ₹2,66,817 करोड़
- शिक्षा: ₹1,28,650 करोड़
- स्वास्थ्य देखभाल: ₹98,311 करोड़
- शहरी विकास: ₹96,777 करोड़
- परिवहन अवसंरचना: ₹5,48,649 करोड़
राजस्व के प्रमुख स्रोत और व्यय:

केंद्र सरकार के प्रमुख व्यय (बजट अनुमान):

वित्तीय प्रवृत्तियाँ और बजटीय अनुमान (2023-24 एवं 2024-25) क्या हैं?
- प्राप्तियाँ और व्यय: वर्ष 2023-24 में राजस्व प्राप्तियाँ ₹27.3 लाख करोड़ थीं, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर ₹31.3 लाख करोड़ (BE) हो गईं।
- प्रभावी पूंजीगत व्यय ₹17.1 लाख करोड़ से घटकर ₹16.3 लाख करोड़ (संशोधित अनुमान) हो गया। राजस्व व्यय ₹34.9 लाख करोड़ से बढ़कर ₹37.0 लाख करोड़ (संशोधित अनुमान) हो गया।
- पूंजीगत व्यय ₹12.5 लाख करोड़ से बढ़कर ₹15.0 लाख करोड़ (BE) हो गया, किंतु बाद में इसे संशोधित कर ₹13.2 लाख करोड़ किया गया।
- घाटे की प्रवृत्तियाँ (GDP के प्रतिशत के रूप में): वित्तीय घाटा वर्ष 2023-24 में 3.3% था और वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में यह अपरिवर्तित रहते हुए 3.3% पर बना हुआ है।
- राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2023-24 में 0.3% था, जो वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में मामूली वृद्धि के साथ 0.8% हो गया।
- प्रभावी राजस्व घाटा वर्ष 2023-24 में 0.3% था, जो वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में बढ़कर 0.8% पर पहुँच गया।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुल अंतरण: वित्त वर्ष 2023-24 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुल ₹20.65 लाख करोड़ अंतरित किये गए।
- यह आँकड़ा वित्त वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में बढ़कर ₹22.76 लाख करोड़ हो गया तथा वर्ष 2025-26 (बजट अनुमान) में इसके और बढ़कर ₹25.60 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।
- केंद्र सरकार की निवल प्राप्तियाँ: वित्त वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित निवल कर राजस्व ₹28.4 लाख करोड़ रहा, जबकि गैर-कर राजस्व₹5.8 लाख करोड़ रहा।
- इसके अतिरिक्त गैर–ऋण पूंजी प्राप्तियाँ (जिनमें विनिवेश से प्राप्त राजस्व और ऋणों की वसूली शामिल है) वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में ₹0.8 लाख करोड़ रहीं।

निष्कर्ष
“सबका विकास” थीम पर आधारित केंद्रीय बजट 2025-26 समावेशी विकास, गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के साथ विकसित भारत के लिये एक मज़बूत आधार तैयार करने पर केंद्रित है। युवाओं, महिलाओं, किसानों और मध्यम वर्ग को प्राथमिकता देते हुए इस बजट का उद्देश्य सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के साथ सतत् विकास एवं निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो ये उपाय भारत को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी तथा आर्थिक रूप से सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में अग्रसर कर सकते हैं।
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